Tax free "The Kerala Story": जानिए कैसे होती है फिल्में टैक्स फ्री।
टैक्स फ्री फिल्म का मतलब होता है कि उस फिल्म पर दर्शकों को कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है, जिससे उन्हें थोड़ी राहत मिलती है। फिल्म के निर्माताओं को भी टैक्स नहीं देना पड़ता है और इससे उन्हें भी कुछ लाभ हो सकता है।
"द केरल स्टोरी" फिल्म पर राज्यों में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं हो रही हैं। बीजेपी शासित राज्यों में इसे टैक्स फ्री किया गया है जबकि तीन राज्यों ने इसे बैन कर दिया है। जब कोई फिल्म टैक्स फ्री होती है तो उसके दर्शकों को कुछ लाभ होता है।
टैक्स फ्री फिल्म का मतलब होता है कि उस फिल्म पर दर्शकों को कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है, जिससे उन्हें थोड़ी राहत मिलती है। फिल्म के निर्माताओं को भी टैक्स नहीं देना पड़ता है और इससे उन्हें भी कुछ लाभ हो सकता है। दर्शकों के लिए फायदे की बात करें तो टैक्स मुद्रा का एक हिस्सा होता है, जो फिल्म के टिकट की कीमत में शामिल होता है। टैक्स फ्री फिल्मों के टिकट में यह अंतर होता है जिससे दर्शकों को कुछ छूट मिलती है। इसके अलावा, फिल्म निर्माताओं के लिए भी इससे लाभ हो सकता है, क्योंकि उन्हें अधिक लोगों को अपनी फिल्म देखने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
जब कोई फिल्म टैक्स फ्री हो जाती है तो दर्शकों को फिल्म टिकट पर कई तरह के टैक्स नहीं देने पड़ते हैं। फिल्म देखना सस्ता हो जाता है जिससे लोगों को फायदा होता है। ऐसे में दर्शकों की संख्या बढ़ती है जो फिल्म बनाने वालों को भी फायदा पहुंचाता है। यह राज्य का विषय होता है जो इस निर्णय को लेने के लिए उचित कदम उठा सकता है।
किसी फिल्म पर कितने तरह के टैक्स लगते हैं?
देश में GST लागू होने के बाद से दो तरह के टैक्स टिकट के बेस प्राइस पर लगते हैं। इसे एंटरटेनमेंट टैक्स भी कहते हैं। अगर सिनेमा हॉल में टिकट की कीमत 100 रुपए तक रखी हो तो उस पर 12 फीसदी जीएसटी लगता है, इस 12 फीसदी जीएसटी को दो हिस्सों में तोड़ा जाता है सेंट्रल जीएसटी यानि सीजीएसटी (CGST) और स्टेट जीएसटी यानि एसजीएसटी (SGST)।
हालांकि अब कोई भी 100 रुपए तक होता नहीं। मल्टीप्लेक्स में जाकर मूवी देखने में टिकट का बेस प्राइस करीब 200 रुपए होता है। तब जीएसटी 18 फीसदी हो जाता है। यानि 09 फीसदी हिस्सा केंद्र का और 09 फीसदी राज्य का। हालांकि जीएसटी का नया प्रावधान लागू होने से पहले सिनेमा टिकटों पर 28 फीसदी जीएसटी लगता था जो अब उसकी तुलना में काफी कम हो गया है।
मूवी के टैक्स फ्री होने का मतलब क्या होता है?
जीएसटी में केंद्र द्वारा लगाए गए टैक्स को आमतौर पर माफ नहीं किया जाता है, लेकिन राज्य अपने टैक्स यानि जीएसटी को माफ कर सकते हैं। इससे टिकट की कीमत सस्ती हो जाती है। टिकट के बेस प्राइस में केवल केंद्र का जीएसटी लगता है। अगर टिकट की बेस प्राइस 200 रुपए है तो उस पर 18 फीसदी के हिसाब से कुल जीएसटी 72 रुपए लगेगा। इसमें से 36 रुपए केंद्र के पास जाएँगे और 36 रुपए एसटीएसटी के रूप में राज्य के पास जाएंगे।
जब राज्य कोई फिल्म टैक्स फ्री करते हैं तो इसका मतलब यह होता है कि वे अपने हिस्से की जीएसटी नहीं लेते हैं। इससे फिल्म से उनका हिस्सा कम हो जाता है।
फिल्म टैक्स फ्री होने से दर्शकों को क्या फायदा होता है?
जब कोई राज्य सरकार अपने यहां किसी फिल्म को टैक्स फ्री करती है तो उसमें उसके हिस्से की जीएसटी लागू नहीं होती तो उसका दाम कम हो जाता है तो दर्शकों को ये सस्ता पड़ता है.
क्या इससे फिल्म के प्रोड्यूसर्स को भी कोई फायदा होता है?
प्रत्यक्ष तौर पर कोई फायदा नहीं होता लेकिन अगर टैक्स फ्री होने से ज्यादा दर्शक आने लगते हैं तो फिल्म ज्यादा कमाई करती है. यह स्थिति हमेशा फिल्म प्रोड्यूसर के लिए फायदेमंद होती है. टैक्स फ्री करने से दर्शकों के बीच एक अलग तरह का संदेश भी जाता है और ऐसी स्थिति में फिल्म को थिएटर में देखने वाले दर्शक बढ़ते ही हैं.
हालिया टैक्स फ्री फिल्में कौन सी हैं?
हाल के कुछ सालों में राज्य सरकारों द्वारा कुछ फिल्मों को टैक्स फ्री किया गया है, जैसे द कश्मीर फाइल्स, उरी, तान्हाजी, छपाक, पैडमैन, टॉयलेट - एक प्रेम कथा, हिंदी मीडियम, सचिन - ए बिलियन ड्रीम्स, दंगल, नीरजा, सरबजीता, नील बटे सन्नाटा, एयरलिफ्ट, बाजीराव मस्तानी, मांझी - द माउंटेनमैन और मेरी कोम. रिचर्ड एटनबरो की "गांधी" भी ऐसी फिल्म है जो केंद्र और राज्यों द्वारा टैक्स फ्री की गई थी। ये सभी फिल्में सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता पैदा करने से लेकर प्रेरणा देने वाले विषयों पर आधारित हैं।