महाराजा सूरजमल बलिदान दिवस: बेरी में आयोजित हुआ प्रेरणा और राष्ट्रीय गौरव का भव्य समारोह
बेरी, झज्जर में महाराजा सूरजमल विचार मंच द्वारा महाराजा सूरजमल बलिदान दिवस मनाया गया, जिसमें उनके 80 युद्धों, सामाजिक एकता और न्याय पर प्रकाश डाला गया।
बेरी, झज्जर (हरियाणा), 25 दिसंबर 2024:
आज महाराजा सूरजमल विचार मंच द्वारा आयोजित महाराजा सूरजमल बलिदान दिवस के भव्य कार्यक्रम में समाज के हर वर्ग ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस ऐतिहासिक आयोजन का उद्देश्य उस महान योद्धा को श्रद्धांजलि देना था, जिन्होंने 80 से अधिक युद्धों में विजय प्राप्त कर न केवल अपने राज्य को सुरक्षित रखा, बल्कि एकता, साहस और न्याय के आदर्शों को भी स्थापित किया।
कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएँ:
1. सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ:
पद्मश्री महावीर गुड्डू तथा मशहूर कलाकार बिन्दर दनौदा के गीतों ने पूरे आयोजन को जोश और गर्व से भर दिया। उनके गीतों में महाराजा सूरजमल के बलिदान की गाथा जीवंत हो उठी।
2. प्रेरणादायक वक्तव्य:
मुख्य वक्ता अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य माननीय इंद्रेश ने महाराजा सूरजमल द्वारा लड़े गए 80 युद्धों का उल्लेख करते हुए कहा:
_"ये युद्ध इसलिए नहीं लड़े गए कि किसी को मारा जाए, बल्कि इसलिए लड़े गए ताकि कोई हमें न मारे। महाराजा सूरजमल का हर संघर्ष अपने लोगों की सुरक्षा और समाज की भलाई के लिए था। वे सर्व समाज का नेतृत्व करते थे और सामाजिक एकता में विश्वास रखते थे।"
उन्होंने यह भी कहा कि इतिहास में ऐसा कोई उदाहरण नहीं मिलता जब महाराजा सूरजमल के नेतृत्व में किसी पिछड़े वर्ग के साथ दुर्व्यवहार हुआ हो।
3. मुख्य अतिथि का संदेश:
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल नरेंद्र सिंह कादयान ने अपने संबोधन में कहा:
_"हमें आपसी मतभेदों को भुलाकर समाज को एकजुट करना चाहिए। कटड़ा-कटड़े की कहावत को छोड़कर, हमें एक-दूसरे के सुख-दुख में खड़ा रहना चाहिए। लड़कियों को बराबरी के अवसर देना हमारी जिम्मेदारी है, क्योंकि समाज का विकास तभी संभव है जब हम सभी को समान अवसर प्रदान करें।"
4. जनभागीदारी:
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोगों ने शिरकत की। युवाओं और महिलाओं की विशेष भागीदारी ने आयोजन को और खास बना दिया।
5. सामाजिक संदेश:
मंच से यह संदेश दिया गया कि महाराजा सूरजमल का जीवन एक प्रेरणा है। उनके आदर्श हमें न केवल अपने अधिकारों के लिए खड़े होने का साहस देते हैं, बल्कि समाज में एकता और न्याय की भावना को भी बल देते हैं।
आयोजन के आयोजकों का संदेश:
महाराजा सूरजमल विचार मंच के आयोजकों ने कहा,
_"बलिदान दिवस केवल इतिहास को याद करने का अवसर नहीं है, बल्कि यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम आने वाली पीढ़ियों को महाराजा सूरजमल जैसे महान व्यक्तित्वों के आदर्शों से परिचित कराएं।"
आगामी योजनाएँ:
महाराजा सूरजमल विचार मंच ने घोषणा की कि आने वाले समय में इस प्रकार के कार्यक्रमों को बड़े स्तर पर आयोजित किया जाएगा, ताकि समाज के हर वर्ग को महाराजा सूरजमल तथा अन्य महापुरुषों के योगदान से अवगत कराया जा सके।