Sakinaka Rape Murder Case: साकीनाका बलात्कार और हत्या मामले के आरोपी को मिला मृत्यु दंड
Sakinaka Rape Case: साकीनाका बलात्कार और हत्या मामले में विशेष न्यायाधीश एचसी शेंडे, ने हमले की क्रूरता का हवाला देते हुए अपराध को "दुर्लभ से दुर्लभ" के रूप में वर्गीकृत किया, जिससे महिला को घातक चोटें आईं थीं और उसकी मृत्यु का कारण बनीं।
मुंबई की एक विशेष अदालत ने पिछले साल साकी नाका में एक दलित महिला से बलात्कार और हत्या के आरोप में 44 वर्षीय व्यक्ति को मौत की सजा सुनाई है। पिछले साल इस क्रूर घटना ने बड़े पैमाने पर सार्वजनिक हंगामा किया था, जिसके बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने त्वरित न्याय का आश्वासन दिया और मुंबई पुलिस ने तीन सप्ताह से भी कम समय में आरोप पत्र दायर किया था।
इस मामले में आरोपी मोहन चौहान को सोमवार को मुंबई की एक अदालत ने धारा 302 (हत्या), 376ए (बलात्कार और चोट पहुँचाने का अपराध जिसके कारण मृत्यु हो जाती है।) सहित 376 (2) (एम) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचारों की रोकथाम) की धाराओं के साथ भारतीय दंड संहिता के (बलात्कार करते समय गंभीर शारीरिक क्षति या अपंग या महिला के जीवन को खतरे में डालना) अधिनियम और महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम के आरोपों में दोषी ठहराया गया था। चौहान को दो मामलों में मौत की सजा सुनाई गई थी।
वहीं विशेष न्यायाधीश एचसी शेंडे, ने हमले की क्रूरता का हवाला देते हुए अपराध को "दुर्लभ से दुर्लभ" के रूप में वर्गीकृत किया, जिससे महिला को घातक चोटें आईं थीं और उसकी मृत्यु का कारण बनीं।
उपनगरीय मुंबई के साकीनाका में एक खड़े टेंपो के अंदर 34 वर्षीय महिला के साथ बलात्कार और क्रूरता की गई थी, जिसके बाद 9 सितंबर, 2021 की रात को, महिला घायल हालत में पड़ी मिली थी। उसे नागरिक अस्पताल ले जाया गया, जहां 11 सितंबर को उसकी मौत हो गई। चार्जशीट में मुंबई पुलिस ने कहा था कि चौहान महिला को जानता था और वह उससे बचने का प्रयास कर रही थी, जिसके कारण आरोपी ने उस पर हमला कर दिया।
साकीनाका मामले के बाद, मुंबई पुलिस ने हर थाने में महिलाओं के लिए एक विशेष दस्ते का गठन किया, और उन क्षेत्रों में गश्त बढ़ा दी जहां महिलाओं के खिलाफ अपराध अधिक होते हैं। मुंबई पुलिस ने पुलिस थानों को उन लोगों के बारे में अलग-अलग रिकॉर्ड रखने का भी निर्देश दिया था, जिन्हें पिछले पांच वर्षों में महिलाओं के खिलाफ अपराध में आरोपी बनाया गया हों।