ऑकस समझौता: चीनी मीडिया ने लगाया आरोप,अमेरिका दे रहा है ऑस्ट्रेलिया को 'स्पेशल ट्रीटमेंट'
18 सितंबर को पब्लिश हुए लेख में चीनी टाइम्स, ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि अमेरिका ऑक्स (OX ) के तहत, ऑस्ट्रेलिया को स्पेशल ट्रीटमेंट दे रहा है। साथ ही यह भी लिखा की इस समझौते से अन्य देशों पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ेगा।
ऑकस समझौता: चीनी मीडिया ने लगाया आरोप,अमेरिका दे रहा है ऑस्ट्रेलिया को 'स्पेशल ट्रीटमेंट'
18 सितंबर को पब्लिश हुए लेख में चीनी मीडिया, ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि अमेरिका ऑकस (OX) के तहत, ऑस्ट्रेलिया को स्पेशल ट्रीटमेंट दे रहा है। साथ ही यह भी लिखा की इस समझौते से अन्य देशों पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ेगा।
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, "ऑस्ट्रेलिया यूएस इंडो-पैसिफिक स्ट्रैटेजी का हब है, जिसके पश्चिम में हिंद महासागर और पूर्व में प्रशांत महासागर है। उत्तरी गोलार्ध में अमेरिका के कई सैन्य ठिकाने और सहयोगी हैं, लेकिन दक्षिणी गोलार्ध में उसका वैश्विक रणनीतिक गठबंधन नेटवर्क अपेक्षाकृत कमजोर लगता है।"
भारत अमेरिका का सहयोगी नही बल्कि दूसरा अमेरिका बनना चाहता है:
भारत और अमेरिका के संबंध को विस्तार से बताते हुए लिखा, "कुछ भारतीय लोगों ने सवाल करना शुरू कर दिया है कि क्या अमेरिका एक महत्वपूर्ण क्षण में भारत का बेशर्त समर्थन करेगा। ऐसा होने पर, भारत ऑस्ट्रेलिया की तरह पूरी तरह से अमेरिकी पक्ष की ओर नहीं जाएगा। वाशिंगटन और नई दिल्ली की अलग-अलग राजनीतिक जरूरतें हैं। आखिरकार, भारत अमेरिका का दूसरा सहयोगी नहीं बनना चाहता है। इसकी बड़ी महत्वाकांक्षाएं हैं - यह "दूसरा अमेरिका" बनना चाहता है।
ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, विश्लेषकों का ऐसा मानना है कि अमेरिका,ऑस्ट्रेलिया को अपनी सैन्य शक्ति विकसित करने में मदद करने पर ध्यान केंद्रित कर सकता है और इसे एशिया में अमेरिका का "गार्ड डॉग" बना सकता है।
क्या है ऑकस?
अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और ऑस्ट्रेलिया ने वर्चुअल कार्यक्रम के दौरान एक नई त्रिपक्षीय सुरक्षा साझेदारी बनाने की घोषणा की है जिसे ऑकस (AUKUS) का नाम दिया गया है। ऑकस के तहत पहली पहल ऑस्ट्रेलिया के लिए एक परमाणु-संचालित पनडुब्बी निर्माण करना होगा। इस साझेदारी के अंतर्गत, आस्ट्रेलिया 1958 में ब्रिटेन के बाद दूसरा देश होगा जिसके साथ यूएस अपनी परमाणु तकनीक साझा कर रहा है।
बोरिस जॉनसन ने पार्लियामेंट में कहा था, " जब हमने ऑकस की स्थापना कर ही ली है, तो हम साइबर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कंप्यूटिंग और अंडर सी क्षमताओं सहित अन्य उन्नत रक्षा प्रणालियों के विकास में तेजी लाने की उम्मीद करते हैं।"
कौनसे देश हैं ऑकस के खिलाफ और क्यों?
फ्रांस ने गुरुवार को यूएस के राष्ट्रपति, जाे बाइडेन पर पीठ में छुरा घोंपने का आरोप लगाते हुए कहा कि पेरिस को एक आकर्षक रक्षा सौदे से अलग रखा गया है। साथ ही 2016 में हुए 90 बिलियन ऑस्ट्रेलियन डॉलर फ्रेंच डिजाइन्ड सबमरीन डील को रद्द करने के लिए ऑस्ट्रेलिया पर अपना क्रोध जताया है। फ्रांस सहित यूरोपियन यूनियन इस साझेदारी से नाराज़ है। वहीं चाइनीज़ विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि तीनों देश क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा रहे हैं, हथियारों की होड़ तेज कर रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय परमाणु अप्रसार प्रयासों को आहत कर रहे हैं।
ऑकस समझौते को लेकर एक सवाल यह भी उठ रहा है कि 'क्वॉड' समूह के होते हुए अमेरिका को इसकी ज़रूरत क्यों पड़ी? क्वॉड में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया के साथ-साथ जापान और भारत भी है। तथापि न्यूजीलैंड, सिंगापुर और जापान जैसे देशों ने इस रक्षा सौदे को ज़रूरी बताया है।