मुजफ्फरनगर में हुई महापंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा ने कृषि कानूनों के खिलाफ लंबी लड़ाई का संकल्प लिया
3 कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई कर रहे 40 किसान संघों की संयुक्त किसान मोर्चा समिति (एसकेएम) ने आज मुजफ्फरनगर के सरकारी इंटर कॉलेज (जीआईसी) में किसान महापंचायत का आयोजन किया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 15 राज्यों के 300 किसान संघों से जुड़े 15 हजार से ज्यादा किसान महापंचायत में शामिल हुए।
3 कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई कर रहे 40 किसान संघों की संयुक्त किसान मोर्चा समिति ने आज मुजफ्फरनगर के सरकारी इंटर कॉलेज में किसान महापंचायत का आयोजन किया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 15 राज्यों के 300 किसान संघों से जुड़े 15 हजार से ज्यादा किसान महापंचायत में शामिल हुए।
महापंचायत में, भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सरकार द्वारा सभी मांगों को पूरा किए जाने तक दिल्ली की सीमाओं पर 3 कृषि बिलों का विरोध करने का संकल्प लिया। किसान नेता ने कहा, "आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार हमारी मांगें पूरी नहीं करती। हम धरनास्थल नहीं छोड़ेंगे, चाहे हमारी कब्र क्यों न बन जाए"।
इस मौके पर योगेंद्र यादव, बलदेव सिंह राजेवाल, गुरनाम सिंह चधुनी और मेधा पाटकर मंच पर किसान नेताओं में शामिल थे। वहीं योगेंद्र यादव ने सरकार पर पिछले कई सालों से गन्ने के दामों में बढ़ोतरी नहीं करने और लोगों को सांप्रदायिक आधार पर बांटने का आरोप लगाया।
मोर्चा ने देश के हर राज्य और जिले में एसकेएम की स्थापना की घोषणा की और समर्थकों से 25 सितंबर के बजाय 27 सितंबर को भारत बंद का पालन करने को कहा। इससे पहले, मोर्चा ने एक बयान में, 3 कृषि बिलों को रद्द करने की मांग की, इस डर से कि इससे एमएसपी को खतरा होगा और किसानों को बड़े कॉरपोरेट्स की दया पर छोड़ दिया जाएगा।
2022 विधानसभा चुनाव
एसकेएम ने कहा कि महापंचायत 'मिशन उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड' का उद्घाटन करेगी, जिसे दोनों राज्यों में भाजपा शासन की हार सुनिश्चित करने के लिए जमीनी स्तर पर ले जाया जाएगा।
गौरतलब है कि मुजफ्फरनगर राकेश टिकैत का गृह जिला है जबकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों का वर्चस्व है। यूपी विधान सभा की 403 सीटों में से 100 से अधिक सीटें पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आती हैं। एसकेएम नेता दर्शन पाल सिंह ने महापंचायत में घोषणा की कि गन्ना मुद्दे पर अगली बैठक 9 व 10 सितंबर को लखनऊ में होगी।
आपको बतादें कि पिछले साल संसद द्वारा पारित और जनवरी में एससी द्वारा रोके गए 3 कृषि कानूनों का विरोध करने वाले किसानों को 9 महीने से अधिक समय हो गया है। जबकि सरकार का दावा है कि इन कानूनों से किसानों को उनकी उपज की कीमत का बेहतर एहसास होगा, जबकि किसानों ने इन कानूनों को रद्द करने की मांग की है, जिससे निजी कंपनियां गरीब किसानों का शोषण न कर सकें।
इस साल गणतंत्र दिवस की हिंसा तक 10 दौर की बातचीत हो चुकी है परंतु उसके बावजूद भी दोनों पक्षों के बीच गतिरोध नहीं मिट सका है।