Punjab Election 2022: किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने किया अपनी पार्टी को चुनाव में उतारने का ऐलान, संयुक्त संघर्ष पार्टी रखा है पार्टी का नाम

किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने राजनितिक पार्टी ‘संयुक्त संघर्ष पार्टी’ बनाने का ऐलान कर दिया है। ऐलान करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी पंजाब में बिना गठबंधन किये सभी 117 सीटों पर चुनाव के लिए 2022 में मैदान में उतरेगी।

December 19, 2021 - 20:54
December 21, 2021 - 22:49
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Punjab Election 2022: किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने किया अपनी पार्टी को चुनाव में उतारने का ऐलान, संयुक्त संघर्ष पार्टी रखा है पार्टी का नाम
गुरनाम सिंह चढूनी:फोटो- Twitter

गुरनाम सिंह चढूनी हरियाणा भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष हैं। पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इसके मद्देनजर अभी हाल ही में उन्होंने पंजाब विधानसभा चुनाव में अपनी राजनितिक पार्टी ‘संयुक्त संघर्ष पार्टी’ बनाने का ऐलान कर दिया है। ऐलान करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी पंजाब में बिना गठबंधन किये सभी 117 सीटों पर चुनाव के लिए 2022 में मैदान में उतरेगी। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमारा उद्देश्य रजनीति में शुद्ध और अच्छे लोगों को आगे लाना है। राजनीतिक नेता गरीबों का साथ देने के बजाय व्यावसायिक और पूंजीपतियों के हितों में नीतियाँ बनाते हैं। हमारी संयुक्त संघर्ष पार्टी सभी धर्मों, जाति, इसाई, दलित, हिन्दू महासभा, के लिए समान होगी जो सभी वर्गों के कल्याण के लिए काम करेगी। हर समाज के लिए हर समुदाय, मज़दूर, किसान, शहरी, रेहड़ी, आम जनता के लिए काम करेगी।

गुरनम सिंह चढूनी  किसान मोर्चा के सदस्य हैं जो कि 40 किसान संगठनों से मिलकर बना है। SKM ने फार्म लॉज़ के खिलाफ एक साल तक चले किसान आंदोलन का नेतृत्व किया था। जिसे मोदी सरकार ने वापस ले लिया है। हालांकि, संयुक्त किसान मोर्चा उनके पंजाब चुनाव लड़नें के फ़ैसले से खुश नहीं थी। जिससे किसान आंदोलन समाप्त होनें के बाद SKM और नेताओं के बीच पंजाब विधानसभा चुनावों को लेकर आपसी मतभेद भी सामने आ रहे हैं।

पंजाब में किस पार्टी की सरकार है?

वर्तमान, में पंजाब में कांग्रेस पार्टी की सरकार है और चरणजीत सिंह चन्नी वहां के मुख्यमंत्री हैं। हालांकि, अमरेंद्र सिंह ने नवजोत सिंह सिद्धू के साथ मनमुटाव के कारण अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। आने वाले चुनाव को देखते हुए कांग्रेस पार्टी ने भी एक दलित को मुख्यमंत्री बना कर पॉलिटिकल स्टंट किया है। कांग्रेस से पहले पंजाब में अकाली दल और भाजपा की सरकार थी और प्रकाश सिंह बादल उसके मुख्यमंत्री थें। बीजेपी द्वारा किसान विरोधी कानून लाने के बाद अकाली दल ने बीजेपी से अपना नाता तोड़ लिया और बसपा के साथ गठबंधन कर लिया। अकाली दल भारत में कांग्रेस के बाद दूसरे सबसे पुराने दलों में से एक है। जिसका गठन 1920 में हुआ था।

सन् 2012 अन्ना का आंदोलन तो खत्म हुआ लेकिन आम आदमी पार्टी ने अपना सफर शुरू किया

जिस तरह एक साल से अधिक चला किसान आंदोलन समाप्त हुआ और ‘संयुक्त संघर्ष पार्टी’ का गठन हुआ। उसी तरह साल 2012 में UPA के आखिरी दौर में जब अन्ना आंदोलन देश भर में ज़ोर पकड़ रहा था। तब अरविन्द केजरीवाल राजनीति में आएं। उन्होंने ‘आम आदमी पार्टी’ बनायी और बहुमत के साथ सत्ता में आएं। अब इसी राह पर गुरनाम सिंह चढूनी दिख रहे हैं। लेकिन, वो पहले ही कह चुके हैं कि वो मिशन पंजाब के तहत खुद चुनाव नहीं लड़ेंगे। बल्कि चुनाव लड़वाएगें। उन्होंने फतेहगढ़ साहिब में अपने दौरे के दौरान एक उमीदवार की घोषणा भी कर दी है।

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