Book Review: मुनव्वर राना साहब की खूबसूरत गजलों का गुलदस्ता “पीपल छाँव”

राना साहब ने कई प्रसिद्ध किताबें लिखी हैं जैसे मुहाजिरनामा, माँ और पीपल छाँव, आज हम पीपल छाँव पर बात करते हैं जो तकरीबन 90 गजलों का एक खूबसूरत गुलदस्ता है, पीपल छाँव पढते हुए आपको एक उदासी, एक दुख, वर्तमान समय की त्रासदी और कष्ट करीब से महसूस होगा, हम सभी की एक किताब-भर जिदगीं तो होती ही है, और पीपल छाँव किताब पढते हुए आप अपनी वो किताब-भर जिन्दगी को जैसे एक बार दोबारा जी लेते हैं

March 6, 2021 - 13:57
January 7, 2022 - 22:00
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Book Review: मुनव्वर राना साहब की खूबसूरत गजलों का गुलदस्ता “पीपल छाँव”

साहित्य समाज का दर्पण होता हैं, गजलें, शेर-ओ-शायरी, नज्म, कविता, कहानियों और उपन्यास के आप जितना करीब पहुँचते हैं उतना ही आप खुदसे भी रूबरू हो रहे होते हैं, उर्दू गजलों और मुशायरों की बात हो तो मुनव्वर राना साहब को कोई कैसे भूल सकता है, उनके द्वारा रचित पीपल छाँव एक खूबसूरत गजलों का गुलदस्ता है। राना जी बताते हैं कि जब वे पढाई के दिनों में कलकत्ता(कोलकाता) में रहा करते थे तो उनके बंगाली दोस्त अक्सर उन पर तंज किया करते थे कि जब हमारा बांग्ला साहित्य अंग्रेजों से जंग किया कर रहा था तब आपकी उर्दू किसी नगरवधू की देहरी से उतर रही थी, साथ ही राना साहब के दौर की शायरी आने से पहले उर्दू गजलें, महबूब, मोहब्बत, चाँद और हिज्र(विरह) से भरी हुई थी, जैसे ही राना साहब ने शायरी लिखना शुरू किया तो कई जगहों से असहमतियाँ आईं, लोगों ने आपत्ति की इसके पीछे का कारण ये था कि राना साहब ने अपनी माँ को अपना महबूब मानकर उन पर शायरी करना शुरू किया, वे तर्क करते हैं कि जब एक सामान्य शक्ल-ओ-सूरत की महिला मेरी महबूब हो सकती हैं तो मेरी माँ क्यों नहीं, महबूब का मायने सिर्फ एक ही नहीं हो सकते, और अपनी खूबसूरत गजलों का एक गुलदस्ता उन्होनें पीपल छाँव किताब के माध्यम से पाठकों को उपहार के रूप में दिया है।

Munawwar Rana पीपल छाँव

पीपल छाँव, खूबसूरत गजलों का गुलदस्ता:-

राना साहब ने कई प्रसिद्ध किताबें लिखी हैं जैसे मुहाजिरनामा, माँ और पीपल छाँव, आज हम पीपल छाँव पर बात करते हैं जो तकरीबन 90 गजलों का एक खूबसूरत गुलदस्ता है, पीपल छाँव पढते हुए आपको एक उदासी, एक दुख, वर्तमान समय की त्रासदी और कष्ट करीब से महसूस होगा, हम सभी की एक किताब-भर जिदगीं तो होती ही है, और पीपल छाँव किताब पढते हुए आप अपनी वो किताब-भर जिन्दगी को जैसे एक बार दोबारा जी लेते हैं, उसमें एक टूटन है जिसके हर शे-र से आप अपनी निजी जिंदगीं से जोड़ कर देख पाते हैं, अगर आपने अपने घर से पलायन किया हैं, आप अपनी मिट्टी छोड़कर चंद सिक्कों के लिए शहर आए हैं तो इस किताब की कुछ गजलें आपको रूला देगीं, इसलिए ही कई खूबसूरत गजलों का गुलदस्ता है पीपल छाँव, यदि आपने किसी से बेइन्तहा प्यार किया है और अब वो आपके साथ नहीं है तो “हिज्र में पहले-पहल रोना बहुत अच्छा लगा”, “बिछड़ने वालों का अब इन्तजार क्या करना”, “कभी खुशी से खुशी की तरफ नहीं देखा” जैसी गजलें आपकी भाग-दौड़ भरी जिन्दगी को कुछ लम्हे के लिए रोक देगीं, गुरबत(गरीबी) पर भी राना साहब ने खूब कलम चलाई हैं,, “हमें मजदूरों की मेहनतकशों की याद आती हैं”, “बिलखते-चीख़ते बच्चों को रोता छोड़कल जाना”, जैसी गजलों में वो बेबसी आपको दिखाई देती हैं।

Munawwar Rana पीपल छाँव

निष्कर्ष:-

अंत में हम यह निर्णय आपके विवेक के ऊपर छोड़ते हैं,, इस किताब की सबसे शानदार बात ये हैं कि इसमें किसी एक विषय पर ही सबकुछ नहीं लिखा गया है, मुनव्वर राना जी ने हर विषय को उतनी ही गंभीरता से उतना ही शानदार लिखा है, खूबसूरत गजलों का एक गुलदस्ता है पीपल छाँव, यह कहने के पीछे का हमारा तर्क आपको एक बार इस किताब को पढकर समझ आएगा, हाँ यदि आप एक अच्छी किताब की खोज में है तो ये किताब सबसे पहले आपके किताब-घर में होनी चाहिए।

चलते-चलते राना साहब की खूबसूरत गजलों का गुलदस्ता “पीपल छाँव” नामक किताब से एक बेहतरीन गजल पढते जाइए:-

कभी ख़ुशी से ख़ुशी की तरफ़ नहीं देखा,,
तुम्हारे बाद किसी की तरफ़ नहीं देखा.

ये सोच कर कि तेरा इंतज़ार लाज़िम है,,
तमाम उम्र घड़ी की तरफ़ नहीं देखा.

यहां तो जो भी है आबे-रवां का आशिक़ है,,
किसी ने ख़ुश्क नदी की तरफ़ नहीं देखा.

वो जिसके वास्ते परदेस जा रहा हूं मैं,,
बिछड़ते वक़्त उसी की तरफ़ नहीं देखा.

न रोक ले हमें रोता हुआ कोई चेहरा,,
चले तो मुड़ के गली की तरफ़ नहीं देखा.

बिछड़ते वक़्त बहुत मुतमुइन थे हम दोनों,,

tenguriya_ji Trainee Journalist @IIMC DELHI