जन्मदिन विशेष: 71 साल के हुए आरएसएस प्रमुख भागवत
आज 11 सितंबर को संघ के प्रमुख मोहन भागवत का जन्मदिन है। मोहन भागवत वर्तमान में संघ प्रमुख के रुप में अपने प्रखर नेतृत्व के कारण अपनी उल्लेखनीय पहचान बनाए हुए हैं।
आज 11 सितंबर को संघ के प्रमुख मोहन भागवत का जन्मदिन है। मोहन भागवत वर्तमान में संघ प्रमुख के रुप में अपने प्रखर नेतृत्व के कारण अपनी उल्लेखनीय पहचान बनाए हुए हैं। भागवत को Z+ की सिक्योरिटी भी प्रदान की गई है। और इससे ही भागवत जी कितनी जानी-मानी हस्ती हैं इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। भागवत जी का जन्म महाराष्ट्र में सांगली जिले के चंद्रपुर नाम के एक छोटे से नगर में 11 सितंबर 1950 को हुआ था। भागवत जी का पूरा परिवार संघ से जुड़ा हुआ था, इसलिए उसी परिवेश में रहने के कारण इनकी नजदीकी भी संघ से दिन-प्रतिदिन बढ़ती रही। इनके दादा नारायण भागवत जी थे, जिन्हें संघ से जुड़ने के उपरांत नाना साहेब भागवत के नाम से जाना जाता है। इनके पिता का नाम मधुकरराव भागवत व माता का नाम मालतीबाई भागवत था। ये लोग सक्रिय रुप से अपने जीवन में संघ के लिए कार्य कर चूके हैं। भागवत जी अपने भाई बहनों में सबसे ज्येष्ठ हैं। भागवत को अविवाहित रह कर अपना सर्वस्व जीवन संघ के कार्य में न्योछावर करने वाले व्यक्ति के रूप में देखा जा सकता है।
शिक्षा:
भागवत की शिक्षा के क्षेत्र में विशेष पकड़ थी। वे शुरू से एक मेधावी छात्र रहे हैं। इनकी स्कूली शिक्षा लोकमान्य तिलक विद्यालय से हुई है। इन्होंने अपने नगर चंद्रपुर में ही बीएससी प्रथम वर्ष की पढ़ाई की और पंजाबराव कृषि विद्यापीठ, अकोला से पशु चिकित्सा व पशुपालन में स्नातक की डिग्री भी प्राप्ति की।
इसके बाद प्रत्येक नौजवान की भांति उन्होंने नौकरी करने की तरफ़ कदम बढ़ाए व एनिमल हसबेंडरी विभाग में वेटनरी ऑफिसर के रुप में काम करना शुरू करना प्रारंभ कर दिया था।
संघ की ओर रुख:
चूंकि परिवार का संघ से काफी गहरा संबंध था इस कारण जब देश 1975 में आपातकाल से जुझ रहा था तब अपनी अकादमिक शिक्षा से वे दूर होकर राष्ट्रीय स्वयं संघ के पूर्णकालिक सदस्य बन गए और उस दौरान वे कुछ समय के लिए नजरबंद होकर या छुप-छुप कर संघ के लिए कार्य करते हुए उन्होंने अपना जीवन बिताया। उन्होंने नागपुर और विदर्भ के क्षेत्रों में प्रचारक के रूप में कार्य किया।
आरएसएस का अपना नियम कानून है व उसमें कई सारे कार्य विभाजन के हिसाब से पदभार भी हैं। आरएसएस के स्वयंसेवकों को शारीरिक प्रशिक्षण देने के लिए भागवत जी को 1991 में संघ के शारीरिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का अखिल भारतीय प्रमुख बनाया गया। 1991 से लेकर 1999 तक उन्होंने इस पद की जिम्मेदारियों का निर्वहन किया।
सन 2000 मोहन भागवत को संघ के नए सरकार्यवाहक के रुप में पदभार संभालने के लिए चुना गया:
21 मार्च 2009 को रेशमी बाग में संघ के दफ्तर अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक के बाद राष्ट्रीय मीडिया में खबर उड़ने लगी की मोहन भागवत को संघ का सरसंघचालक चुना गया। उस समय संघ के पूर्वाधिकारी के एस सुदर्शन थे। संघ के सरसंघचालक के रुप में भागवत को काफी व्यवहारिक व्यक्तित्व माना जाता है। भागवत समय के अनुसार ढलने और समय के साथ चलने में यकीन रखते हैं। स्पष्टवादी, प्रगतिशील, और संयम प्रकृति के व्यक्ति हैं।
आधुनिकता में विश्वास:
मोहन भागवत विज्ञान में विश्वास करते हैं, और आधुनिकता को अपनाकर संघ का विकास करना भली भांति जानते हैं। पहले संघ में खाकी हॉफ पैंट व क्लीन व्हाइट शर्ट ही स्वयंसेवकों का ड्रेसकोड होता था लेकिन अब शारीरिक आराम का ध्यान रखते हुए वे ट्राउजर्स पहनने की छूट देते हैं। सोशल मीडिया को संघ के प्रचार-प्रसार के लिए बखूबी इस्तेमाल करना जानते हैं।
हिंदू समाज में उपस्थित असमानता के विरोधी:
भागवत जी हिन्दू धर्म को सर्वोपरि रखना भली भांति जानते हैं। इसलिए वे धर्म में उपस्थित अस्पृश्यता जैसी बुराई को मिटाने की दिशा में काम करते हैं। वे असमानता के भी घोर विरोधी हैं और हिंदू समाज को आधुनिकता द्वारा उन्नति के शिखर पर पहुंचाने की दिशा में काम करने वाले व्यक्ति के रुप में जाने जाते हैं।
BJP पर मजबूत कमान:
भागवत के नेतृत्व में बीजेपी पर संघ की मजबूत हुई पकड़ दिन प्रतिदिन देखी जा सकती है। मोहन भागवत के प्रधानमन्त्री मोदी के साथ गहरे संबंध हैं।