SCO शिखर सम्मेलन में डिजिटली शामिल हुए PM मोदी, कहा कट्टरपंथ दुनिया के लिए बड़ा खतरा
आज विश्व भर की नजर तजाकिस्तान की राजधानी दुंशाबे में हो रहे SCO शिखर सम्मेलन पर बनी रही। आज SCO अपनी 20वीं वर्षगांठ मना रहा है, ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी ने सभी एशियाई देशों को शुभकामनाएं दी और साथ ही शांति, एकता और साझे विकास का मूलमंत्र भी दिया।
आज SCO ने अपनी 20वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में एक शिखर सम्मेलन आयोजित किया। यह आयोजन ताजिकिस्तान की राजधानी दुंशाबे में हुआ। जहाँ कई बड़े एशियन देश शामिल हुए। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने डिजिटली मंच से जुडकर न केवल मध्य एशियाई देशों की चुनौतियों को बताया साथ ही इन चुनौतियों से निपटने के लिए निपटान से संबंधित संभावित मंत्र भी दिए।
उन्होने कहा कि मध्य एशिया के क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और एक-दूसरे पर विश्वास की कमीं ने हमे निरंतर दूर किया है। इन चुनौतियों की जड़ में कट्टरपंथ है जो हमें परिवर्तनशील होने से रोकता है, ऐसे में जरूरी है कि हम इससे निपटने हेतू एक साझी रणनीति तैयार करें।
प्रधानमंत्री मोदी ने SCO को सफलतापूर्वक अपने 20 वर्ष पूरे करने पर शुभकमानाएं दी साथ ही नए राष्ट्र ईरान और डायलॉग पार्टनर्स कतर , इजिप्ट और सऊदी अरब को इससे जुडने पर बधाई दी।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि अफगानिस्तान की घटना इस बात का प्रमाण है कि हमारे बीच कट्टरता किस हद तलक बढ़ गई है। साथ ही उन्होने इतिहास के उस स्वर्णिम युग को भी याद किया और उससे जुड़ी अपनी उपलब्धियों को भी उजागर कर बताया कि 'प्रगतिशील कल्चर, उदारवादी दृष्टिकोण हो या नैतिक मूल्य' मध्य एशिया प्राचीन काल से इनमें समृद्ध रहा है। विश्वभर को सूफीवाद विचारधारा से अवगत कराने वाला क्षेत्र भी मध्य एशिया ही है।
भारत और SCO से जुड़े राष्ट्र हमेशा से ही सांस्कृतिक, पारंपरिक विरासतों के धनी हैं। SCO से जुडें लगभग सभी देश इस्लाम से जुड़े हुए हैं, ऐसे में हमे साझे तौर पर उदारवादी समावेशी और विकासशील संस्थाओं की संख्याओं को बढ़ाना होगा।
SCO का उद्देश्य सर्वप्रथम मध्य एशिया के राष्ट्रों के मतभेद को कम करके एक नए मजबूत नेटवर्क का निर्माण करना होना चाहिए। साथ ही सर्वसम्मति से हम कई डिजिटल एप्स और मंचो को अपना सकते है। चाहे फिर कोरोना महामारी से लड़ने के लिए cowin app हो या आर्थिक लेन-देन को बढ़ाने के लिए UPI या rupay card जैसी नवीन टैक्नोलॉजी।
भारत वैश्विक मंच में अपनी बात दृढ़ता से रख रहा है यह पता लगाना ज्यादा कठिन नहीं कि धीरे-धीरे ही सही पर भारत के पड़ोसी देश अब भारत का नेतृत्व स्वीकार रहे हैं। यह एक सकारात्मक कदम है जिसके सकारात्मक परिणाम भारत को आगामी भविष्य में देखने को मिलेंगे।