Atal Bihari Vajpayee death anniversary: प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेई की चौथी पुण्यतिथि पर जानिए उनके बारे में
Atal Bihari Vajpayee death anniversary: अटल विहारी वाजपेई का निधन 16 अगस्त 2018 को हुआ था। वाजपेई ने भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) को नई ऊंचाई प्राप्त करने में अहम भूमिका निभाई थी।
देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेई (Atal Vihari Vajpayee) की आज चौथी पुण्यतिथि है। उनकी पुण्यतिथि के मौके पर पूरा देश उन्हें नमन कर रहा है। देश की वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्म (Draupadi Murmu), उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ (Jagdeep Dhankhad), प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi), केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह(Amit Shah), रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने राजघाट जाकर उनके स्मृति स्थल ‘ सदैव अटल’ ( Sadiev Atal) पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
प्रधानमंत्री के तौर पर योगदान
अटल विहारी वाजपेई का निधन 16 अगस्त 2018 को हुआ था। वाजपेई ने भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) को नई ऊंचाई प्राप्त करने में अहम भूमिका निभाई थी। नब्बे के दशक में वो पार्टी का मुख्य चेहरा बनकर सामने आए और केंद्र में पहली बार भाजपा के नेतृत्व में सरकार भी बनाई। प्रधानमंत्री के तौर पर वाजपेई के शासनकाल में देश में उदारीकरण (ऐसे नियंत्रण में ढील देना जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिले) को बढ़ावा मिला और बुनियादी ढांचे तथा विकास को गति प्रदान की।
अटल बिहारी वाजपेई का राजनीतिक जीवन
वाजपेई जनसंघ (Jansangh) के संस्थापकों में से एक थे। वह 1968 से 1973 तक जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे। वाजपेई ने पहली बार 1952 में चुनाव लड़ा था लेकिन इसमें इनको हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन 1957 के चुनाव में यूपी के बलरामपुर से जनसंघ प्रत्याशी के तौर पर चुनाव में उतरे और जीत हासिल की। इमरजेंसी के बाद मोरारजी देसाई (Morarji Desai) की सरकार में विदेश मंत्री रहे। 1980 में जनता पार्टी (Janta Party) से अलग होकर उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) की स्थापना में सहयोग दिया और 1980 में भाजपा के अध्यक्ष भी बनें। वह भाजपा की तरफ से दो बार राज्यसभा सांसद भी बने।
कब-कब बने प्रधानमंत्री
वाजपेई 1996 में पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने लेकिन बहुमत न होने के कारण उनकी सरकार 13 दिनों के अंदर ही गिर गई। 1998 में वो दोबारा प्रधानमंत्री बने लेकिन 1999 की शुरुआत में 13 महीने के अंदर उनकी सरकार फिर से गिर गई। 1999 के चुनाव में वाजपेई के नेतृत्व में 13 दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई और सफलतापूर्वक 5 सालों का अपना कार्यकाल पूरा किया। वाजपेई के नेतृत्व वाली सरकार पहली ऐसी गैर कांग्रेसी सरकार थी जिसने अपना कार्यकाल पूरा किया था।