शीतकालीन खेलों के लिए नई आधारभूत संरचना से लद्दाख को मिलेगी वैश्विक पहचान
शीतकालीन खेलों में लद्दाख यूरोपीय देशों से भी आगें निकलने वाला है। अब वह दिन दूर नहीं जब विश्व की तमाम टीमें लद्दाख के बर्फीले मैदानों पर अपने खेलों का प्रदर्शन करेंगी। लद्दाख में शीतकालीन खेलों की तैयारी इस प्रकार की जा रही है कि खेल दिन और रात में भी आयोजित हो सकें। बता दें कि फुटबॉल और हॉकी, लद्दाख का पसंदीदा खेल है इसलिए इन खेलों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
लद्दाख का पहला एस्ट्रो टर्फ फुटबॉल स्टेडियम
लेह ज़िले के स्पतुक में पहला एस्ट्रो टर्फ फुटबॉल स्टेडियम अगले 4 महीने में बनकर तैयार हो जाएगा। इस स्टेडियम की दर्शक क्षमता 30 हज़ार होगी। हालांकि शुरुआत में इसकी दर्शक क्षमता दस हजार होगी बाद में इसे तीस हजार तक करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस स्टेडियम में चारों तरफ़ नौ सिंथेटिक ट्रैक भी होंगे। वहीं स्टेडियम में एक हजार बेड वाले हॉस्टल की व्यवस्था भी की जाएगी।
लद्दाख में बनेगा 52 आइस हॉकी रिंक
लद्दाख में हॉकी के खिलाड़ियों के लिए भी खुशखबरी है, कि उनके लिए प्रदेश में 52 हॉकी रिंक बनाए जायेंगे। लद्दाख खेल विभाग ने सभी 31 ब्लॉकों में आइस हॉकी रिंक बनाने का लक्ष्य रखा है। लेह और कारगिल ज़िला मुख्यालय में इंडोर हॉकी रिंक बनाए जायेंगे, जिसमें पूरे वर्ष दिन और रात में भी हॉकी खेलना संभव हो पाएगा।
लद्दाख देगा शीतकालीन खेलों को एक नई उड़ान
लद्दाख अपनी प्राचीन प्राकृतिक सुंदरता और मठों और स्तूपों जैसे आध्यात्मिक स्थानों के लिए जाना जाता है, लेकिन अब इसे शीतकालीन खेल प्रेमियों के लिए भी जाना जायेगा। लद्दाख भारत के उन कुछ स्थानों में से एक है जो सर्दियों में जम जाता है। जैसे ही उत्तर भारत ठंड की चपेट में आता है तो लद्दाख का ठंडा रेगिस्तान शीतकालीन खेलों, स्केटिंग और आइस-हॉकी के लिए तैयार हो जाता है, जो बेहद लोकप्रिय हैं। बता दें कि आइस हॉकी को लद्दाख में, शिनी या तालाब हॉकी भी कहा जाता है, जो लद्दाख का बहुत ही पसंदीदा खेल है। शीतकालीन खेलों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्कीइंग, आइस स्केटिंग और रॉक क्लाइंबिंग के लिए भी अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं को विकसित किया जायेगा। लद्दाख के पहाड़ी क्षेत्र में समुद्र तल से 3483 मीटर की ऊंचाई पर संभवत: देश का सबसे ऊंचा आइस स्केटिंग रिंक है। लद्दाख में आइस हॉकी के बढ़ने की जबरदस्त संभावनाएं हैं। बेहतर बर्फ की स्थिति और क्षेत्र में जमी हुई झीलों की सुविधा के साथ खेल के प्रति उत्साही बढ़ रहे हैं। वर्तमान में कारगिल के द्रास में स्कीइंग अकादमी बन रहा है और लेह में रॉक क्लाइंबिंग के लिए बुनियादी ढांचा बनाया जा रहा है।
लद्दाख में आइस हॉकी का इतिहास
लद्दाख में आइस हॉकी की शुरूआत 70 के दशक में हुई थी। जब भारतीय सेना की लद्दाख स्काउट्स बटालियन को सीमा क्षेत्रों में स्थानांतरित किया गया तो उन्होंने आइस हॉकी खेलना शुरू कर दिया था। स्थानीय लद्दाखियों ने इस आइस हॉकी का आनंद लिया लेकिन खेल उपकरणों की कमी के कारण इसे खेलना मुश्किल हो गया और पहली टीमों ने शिमला से आइस स्केटिंग ब्लेड प्राप्त करके इसकी शुरुआत की। लद्दाख के बाहर संपर्क रखने वाले कुछ स्थानीय लोगों ने दोस्तों से आइस हॉकी स्केट्स प्राप्त करने का अनुरोध किया है। वर्तमान में लद्दाख स्काउट्स अच्छी तरह से मजबूत है क्योंकि वे सेना के माध्यम से अपना उपकरण प्राप्त करते हैं। जम्मू और कश्मीर पर्यटन विभाग के पास भी उपकरणों का एक पूरा सेट है। स्थानीय लोग सेना के जूतों की मोटी रबर की एड़ी को गोल आकार में काटकर पक बनाते हैं। रक्षात्मक गियर की कमी के कारण चोटों के बावजूद, इस क्षेत्र में खेल की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है।
बता दें कि साल 2008 में पहली बार भारतीय आइस हॉकी लद्दाख टीम ने ‘एशियन चैलेंज कप’ में भाग लिया जो अबू धाबी में आयोजित हुआ था। इस टीम में अधिकतर खिलाड़ी लद्दाखी थे।