रिकवरी एजेंट की धमकियों से हो रही हैं आत्महत्याएं, चीन में भेजे गए 21 हजार करोड़ रुपए
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो(NCRB) की रिपोर्ट को मानें तो 'क्राइम इन इंडिया 2019' रिपोर्ट के अनुसार पूरे देश में साल 2017 में साइबर अपराध से सम्बंधित कुल 21,796 मामले दर्ज हुए थे।
कोविड-19 के समय लॉकडाउन लगने से देश में अनेक लोगों की नौकरी चली गई है। जिसके चलते बेरोजगार लोग कोई नया काम शुरू करने के लिए विभिन्न ऐप की मदद से लोन लेने लगे थे। उनमें से बहुत से लोगों द्वारा लोन नहीं चुका पाने पर रिकवरी एजेंटों के परेशान करने पर आत्महत्या का कदम उठाया है। इंस्टेंट लोन ऐप्स की 'वसूली गैंग' के ऑनलाइन टॉर्चर की शिकायत मिलते ही मंगलवार को साइबराबाद और हैदराबाद पुलिस ने गुड़गांव और हैदराबाद से 19 लोगों को गिरफ्तार किया है। जांच पड़ताल में पता चला है कि इन सब के पीछे चार चीनी कंपनियां जिम्मेदार हैं। चीनी कंपनियों की मदद से एक्टिव इंस्टेंट लोन ऐप्स के टॉर्चर कोरोना की दूसरी लहर के बाद से देशभर में तेजी से बढ़े हैं।
साइबर अपराध पर NCRB की रिपोर्ट
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो(NCRB) की रिपोर्ट को मानें तो 'क्राइम इन इंडिया 2019' रिपोर्ट के अनुसार पूरे देश में साल 2017 में साइबर अपराध से सम्बंधित कुल 21,796 मामले दर्ज हुए थे। वहीं, साल 2018 में कुल 27,248 केस दर्ज थे, जबकि साल 2019 में ये आंकड़ा तेजी से बढ़ कर 44,546 तक पहुंच गया था, जो साल 2017 की अपेक्षा लगभग दोगुने केसों से भी ज्यादा है।
साल 2019 में साइबर अपराध में आईटी एक्ट से जुडे पैसे के लेन-देन में करीब 3,393 केस दर्ज हुए थे। जिनमें एटीएम से फ्रांड, ऑनलाइन बैंकिंग फ्रांड और ओटीपी(OTP) समेत अन्य कई मुद्दे शामिल थे। इन सब के अलावा सबसे ज्यादा आनलाइन बैकिंग से लगभग 2,093 मामले सामने आए थे।
इंस्टेंट लोन ऐप्स और 'वसूली गैंग' के कारण हुई आत्महत्याएं
समाचार वेबसाइट 'द स्क्रॉल' के अनुसार, इंस्टेंट लोन ऐप्स के जरिये लोन लेकर आत्महत्या करने की पहली घटना हैदराबाद में 17 दिसम्बर को सामने आई थी, जिसमें वसूली गैंग की धमकियों से परेशान होकर एक 25 वर्षीय महिला ने जान दे दी थी। आत्महत्या की एक और घटना 18 दिसम्बर को हुई थी, जिसकी जांच पड़ताल हैदराबाद की पुलिस ने शुरू की और 21 दिसंबर को 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया।
जांच को आगे बढ़ाने पर पुलिस को पता चला कि ऐप्स द्वारा लोन देकर वसूली के मामले कई शहरों में फैले हुए हैं। इसके पश्चात हैदराबाद और साइबराबाद पुलिस ने दिल्ली, गुड़गांव और हैदराबाद से कुल 17 लोगों को गिरफ्तार करते हुए लोन कंपनियों के खिलाफ 23 मामले दर्ज किए हैं। तेलंगाना डीजीपी दफ्तर से जारी बयान के अनुसार, गूगल प्ले स्टोर पर कम से कम 60 इंस्टेंट मोबाइल लोन ऐप मौजूद थे, जिनके जरिये तुरंत लोन दिया जाता था और फिर लोन चुकाने के नाम पर व्यक्ति को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता था। जिससे परेशान होकर कुछ लोग आत्महत्या भी कर लेते थे।
- दिल्ली के निवासी हरीश ने इंस्टेंट लोन ऐप से पैसे लिए थे, लेकिन पैसों को समय से पहले वसूलने के लिए रिकवरी एजेंट द्वारा हरीश के ऊपर दबाव बनाया गया। जब इससे बात नहीं बनी तो रिकवरी एजेंट ने हरीश के पिता के नाम पर वाट्सएप ग्रुप बना दिया और उन्हें भी परेशान किया जाने लगा।
- शिवपुरी के युवक राजकुमार कुशवाह ने रिकवरी एजेंट की धमकियों से परेशान होकर फांसी लगाकर आत्मदाह कर लिया। राजकुमार ने एप के द्वारा लोन लिया था। इसी ऐप कंपनी से रात में 6,000 रुपए देने के लिए राजकुमार को कॉल करके धमकाया गया, जिसके बाद राजकुमार के पिता के पास भी धमकी भरा कॉल आया, जिसमें उन्हें 6,000 रुपए नहीं दिए तो की धमकी दी गई। इसी से परेशान होकर राजकुमार ने आत्महत्या कर ली।
-TOI की रिपोर्ट्स के अनुसार, मोनिका नाम की एक युवती ने भी ऐप रिकवरी एजेंट द्वारा प्रताड़ित किए जाने पर जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी। उसने शुरुआत में ऐप से सिर्फ 5 हजार रुपये का लोन लिया था और बाद में उसे एक लोन को चुकाने के लिए कई अन्य लोन लेने पड़े थे। अंत में मोनिका के ऊपर 2.5 लाख रुपये का कर्ज हो गया था, जिसे चुका ना पाने की स्थिति में उसने आत्महत्या कर ली।
इंस्टेंट लोन ऐप्स कैसे फंसाते हैं लोगों को कर्ज के जाल में
गूगल प्ले स्टोर में 5 से 10 मिनट के अंदर लोन देने के लिए कैश मामा, हे फिश, लोन जोन, धनाधन जैसे दर्जनों ऐप मौजूद हैं। इन ऐप्स को डाउनलोड करने पर एक दूसरे ऐप में जाने को कहा जाता है, जहां से कम ब्याज दर से लोन देने की प्रक्रिया शुरू होती है। इन ऐप्स में आधार कार्ड, पैन कार्ड की डिटेल्स और आवेदक की एक तत्कालीन फोटो ली जाती है। इन सब जानकारियों के अलावा लोन लेने वाले व्यक्ति के मोबाइल फोन के कॉन्टैक्ट डिटेल और फोटो गैलरी का एक्सेस भी ले लिया जाता है। यह सब प्रकिया कुछ ही मिनटों में हो जाती है और इसके बाद लोन के पैसे अप्लाई करने वाले इंसान को दे दिए जाते हैं।
शुरूआत में लोन चुकाने की अवधि एक हफ्ता होती है। अगर इस अवधि में लोन नहीं चुकाया गया तो व्यक्ति के साथ ब्लैकमेलिंग शुरू हो जाती है। लोन लिए हुए व्यक्ति के फोटो पर फ्रॉड लिखकर सार्वजनिक करने, रिश्तेदारों को फोन कर बदनाम करने और वाट्सएप ग्रुप बनाकर उसे धोखेबाज साबित करने की धमकियां दी जाती हैं। इन सब धमकियों से लोन लेने वाले व्यक्ति बहुत परेशान हो जाते हैं, तो वे लोग दूसरे ऐप के माध्यम से लोन लेकर उसे चुकाने को कह देते हैं। वहीं कुछ केसों में एक हफ्ता खत्म होने पर रोजाना जुर्माने के रूप में मोटी रकम चार्ज की जाती है। जिससे कुछ ही दिनों में मामूली सी छोटी रकम एक मोटी राशि में तब्दील हो जाती है।
तीन चीनी नागरिकों के साथ 30 लोग हुए गिरफ्तार
साइबराबाद पुलिस कमिश्नर ने जांच में बताया कि पुलिस के लिए सबसे बड़ी समस्या मनी ट्रेल को ट्रैक करना है। इंस्टैंट लोन ऐप्स में कई विदेशी नागरिक भी शामिल हैं। इन विदेशी नागरिकों और उनके बिजनेस मॉडल की जांच पुलिस द्वारा की जा रही है। इसके अलावा पुलिस ने गूगल से करीब 150 लोन ऐप्स को प्ले स्टोर से हटाने के लिए भी कहा है, लेकिन अभी तक प्ले स्टोर से कुछ ही ऐप हटे हैं। इन सबके अतिरिक्त तेलंगाना पुलिस ने लगभग 30 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिममें 3 चीनी नागरिक भी शामिल हैं। गुरुग्राम, बेंगलुरू, हैदराबाद समेत कई अन्य जगहों पर बने इन ऐप्स के कॉल सेंटर बंद चल रहे हैं।
भारत से चीन में 21 हजार करोड़ रुपये का हुआ ट्रांजेक्शन
अब तक पुलिस ने जांच में एक हजार करोड़ रुपये का डिस्बर्समेंट प्रोसेस पाया है। वहीं हैदराबाद पुलिस ने पता लगाया कि अब तक 21 हजार करोड़ रुपये के ट्रांजेक्शन चीन की चार अलग-अलग कंपनियों में हुए हैं। जिसमें से कुछ ट्रांजेक्शन बिटकॉइन में हुए हैं और उन्हें हवाला के माध्यम से विदेश भेजा जाता है। विभिन्न मामलों में पुलिस ने 110 करोड़ रुपये जब्त किए हैं। वहीं मनी लॉन्ड्रिंग वाले मामले की जांच इन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) कर रहा हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक के गाइडलाइंस के खिलाफ है यह प्रक्रिया
ऑनलाइन इंस्टेंट लोन देने वाली चाइनीज मोबाइल ऐप कंपनी जिस तरह के गैरकानूनी तरीके अपनाती है, उससे NBFC (Non-Banking Financial Company) के भविष्य को खतरा हो सकता है। NBFC ग्राहकों को लोन 32 से 40 % के ब्याज पर देती है, जो भारतीय रिजर्व बैंक की गाइडलाइंस के खिलाफ है। ये इंस्टेंट लोन देने वाले ऐप्स पहले तो 2 से 3 महीने की समय सीमा देते हैं, लेकिन 1 या 2 हफ्ते में ही रिकवरी एजेंट फोन करके धमकाने लगते हैं।
लोन लेते समय इस बात का रखें ध्यान
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के मुताबिक, यदि आप लोन देने वाली किसी लिस्टेड वेबसाइट या उसके ऐप पर जाते हैं, तो इस बात का ध्यान रखें कि वो वेबसाइट या उसके ऐप RBI से रजिस्टर्ड हो, या फिर RBI से जुड़े किसी बैंक या NBFC के साथ काम कर रहा हो। लोने देने वाली कंपनी की डिटेल्स जानने के लिए उसकी पहचान संख्या (CIN) और सर्टिफिकेट ऑफ रजिस्ट्रेशन भी देखें।
इन सभी बातों के अलावा लोन लेते समय यह जरूर देखें कि पेमेंट की मिनिमम और मैक्सिमम समय सीमा क्या है? और अधिकतम ब्याज दरें क्या हैं? लोन की फीस, रिस्क और बेनिफिट्स की पूरी जानकारी अच्छे से हासिल करने के बाद ही लोन लें। वहीं यदि लोन देने वाली ऐप कंपनी की तरफ से आपको ये बातें साफ तौर पर अगर नहीं बताई जाती हैं तो ऐसे ऐप्स से बिल्कुल भी लोन लेने की कोशिश ना करें। अगर आपको लोन लेने की जरूरत है तो सरकारी ऐप्स के द्वारा लोन लें, इसके अलावा कई प्राइवेट बैंकों से भी आप लोन ले सकते हैं।