शिवाजी कॉलेज की सोसाइटी 'दिशा' ने किया अपने पहले वार्षिक कार्यक्रम 'आरोहण' का उद्घाटन
दिशा के वार्षिक कार्यक्रम के दौरान आईएफएस हर्ष के उद्बोधन के पश्चात मुख्य अतिथि आईआरएस सचिन जैन ने भी अपनी बात रखी। जहां शुरुआत मे उन्होंने कुछ सामान्य सवालों के जवाब दिए जो हर एक आकांक्षी के मन में होता है।
दिशा ने 15 अप्रैल को अपने पहले वार्षिक कार्यक्रम 'आरोहण' के उद्घाटन कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम मुख्य रूप से माॅक परीक्षा के फायदों एवं यूपीएससी परीक्षा की तरफ हमारा दृष्टिकोण कैसा हो, इस विषय पर केंद्रित रहा।
कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 11 बजे अनुराग एवं रूची के स्वागत भाषण के साथ हुई तथा कार्यक्रम के मुख्य वक्ता हष॔ (आईएफएस 2016) तथा कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सचिन जैन (आईआरएस 2016) रहे।
वहीं मंच पर बैठै गणमान्य व्यक्तियों में प्रोफेसर दर्शन पांडेय, श्रीमान हेमंत लांबा एवं प्राचार्य महोदय प्रोफेसर शिव कुमार शहदेव मौजूद रहे।
प्रोफेसर दर्शन पांडेय ने कार्यक्रम को प्रस्तावित करते हुए मुख्य वक्ता आईएफएस हर्ष को आमंत्रित कर उनसे अपने कीमती शब्द श्रोताओं के सामने रखने के लिए आग्रह किया। उन्होने एक बुनियादी परिचय के साथ अपनी बातों को शुरू किया, जिसमें उन्होने परीक्षा के तीनो चरण: प्रीलिम्स ,मेन्स एवं इंटरव्यू के बारे मे चर्चा की तथा सामाजिक दबाव से उबरने के भी कुछ उपाय सुझाये। वहीं अंत मे उन्होने कहा कि ' यूपीएससी को मात्र एक करियर की तरह देखे, जीवन-मरण की तरह नहीं।'
आईएफएस हर्ष के उद्बोधन के पश्चात मुख्य अतिथि आईआरएस सचिन जैन ने भी अपनी बात रखी। शुरुआत मे उन्होंने कुछ सामान्य सवालों के जवाब दिए जो कि हर एक आकांक्षी के मन में होता है जैसे कि -
> क्यों, कैसे और कब हमे यूपीएससी की तैयारी शुरू करनी चाहिए?
> अगर यूपीएससी मे उत्तीर्ण न हुए, फिर क्या?
> सिविल सर्विसेज सबसे उत्तम सर्विस क्यों ?
जिसके बाद उन्होने अपने जवाबों को कुछ खास उदाहरण के बल से उचित भी सिद्ध किया तथा माॅक परीक्षा की अहमियत पर जोर देते हुए उन्होंने अधिक से अधिक माॅक परीक्षा देने के सुझाव दिए।
सुझवों के उपरांत ' दिशा' द्वारा एक इंटरएक्टिव सत्र भी रखा , जिसमें कुछ रोचक सवाल-जवाबों के जवाब भी रखे गए तथा अंत में सभी को धन्यवाद करते हुए प्रोफेसर दर्शन सर ने कार्यक्रम को अंजाम तक पहुंचाया।