नागरिकों के जीवन के अधिकार का उल्लंघन नहीं कर सकते: पटाखा निर्माताओं की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट
पटाखों के निर्माता संघ की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वह "कुछ लोगों के रोजगार की आड़ में" अन्य नागरिकों के जीवन के अधिकार का उल्लंघन नहीं कर सकता है।
पटाखों के निर्माता संघ की याचिका पर सुनवाई करते हुए एएस बोपन्ना और एमआर शाह की पीठ ने मंगलवार को कहा कि वह "कुछ लोगों के रोजगार की आड़ में" अन्य नागरिकों के जीवन के अधिकार का उल्लंघन नहीं कर सकता है।
पीठ ने कहा, "हमारा मुख्य ध्यान निर्दोष नागरिकों के जीवन के अधिकार पर है। अगर हमें यह लगता है कि हरे पटाखे हैं और विशेषज्ञों की समिति द्वारा स्वीकार किए जाते हैं तो हम उपयुक्त आदेश पारित करेंगे।" साथ ही पीठ ने यह भी कहा कि हमारे देश में मुख्य कठिनाई कानून का परिपालन है। पीठ का कहना था कि हमें रोजगार, बेरोजगारी और नागरिकों के जीवन के अधिकार के बीच संतुलन बनाना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुलिस आयुक्त को यह जिम्मेदारी दी जा सकती है कि वह देखे कि प्रतिबंधित केमिकल वाले पटाखे बनाने वालों को रोका जाए। कोर्ट के सामने यह शिकायत आई थी कि पटाखा निर्माता प्रतिबंधित केमिकल का इस्तेमाल करते हुए पटाखे बना रहे हैं और उनकी ठीक से लेबलिंग नहीं कर रहे हैं।
उद्योग में नियोजित लोगों की दुर्दशा पर भी दिया जाना चाहिए ध्यान:
पटाखा निर्माता संघ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आत्माराम नाडकर्णी ने कहा, "दीपावली चार नवंबर को है। हम चाहते हैं कि पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पीईएसओ) फैंसला करे। सरकार को इस मामले पर फैसला करना चाहिए, क्योंकि लाखों लोग बेरोजगार हैं।"
वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि शिकायत को सुना जाना जरूरी है और इसे तार्किक रूप से समाप्त किया जाना चाहिए साथ ही उद्योग में काम करने वाले लाखों लोगों की दुर्दशा पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
अदालत के आदेशों को लागू करने में विफल रही है कार्यपालिका:
याचिकाकर्ता अर्जुन गोपाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि उच्च न्यायालय ने कई आदेश पारित किए हैं और निर्देश भी दिए गए हैं ताकि पीईएसओ उन पटाखों को अंतिम मंजूरी दे सके जो सुरक्षित हैं।
पर्यावरण और वन मंत्रालय की ओर से उपस्थित एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि मंत्रालय ने अक्टूबर 2020 में एक हलफनामा दायर किया था और यदि उच्च न्यायालय इस पर ध्यान देती है तो सभी अंतरिम आवेदन उसमें शामिल हो जाएंगे। सभी विशेषज्ञों ने एक साथ आकर हरित पटाखों के मुद्दे पर सूत्रीकरण का सुझाव दिया है।
शंकरनारायणन ने कहा, वायु प्रदूषण के कई मुद्दों से निपटने के लिए 2015 में याचिका दायर की गई थी और बाद के वर्षों में कई आदेश पारित किए गए थे। कई आदेशों के बावजूद, कार्यपालिका हानिकारक पटाखों और पटाखों की लगातार बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए उचित कारवाई नहीं कर रही है। उन्होंने आगे कहा, "पटाखे नारकोटिक्स नहीं हैं कि कोई बाथरूम में धूम्रपान करेगा। यह बिना किसी दंड के चल रहा है और कार्यपालिका इस अदालत के आदेशों को लागू करने में विफल रही है।"
शंकरनारायणन ने आरोप लगाया कि केंद्र ने अब पीईएसओ को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है और परोक्ष रूप से यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि बेरियम नाइट्रेट पर से प्रतिबंध हटा लिया जाए।
पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा हर दिन आदेशों का उल्लंघन होता है और हर धार्मिक आयोजन, विजय जुलूस, विवाह में हम आदेशों की धज्जियां उड़ते हुए देख सकते हैं। उन्होंने कहा, "हमें किसी पर दायित्व तय करना होगा, अन्यथा यह बिल्कुल नहीं रुकेगा।"
सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने से किया था इंकार:
उच्च न्यायालय ने पहले पटाखों की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया था और कहा था कि बिक्री केवल लाइसेंस प्राप्त व्यापारियों के माध्यम से हो सकती है और केवल हरे पटाखे ही बेचे जा सकते हैं। पटाखों की ऑनलाइन बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है।
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