समाज को जागरूक कर रहे ग्रीन पेंसिल फाउंडेशन के युवा, सैंडी खांडा की पहल बन रही मिसाल
अपना एनजीओ बनाने से पहले सैंडी ने समाज से जुड़े कई एनजीओ के साथ काम किया और 2019 में खुद का ग्रीन पेंसिल फाउंडेशन एनजीओ शुरू किया, जो पूरी तरह से युवाओं के नेतृत्व वाला एनजीओ है। यह एनजीओ सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी सामाजिक कार्य कर रहा है।
आज के समय में जहां रिश्ते कमज़ोर होते जा रहे हैं और वृद्धाश्रमों में बुढ़े मां-बाप की संख्या बढ़ रही है, तो वहीं कुछ ऐसे भी नौजवान हैं जो देश सेवा की भावना लेकर दूसरे युवाओं को प्रेरित कर रहे हैं। इसी जुनून को अपना लक्ष्य बनाकर एक मध्यमवर्गीय किसान परिवार से संबंध रखने वाले सैंडी खांडा ने साल 2019 में "ग्रीन पेंसिल फाउंडेशन" की शुरुआत की थी। खांडा ही इस इस संस्थान के सीईओ और संस्थापक हैं। खांडा बताते हैं कि बचपन से ही उनकी सामाजिक कार्यो में रुचि थी। जिसे आधार बनाकर 2019 से अपने फाउंडेशन के माध्यम से खांडा समाज की मदद कर रहे हैं और देशभर के युवाओं को प्रेरित कर रहे हैं।
सैंडी खांडा का गांव से लेकर एनजीओ तक का सफर
"ग्रीन पेंसिल फाउंडेशन" के सीईओ और संस्थापक सैंडी खांडा का जन्म हरियाणा के जींद जिले में एक गांव में हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव और पास के शहर करनाल से पूरी हुई थी। अपनी आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए खांडा अपने परिवार के साथ दिल्ली आ गए। किसान परिवार से होने के कारण वह बचपन में ही कई सामाजिक समस्याओं को देख चुके थे, जो बड़े पैमाने पर समाज में फैली हुई थी। दिल्ली आने के बाद उन्होंने दिल्ली एनसीआर में सबसे खराब जलवायु परिस्थितियों, दिल्ली की वायु प्रदूषण, झुग्गी बस्तियों में रहने वाले बच्चों को होने वाली समस्याओं का अनुभव किया। जिसके प्रभाव की वज़ह से वह फुल टाइम सोशल एक्टिविस्ट में बदल गए। खांडा अपने खाली समय में दोस्तों के साथ मिलकर झुग्गी-झोपड़ी के बच्चों को पढ़ाना, जलवायु विरोध का आयोजन और वृक्षारोपण का अभियान भी चलाते थे। इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्हे कंपनियों की तरफ से नौकरी का ऑफर मिला लेकिन वह सामाजिक कार्यो के लिए कुछ करना चाहते थे इसलिए उन्होंने नौकरी की बजाए समाज सेवा को महत्त्व दिया। अपना एनजीओ बनाने से पहले सैडी ने समाज से जुड़े कई एनजीओ के साथ काम किया और 2019 में खुद का ग्रीन पेंसिल फाउंडेशन एनजीओ शुरू किया, जो पूरी तरह से युवाओं के नेतृत्व वाला एनजीओ है। यह एनजीओ सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी सामाजिक कार्य कर रहा है। 2020 में नीति आयोग द्वारा खांडा को COVID-19 को हराने के विचारों पर चर्चा करने के लिए आमंत्रित भी किया गया था।
सैंडी को समाज कल्याण के लिए मिले पुरस्कार
सैंडी के बनाए फाउंडेशन में सभी युवा ही हैं, जो बिना किसी स्वार्थ के लोगों की सहायता में लगे रहते हैं। ग्रीन पेंसिल फाउंडेशन को जहां आम जनता का प्यार मिलता रहता है, वहीं इनको पुरस्कारों से भी नवाजा गया है।
- वर्ष 2019 में इनके द्वारा पर्यावरण की सुरक्षा के लिए किए गए कार्यों से प्रभावित होकर, खांडा द्वारा बुलैंड बेलफेयर सोसाइटी और नगर निगम गुड़गांव द्वारा पर्यावरण नोबल पुरस्कार भी दिया गया।
- वर्ष 2020 में ग्रीन पेंसिल फाउंडेशन को जलवायु परिवर्तन पर किए गए उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए बाल भवन में ग्रीन मेंटर्स द्वारा पुरस्कार दिया गया। वहीं नई दिल्ली में कोविड प्रभावित परिवार और पशु कल्याण में उनके काम के लिए वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स लंदन में उन्हें एक प्रशंसा प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ था।
- वर्ष 2021 में उन्हें कोरोना वायरस के समय लोगों की सहायता के लिए किए गए कार्यों के लिए बौद्धिक पंजाबी चेंबर ऑफ कॉमर्स से भी प्रशंसा का प्रमाण पत्र मिल चुका है।
गांव का लड़का जो बना लोगों के लिए आदर्श व्यक्तित्व
जहां एक तरफ सभी लोग अपना कैरियर बनाने की दौड़ में भागते हुए दिखाई देते हैं, तो वहीं सैंडी ने समाज कल्याण को ही अपना कैरियर मानकर उसे प्राथमिकता दी है। वे अपना पूरा जीवन समाज सेवा और देश की सेवा के लिए समर्पित कर चुके हैं। कोरोना की वजह से देशभर के बच्चों की पढ़ाई में आई रुकावट को दूर करने के लिए सैंडी ने शिर्ष स्तर के शिक्षकों की सहायता से इन बच्चों को पढ़ाने के लिए मुफ्त मास्टर कक्षाएं भी शुरु करवाई थी। कोरॉना के दौर में सैंडी खांडा का नाम भारत के सामाजिक कार्यों और लेखन के लिए जाना जाता है। सैंडी जहां अपने सामाजिक कार्यों से देशभर की युवा पीढ़ी को प्रेरित किया तो वहीं दूसरी तरफ वह लोगों के लिए एक व्यक्तित्व बन गए हैं।