इंफोसिस पर पांचजन्य के आरोप पर आरएसएस ने पल्ला झाड़ा
पांचजन्य पत्रिका के द्वारा इंफोसिस कंपनी पर उठाए सवाल को लेकर आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील अम्बेकर ने अपना पल्ला झाड़ते हुए इंफोसिस कंपनी की प्रशंसा की और कहा भारत के विकास में कंपनी का बड़ा योगदान है।
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पांचजन्य पत्रिका के द्वारा इंफोसिस कंपनी पर उठाए सवाल को लेकर आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील अम्बेकर ने अपना पल्ला झाड़ते हुए इंफोसिस कंपनी की प्रशंसा की और कहा भारत के विकास में कंपनी का बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि पांचजन्य द्वारा प्रकाशित यह लेख लेखक के व्यक्तिगत विचार को प्रस्तुत करता है। यह बात जानने योग्य है कि पांचजन्य हमेशा से आरएसएस के मुखपत्र के रूप में जाना गया है और इसी कारण से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अप्रत्यक्ष रूप से यह बयान आरएसएस का है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबंध रखने वाली साप्ताहिक पत्रिका 'पंचजन्य' ने भारत की स्वदेशी आईटी सॉफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस पर एक लेख लिखते हुए तंज कसा।
पत्रिका की कवर स्टोरी पर कंपनी इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति की तस्वीर भी छपी हुई है। बता दें कि इंफोसिस केवल भारत की ही नहीं बल्कि दुनिया की सफल कंपनियों में से एक है तथा इसके द्वारा निर्मित सोफ्टवेयर दुनिया भर में मौजूद हैं।
क्या है मामला?
असल में आरएसएस से संबंध रखने वाली पत्रिका पांचजन्य ने अपने अगस्त के संस्करण में आईटी कंपनी इंफोसिस को लेकर 'साख और आघात' नामक शीर्षक से चार पन्नों का एक लेख लिखा जिसमें कंपनी पर यह आरोप लगाया कि कंपनी भारत की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। इसके साथ ही कंपनी को इस बात को लेकर कटघरे में खड़ा किया गया कि वह नक्सलियों, वामपंथियों और टुकड़े-टुकड़े गैंग को सहायता प्रदान करती है। हालांकि पत्रिका ने यह कह कर अपनी ओर से लेख के बारे में सफाई पेश की है कि उनके पास इन आरोपों को लेकर कोई पुख़्ता सबूत नहीं हैं लेकिन कंपनी पर कई बार इस तरह के आरोप पहले भी लग चुके हैं। कंपनी पर 'ऊंची दुकान फीका पकवान' कहकर व्यंग्य भी किया गया। लेख में कंपनी से यह सवाल भी किया गया कि क्या इंफोसिस अपने विदेशी ग्राहकों को ऐसी खराब सेवा देगा?
लोगों के विश्वास पर प्रश्नचिह्न:
पत्रिका के लेख में कंपनी द्वारा निर्मित वस्तु और सेवा कर (GST) तथा आयकर पोर्टलों में व्याप्त कमियों को भी उजागर किया गया है। वस्तु और सेवाकर और आयकर रिटर्न पोर्टल को 7 जून से शुरू किया गया था, इस दौरान अब तक ग्राहकों को कई परेशानियों को सामना करना पड़ रहा है। लेख में कहा गया कि, पोर्टलों में इन खामियों नें भारतीय अर्थव्यवस्था में लोगों द्वारा कंपनी पर किए गए विश्वास को कुछ हद तक कम कर दिया है। लेख में यह भी कहा गया कि सरकारी संगठनों और एजेंसियों ने अपने पोर्टलों को उनके साथ जोड़ने में कभी भी हिचकिचाहट नहीं दिखाई है। इसका कारण इसकी प्रतिष्ठा है। कंपनी द्वारा निर्मित इन जीएसटी और आयकर रिटर्न पोर्टलों में व्याप्त गड़बडियों ने करदाताओं के कंपनी के प्रति विश्वास को कम किया है। पत्रिका ने सवाल उठाया कि क्या इंफोसिस के जरिए कोई राष्ट्रविरोधी शक्ति भारत के आर्थिक हितों को आघात पहुँचाने का प्रयास कर रही है?
एक ओर इस लेख को घेरे में लिया जा रहा है तो दूसरी ओर पत्रिका पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर ने कहा कि पांचजन्य पत्रिका अपने लेख का समर्थन करती है और यदि कंपनी को इससे कोई परेशानी है तो उसे स्वयं सामने आकर अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करना चाहिए। साथ यह भी स्पष्ट किया कि यह लेख इंफोसिस के बारे में है न कि आरएसएस के बारे में।
एनडीए सरकार के प्रमुख समर्थकों के रूप में पहचाने जाने वाले मोहनदास पाई ने तो इस लेख को लिखने वाले लेखक को पागल ही बता दिया है, साथ ही उसकी सोच को "कॉन्सपिरेसी थियरी" का नाम दिया।
इस विवाद को लेकर सबके अपने-अपने विचार सामने आए हैं, किंतु आरएसएस और पांचजन्य दोनों ने ही इसे एक-दूसरे संबंधित होने से इंकार किया है।