ताजमहल, संगमरमर के मकबरे के बारे में कुछ रोचक तथ्य
ताजमहल की गिनती दुनिया के प्रमुख हेरिटेज साइट्स में होती है। यह अपनी खूबसूरती के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। ताजमहल देखने के लिए दुनिया भर से लोग आते हैं।
ताजमहल की गिनती दुनिया के प्रमुख हेरिटेज साइट्स में होती है। यह अपनी खूबसूरती के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। ताजमहल देखने के लिए दुनिया भर से लोग आते हैं। प्रेम के प्रतीक ताजमहल को बनाने का काम साल 1632 में शुरू हुआ था। वहीं, यह 1653 में बनकर तैयार हुआ था। जबकि, 1983 में ताजमहल को यूनेस्को की विश्व धरोहर का दर्जा मिला था। इतिहासकारों के अनुसार शाहजहाँ के शासन काल में स्थापत्य कला का पुनरुद्धार हुआ था। शाहजहाँ ने कई प्रसिद्ध विरासत स्थलों का निर्माण किया था। इनमें लाल किला, जामा मस्जिद और ताजमहल प्रमुख हैं। फिर भी बहुत कम लोगों को ताजमहल के बारे में उचित जानकारी है। आइए, प्यार के प्रतीक ताजमहल से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में जानते हैं-
कुतुब मीनार से भी ऊंचा है ताज महल:
इतिहासकारों के अनुसार ताजमहल की ऊंचाई कुतुबमीनार से भी ज्यादा है। ऐसा माना जाता है कि ताजमहल कुतुब मीनार से लगभग 5 फीट ऊंचा है|
मजदूरों के नहीं कटे थे हाथ:
कहा जाता है कि ताजमहल को बनवाने के बाद शिल्पकार उस्ताद अहमद लोहारी के हाथ काट दिए गए थे। इसी के साथ यह बात भी प्रचलित है कि सभी मजदूरों के भी हाथ कटवा दिए थे ताकि फिर से ताज महल न बन सके। हालाँकि, यह बात भी वास्तव में गलत है। प्रेम के प्रतीक, ताजमहल के निर्माण के बाद उस्ताद लाहौरी ने लाल किला भी बनवाया था।
पूरे दिन बदलता है कई बार रंग:
एक बात जो आपको बहुत अलग लग सकती है, लेकिन सच्चाई यह है कि ताज दिन में तीन बार अपना रंग बदलता है। रंग में बदलाव प्रकाश और समय के आधार पर देखा जाता है। ताजमहल सुबह गुलाबी और शाम को दूधिया सफेद और चांदनी रात में सुनहरा दिखाई देता है। अगर आप अलग-अलग समय में एक से अधिक बार ताजमहल के दर्शन कर चुके हैं, तो आपने देखा होगा कि ताजमहल का रंग दिन और रात में अलग-अलग होता है। अगर आपने इस बात पर ध्यान नहीं दिया है तो इस बार जरूर ध्यान दें।
ताजमहल के निर्माण के लिए बाहर से लाए गए थे पत्थर:
जड़ाई के काम के लिए कीमती और अर्ध-कीमती पत्थरों को काम में लाया गया था जो लगभग 28 विभिन्न प्रकार के थे। ये पत्थर श्रीलंका, तिब्बत, चीन और यहां तक कि भारत की भी कई जगहों से मंगवाए गए थे। दीवारों में उकेरी गई सुलेख में कुरान की कविताओं को शामिल किया गया है जिनमें स्वर्ग की बातें लिखी गई हैं।
ताजमहल में कब्रें:
ताजमहल के बीच में शाहजहाँ और मुमताज महल दोनों की कब्रें हैं। ये कब्रें शून्य स्मारक कब्रें यानी सांकेतिक कब्रें हैं। असल में दोनों को नीचे एक तहखाने में अचिह्नित ,कब्रों में दफनाया गया है क्योंकि कब्रों की सजावट इस्लाम में मना है।