सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर मोदी सरकार इंडिया गेट पर करेगी ग्रेनाइट से बनी मूर्ति का अनावरण

साल 1971 में भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि व सम्मान देने के लिए अमर जवान ज्योति पर लौ जलाई जाने की परंपरा प्रारंभ हुई थी। 26 जनवरी, 1971 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अमर ज्योति का उद्घाटन किया था।

January 23, 2022 - 17:37
January 23, 2022 - 07:39
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सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर मोदी सरकार इंडिया गेट पर  करेगी ग्रेनाइट से बनी मूर्ति का अनावरण
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जयंती: gettyimages

बीते शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीटर के माध्यम से देश की जनता को जानकारी दी है कि आने वाले 23 जनवरी को सुभाष चंद्र बोस की जन्मदिन के मौके पर इंडिया गेट पर सुभाष चंद्र बोस की ग्रेनाइड से बनी भव्य मूर्ति का अनावरण किया जाएंगा। वहीं एक और ट्वीट में प्रधानमंत्री ने कहा है कि जब तक मूर्ति तैयार नहीं हो जाती तब तक होलोग्राम के जरिए नेता जी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा दिखाई जाएगी। जो सिर्फ रात के समय ही देखा जा सकता हैं। नेता जी सुभाष चंद्र बोस हमारे स्वंतत्रता आंदोलन के प्रेरणा और त्यागी थे। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय ताकतों के साथ मिलकर भारत को आजाद कराने का प्रयास किया और अंग्रेजी हुकूमतों से आज़ाद कराया।

यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है, जब मोदी सरकार अमर जवान ज्योति की लौ राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की लौ के साथ मिलाकर जलाना चाहती है। साल 1971 में भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि व सम्मान देने के लिए अमर जवान ज्योति पर लौ जलाई जाने की परंपरा प्रारंभ हुई थी। 26 जनवरी, 1971 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अमर ज्योति का उद्घाटन किया था। गौरतलब है कि अब उस अमर जवान ज्योति को नेशनल वॉर मेमोरियल में मर्ज कर दिया गया है। इसके पीछे सरकार ने तर्क दिया कि राष्ट्रीय युद्ध स्मारक और अमर जवान ज्योति की लौ को जलाना काफी खर्चीला है और लौ को जलाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। अमर जवान ज्योति को बूझाने के बाद विपक्ष द्वारा कड़ा विरोध किए जाने पर सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती पर उनके मूर्ति के अनावरण की घोषणा की खबर प्रधानमंत्री के ट्विटर हैंडल से शेयर की गई है।

सुभाषचंद्र बोस की मूर्ति को इंडिया गेट और राष्ट्रीय ग्रीष्मकालीन स्मारक के बीच एक खाली छतरी में रखा जाएगा। नेताजी की मूर्ति 28 फीट ऊंची और 6 फीट चौड़ी होगी, इस मूर्ति के स्थापित होने तक होलोग्राम की प्रतिमा लगाई जाएगी।

सुभाषचंद्र बोस का जन्म  23 जनवरी 1897 को बंगाल के कटक में हुआ था। जो विभाजन के बाद उडीसा में चला गया हैं। सुभाषचंद्र बोस अपने माता पिता की 9वीं संतान थे। साल 1915 में इण्डरमीडियट की परीक्षा के समय बीमार होने के बावजूद दूसरे स्थान से उर्तीण हुए। पिता की इच्छा थी कि सुभाषचंद्र बोस ICS बने। पिता के इच्छा जाहिर करने बाद सुभाष ने निश्चित किया कि वे ICS  की तैयारी करेंगें। 15 सितम्बर 1919 को लंदन जाकर काफी अध्ययन और कड़ी मेहनत के बाद साल 1920 में चौथा स्थान प्राप्त करके भारत वापस आएं। देश की गुलामी के प्रभाव में सुभाष ने पद से इस्तीफा दे दिया था।

सुभाषचंद्र बोस साल 1934 में इलाज कराने के लिए ऑस्ट्रिया गए थे। वहीं उनकी मुलाकात एमिली शेंकल से हुई और बाद में दोनों ने शादी कर ली थी। सुभाषचंद्र की शादी की खबर साल 1993 को सभी तक पहुँची। सुभाषचंद्र बोस की बेटी का नाम अनिता बोस था। 6 जुलाई 1944 को सुभाषचंद्र बोस ने आजाद हिंद रेडियों से गांधी जी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था। बाद में गांधी जी सुभाषचंद्र बोस को नेताजी कहकर संबोधित करने लगे थे।

भारत में पांच सबसे ऊंची मूर्तियां:

1) स्टेच्यू ऑफ यूनिटी, गुजरात (Statue of Unity)

स्टेच्यू ऑफ यूनिटी दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति है। यह मूर्ति सरदार वल्लभ भाई पटेल की याद में बनाई गई है। यह मूर्ति गुजरात में नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध से 3.5 किमी की दूरी पर स्थित है। इस विशाल मूर्ति की लंबाई 182 मीटर है। इस मूर्ति की सबसे बड़ी खासियत है कि लोग इसे 7 किलोमीटर दूरी से भी देख सकते है। इसे बनाने में भारतीय कर्मचारियों के साथ साथ चीन के 200 कर्मचारियों ने भी मदद की थी। वहीं मूर्ति के निर्माण में लगभग 3000 करोड़ रूपए खर्च हुए।

 

2) वीर अभय अंजनेया हनुमान स्वामी, आंध्र प्रदेश (Veera Abhaya Anjaneya Hanuman Swami)

यह मूर्ति दुनिया की सबसे बड़ी हनुमान जी की प्रतिमा है। रामभक्त हनुमान जी की यह प्रतिमा आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में स्थित है। इसकी स्थापना 22 जून 2003 में हुई थी। इस मूर्ति की लंबाई 135 फीट है। आंध्र प्रदेश में स्थित यह हनुमान जी की प्रतिमा रियो डी जनेरियो में क्राइस्ट द रिडीमर की प्रतिमा से भी उंची है।

 

3) पद्मसंभव की प्रतिमा, हिमाचल प्रदेश (Statue of Guru Padmashambh)

 

गुरु पद्मसंभव भारत के एक संत साधु पुरुष थे। यह बुद्ध धर्म के अनुयाई थे। पद्मसंभव का अर्थ कमल से पैदा हुआ। वे ओडिशा के रहने वाले थे। इन्हे दूसरा बुद्ध भी कहा जाता है। यह मूर्ति हिमाचल प्रदेश के मंडी में स्थित है। यह मूर्ति पूर्वी भारत का सबसे बड़ा मठ है। पद्मसंभव मूर्ति की ऊंचाई 123 फीट है।

4) मुरुदेश्वर मंदिर, कर्नाटका (Murudeshwar Temple)

मुरुदेश्वर मंदिर भगवान शिव की विशाल प्रतिमा है। यह कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले में मुरुदेश्वर शहर में स्थित है। यह मूर्ति दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी भगवान शिव की मूर्ति है। मुरुदेश्वर तट कर्नाटक राज्य का सबसे सुंदर तट है। यह मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध है। लाखो श्रद्धालु यहां भगवान शिव के दर्शन करने आते है। इस मूर्ति की ऊंचाई 123 फीट है। इसके निर्माण में लगभग 2 साल का समय लगा था। यह भगवान शिव की प्रतिमा बहुत ही सुंदर और आकर्षक है।

5) हनुमान मूर्ति, हिमाचल प्रदेश (Statue of Hanuman)

हिमाचल प्रदेश के शिमला में स्थित जाखू पहाड़ी में हनुमान जी की यह विशाल मूर्ति पूरे विश्व में प्रचलित है। मंदिर के दर्शन करने लोग देश विदेश के आया करते है। भगवान हनुमान जी की मूर्ति की लंबाई लगभग 108 फीट है। इसकी स्थापना साल 2010 में कि गई थी। बताया जाता है कि जब हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने गए थे तब वह इस स्थान पर रुके थे।

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