Maharana Pratap Jayanti: महाराणा प्रताप की जयंती पर जानिए उनसे जुड़ी कुछ खास बातें

Maharana Pratap:महाराणा प्रताप का जन्म 9 जून को राजस्थान के कुंभलगढ़ में हुआ। उनके पिता मेवाड़ के राजा महाराणा उदय सिंह द्वितीय और माता रानी जीवंत कंवर थी। युद्ध में आई चोटों के चलते 1597 में 56 वर्षीय महाराणा प्रताप की मृत्यु हो गई।

June 3, 2022 - 02:04
June 3, 2022 - 02:28
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Maharana Pratap Jayanti: महाराणा प्रताप की जयंती पर जानिए उनसे जुड़ी कुछ खास बातें
Maharana Pratap

भारत के वीर सम्राट महाराणा प्रताप की जयंती को देश में बड़े उत्साह से मनाया जा रहा है। जब भी देश के वीर सम्राटों की बात होती है तो उनमें महाराणा प्रताप के नाम को सम्मान के साथ लिया जाता है। उनकी वीरता, बलिदान और आत्मसम्मान अस्तित्व वाला माना जाता है। जब बाकी समकालीन राजपूत सम्राटों ने अकबर के आगे घुटने टेक दिए थे तब भी महाराणा प्रताप कभी भी मुगल शक्तियों के आगे नही झुकें और अपनी अंतिम सांस तक पूरी बहादुरी के साथ अपने वतन के सम्मान के लिए लड़ते रहे।

जीवन

महाराणा प्रताप का जन्म 9 जून को राजस्थान के कुंभलगढ़ में हुआ। उनके पिता मेवाड़ के राजा महाराणा उदय सिंह द्वितीय और माता रानी जीवंत कंवर थी। अपने जीवन में कई युद्ध जीतने के बाद महाराणा अपने राज्य व परिवार की सुख-सुविधा में जुट गए। युद्ध में आई चोटों के चलते 1597 में 56 वर्षीय महाराणा प्रताप की मृत्यु हो गई।

हल्दीघाटी युद्ध

मुगलों के विरुद्ध लड़े ‘हल्दीघाटी का युद्ध’ प्रसिद्ध युद्धों में एक है, यह युद्ध महाराणा प्रताप और मुगल बादशाह अकबर के सेनापति मानसिंह के बीच हुआ था। इसी युद्ध में महाराणा के प्रिय घोड़े ‘ ‘चेतक’ की मृत्यु हुई थी। महाराणा की बहादुर सेना ने मुगलों की सेना के छक्के छुड़ा दिए थे और उन्हें पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया था।

महाराणा प्रताप के जीवन की खास बातें

अकबर के आगे हार नही मानी - जब राजस्थान के अधिकतर राजपूत राजाओं ने मुगल बादशाह अकबर के सामने हार मान ली थी तब महाराणा प्रताप अकबर के आगे नही झुकें और अपनी मातृभूमि को बचाया।

हल्दीघाटी युद्ध - हल्दीघाटी का युद्ध इतिहास के प्रसिद्ध युद्धों में से एक है। बताते हैं कि इस युद्ध में मुगलों की तुलना में प्रताप के पास कम सैनिक थे जिसके बावजूद प्रताप की सेना ने मुगलों की सेना के छक्के छुड़ा दिए थे।

35 किलो का कवच - महाराणा प्रताप के पराक्रम का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता हैं कि युद्ध के दौरान पहने जाने वाले उनके कवच का वजन 35 किलो था इसके अलावा उनके भाले और तलवार का कुल वजन 200 किलो था।

चेतक था प्रिय - ईरानी मूल का घोड़ा ‘चेतक’ महाराणा प्रताप को बहुत प्रिय था। चेतक अपनी स्वामीभक्ति और वीरता का परिचय देते हुए हल्दीघाटी युद्ध में महाराणा को सुरक्षित स्थान पर लाया था।

मेवाड़ जीतने की कसम - महाराणा प्रताप ने मेवाड़ को जीतने की कसम खाई थी जिसके लिए उन्होंने सारी सुख - सुविधाओं को छोड़ने का प्रण लिया था।

महाराणा प्रताप के प्रेरणादायक विचार

‘ मनुष्य का गौरव और आत्मसम्मान उसकी सबसे बड़ी कमाई होती है। सदा इनको रक्षा करनी चाहिए। ’

‘तब तक परिश्रम करते रहो, जब तक तुम्हे तुम्हारा लक्ष्य न मिल जाए। ’

‘अपने अच्छे समय में अपने कर्म से इतने विश्वास पत्र बना लो कि बुरा समय आने पर वो उसे भी अच्छा बना दे।’

‘समय इतना बलवान होता है कि एक राजा को भी घास की रोटी खिला सकता है।’

‘जो सुख से अतिप्रसन्न और डर से झुक जाते हैं, उन्हें नाही सफलता मिलती है, नाही इतिहास में जगह। ’

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