Cryptocurrencey: फिलिस्तीनी संगठन ‘हमास’ ने चोरी की थी कारोबारी की क्रिप्टो करंसी
साइबर प्रकोष्ठ के DCP के.पी.एस. मल्होत्रा के अनुसार जांच के दौरान पता चल गया था कि, क्रिप्टो करंसी फिलिस्तीनी संगठन हमास की सैन्य शाखा अल-कासम ब्रिगेड के खाते में भेजा गया था। जिसकी जांच स्पेशल सेल के इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटजिक ऑपरेशन्स (IFSO) यूनिट को सौंपी गई है।
दिल्ली के पश्चिम विहार के एक व्यापारी के अकाउंट को हैक करके क्रिप्टो करंसी चोरी के मामले में दिल्ली पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। दिल्ली पुलिस और इजरायल एजेंसी के अनुसार करीब 5 महीनों तक चली इस जांच में फिलिस्तीन प्रतिबंधित आतंकी संगठन 'हमास' का नाम सामने आया है। डीसीपी के.पी.एस. मल्होत्रा ने एक गोपनीय जांच रिपोर्ट तैयार की है, जिसके अनुसार आतंकी संगठन 'हमास' ने दिल्ली में रहने वाले एक व्यापारी के अकाउंट को हैक करके, क्रिप्टो करंसी को अपने सैन्य शाखा अल-कासम ब्रिगेड के खाते में ट्रांसफर किया था। हमास की यह सैन्य शाखा आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए चोरी और डोनेट की गई क्रिप्टो-करंसी का उपयोग करने के लिए विश्व स्तर पर जानी जाती है।
दिल्ली के व्यापारी का मोबाइल हुआ था हैक
साइबर प्रकोष्ठ के DCP के.पी.एस. मल्होत्रा के अनुसार जांच के दौरान पता चल गया था कि, क्रिप्टो करंसी फिलिस्तीनी संगठन हमास की सैन्य शाखा अल-कासम ब्रिगेड के खाते में भेजा गया था। जिसकी जांच स्पेशल सेल के इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटजिक ऑपरेशन्स (IFSO) यूनिट को सौंपी गई है, जिन्होंने जांच पड़ताल के कुछ ही दिनों के बाद यह चौंकाने वाला खुलासा किया था। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि व्यापारी के खाते से तीन बार अलग-अलग खातों में रकम भेजी गई थी। चोरी की गई क्रिप्टो करंसी की वर्तमान कीमत 4 करोड़ से भी अधिक बताई जा रही है। जिन वॉलेट या खातों में रकम भेजी गई थी, उसे हमास की मिलिट्री विंग अल-कस्साम ब्रिगेड्स इस्तेमाल करता है। इस घटना की रिपोर्ट सामने आने के बाद से भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं।
इजरायल की एजेंसी 'मोसाद' की मदद से हुआ खुलासा
इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद (Israel Agency Mossad) की सहायता से भारतीय एजेंसियों ने क्रिप्टो करंसी के चोरी का पता लगाया है। एजेंसियों ने बताया कि करीब 5 महीनों तक चली इस जांच में फिलिस्तीन प्रतिबंधित आतंकी संगठन 'हमास' का नाम सामने आया है। दिल्ली पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने इस मामले की प्राथमिकता के आधार पर जांच करने को कहा था। साथ ही इस मामले के कई एंगल को देखते हुए जांच की जा रही है। इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑप्स यूनिट के DCP के.पी.एस. मल्होत्रा की देख-रेख में एक विशेष टीम का गठन किया गया है।
दो विदेशी नागरिकों से हो रही है पूछताछ
क्रिप्टो करंसी की चोरी का मामला सामने आने के बाद देश की खुफिया एंजेंसी भी एक्टिव हो गई हैं। इस टेरर फंडिग के द्वारा वैश्विक आतंकवाद को बढ़ाने के लिए मनी लॉन्ड्रिंग के पैसे का इस्तेमाल किया जाता है। इस संबध में अभी ठीक तरह से कुछ कहा नहीं जा सकता क्योंकि जांच चल रही है और कई संदिग्ध लोगों से पूछताछ भी की जा रही है। वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कई जांच एजेंसियों के साथ मिलकर इस मामले की जड़ तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है।
क्रिप्टो करंसी की मदद से आतंकी संगठन हो रहें हैं मजबूत
फिलिस्तीनी प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन हमास को यूरोपीय यूनियन की ओर से ब्लैक लिस्ट में शामिल किया गया है। क्रिप्टो करंसी के अंतराष्ट्रीय बाजारों में आने के बाद से आतंकवादी संगठनों को फंडिंग करने के लिए कई माध्यम खुल गए हैं। साल 2019 की शुरुआत में, अल-कसम ब्रिगेड्स नामक आतंकी संगठन ने अपने सोशल मीडिया पेज पर आतंकवादी अभियान को बढ़ाने के लिए फंड के तौर पर बिटकॉइन डोनेशन की मांग कर दी थी। जिसके बाद दुनिया को यह संकेत मिलने लगे थे कि क्रिप्टो करंसी के द्वारा आंतकी संगठन खुद को ताकतवर बनाने में लगे हैं।
दिल्ली का यह मामला साल 2019 में सामने
दिल्ली पुलिस के अनुसार जांच में पता चला है कि दिल्ली के व्यापारी मोहम्मद नसीर इब्राहिम अब्दुल्लाह के वॉलेट से क्रिप्टो करंसी को अहमद मरजूक और फिलिस्तीन के अहमद क्यू एच साफरी के वॉलेट में भेजे गए थे। यह मामला साल 2019 का है जब दिल्ली के पश्चिमी विहार इलाके के रहने वाले एक व्यापारी के मोबाइल को हैक करके क्रिप्टो वॉलेट से तीन बार (6.2 बिटकॉइन, 9.79 एथेरियम और 2.44 बिटकॉइन) कैश चोरी हुए थे। उस समय इन क्रिप्टो करंसी की कीमत लगभग 30,85,845 रुपये थी, लेकिन दो साल बाद आज के समय में इसकी कीमत लगभग 4.5 करोड़ रुपये से अधिक है।
क्रिप्टो करंसी आखिर है क्या
क्रिप्टो करंसी को हम डिजिटल मुद्रा का एक रूप मान सकते हैं। जिसे बेनाम और सुरक्षित रूप से बनाए गए डेटा कलेक्शन का रूप कहा जा सकता है। वर्चुअल मुद्रा के लेनदेन को सुरक्षित रखने के लिए और मुद्रा की अतिरिक्त इकाइयों के निर्माण को नियंत्रित करने के लिए क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करके एक्सचेंज के मीडियम के रूप में काम लेने लिए इसे बनाया गया है। क्रिप्टो करंसी पर कोई एकल इकाई स्वामित्व या नियंत्रण नहीं करती है। यह क्रिप्टो करंसी पीयर-टू-पीयर सिस्टम पर काम करती है।