Global Warming: ग्लोबल वार्मिंग से हिमालय के भूभाग पर पानी की किल्लत के आसार, “सुदृढ़ हिमालय, सुरक्षित भारत“ योजना की होगी शुरूआत

हिमाचल जलवायु परिवर्तन केंद्र के वैज्ञानिकों का मानना है कि हिमालय में ग्लोबल वार्मिंग के चलते यहां की कुल बर्फ में 0.72 फीसदी की कमी दर्ज की गई है जो जलवायु के हिसाब से सही नहीं है।

December 26, 2021 - 21:27
December 29, 2021 - 22:54
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Global Warming: ग्लोबल वार्मिंग से हिमालय के भूभाग पर पानी की किल्लत के आसार, “सुदृढ़ हिमालय, सुरक्षित भारत“ योजना की होगी शुरूआत
ग्लोबल वार्मिंग (प्रतीकात्मक फोटो : Pixabey)

सुदृढ़ हिमालय, सुरक्षित भारत" की योजना के तहत देश के लगभग 17 विश्वविद्यालयों और 15 राज्यों से लगभग 50 विशेषज्ञ शिमला में कार्यक्रम करने जा रहे हैं। इस कार्यक्रम को संबोधित वरिष्ठ सलाहकार विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी भारत सरकार डॉ. अखिलेश गुप्ता करेंगे। जिसमें ये सभी विशेषज्ञ ग्लोबल वार्मिंग, ग्लेशियर के पिघलने और पर्यावरण में तेजी से हो रहें बदलावों पर अपनी बातों को देश के साथ साझा करेंगे। साथ ही हिमालय को सुरक्षित रखने के लिए अपने शोध और भविष्य की जरूरी जानकारियों को सबके सामने रखेंगे, यह अहम जानकारी शिमला के पत्रकारों को वहां के मुख्य सचिव पर्यावरण विभाग एवं प्रौद्योगिकी प्रबोध सक्सेना द्वारा दी गई।

हिमाचल प्रदेश को स्वतंत्रता के बाद उस क्षेत्र की लगभग 30 पहाड़ी रियासतों को मिला कर 15 अप्रैल 1948 के दिन एक प्रदेश बनाया गया। जिसके बाद साल 1956 में इसे केन्द्र शासित प्रदेश घोषित किया गया । वहीं हिमाचल प्रदेश राज्य को अधिनियम-1971 के अन्तर्गत इसे 25 जनवरी 1971 को भारत का अठारहवाँ राज्य बनाया गया।

हिमालय में है वनस्पतियों का असीमित भंडार

हिमालय में लगभग 5.5 लाखवर्ग किलोमीटर से भी अधिक क्षेत्र में फैले इकोसिस्टम में हजारों प्रकार के जीव जंतुओं और वनस्पतियों की प्रजाति पाई जाती हैं। जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा 2018 के शोध के अनुसार कुल 30377 जंतुओं की प्रजातियां और उप- प्रजातियांहहैं। दूसरी तरफ वनस्पतियों की प्रजातियों की बात करें तो इनका अनुमान भी लगाना मुश्किल है। वहीं जीव विज्ञानियों का कहना है कि लगभग 6 या 7 प्रजातियां जल्द ही विलुप्त हो सकती हैं। जिसके बहुत से कारण हो सकते हैं। जिनमें जलवायु परिवर्तन, जंगलों का कटना, जंगलों में आग का बार-बार लगना, जल धाराओं में गंदगी जमा होने से उनका सुखना, खराब वन प्रबंधक और स्थानीय लोगों व पर्यटकों में जागरूकता की कमी। इन सब कारणों से हम मानव जाति इनके अस्तित्व का संकट बनते जा रहे हैं। अगर हम आज भी जागरूक नहीं हुए तो पूर्ण रूप से विलुप्त हो जाएंगे और जिसके जिम्मेदार हम मानव होंगे।

हिमालयी भूभाग पर ग्लोबल वार्मिंग से पानी की किल्लत

हिमाचल जलवायु परिवर्तन केंद्र के वैज्ञानिकों का मानना है कि हिमालय में ग्लोबल वार्मिंग के चलते यहां की कुल बर्फ में 0.72 फीसदी की कमी दर्ज की गई है जो जलवायु के हिसाब से सही नहीं है। साल 2018-19 और साल 2019-20 की अनुसार बर्फ का कुल औसत क्षेत्र 20,210.23 वर्ग से घटकर 20.064 वर्ग किमी हो गया है। इंडिया स्पेंड में दिसंबर 2019 के एक रिपोर्ट के अनुसार भारत 181 देशों में से पांचवें नंबर पर आता है, जो जलवायु परिवर्तन की मार से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। मौजूदा हालात के हिसाब से 2050 तक इन इलाकों से जुड़े शहरों की जलापूर्ति में 25% से 75% की गिरावट देखने को मिल सकती है। वैज्ञानिकों ने चेताया है कि हिमालय में ऐसे ही बर्फ तेजी से पिघलती रही तो जल्द ही आने वाले समय में भारत को गंभीर जलसंकट का सामना करना पड़ा सकता है।

प्रोजेक्ट कैफरी के तहत जलवायु का संरक्षण

नया प्रोजेक्ट कैपरी यानी ग्रामीण भारत में जलवायु अनुकूलन और वित्त लांच किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट को खास तौर पर हिमाचल और उत्तर प्रदेश के लिए जर्मनी की एजेंसी द्वारा शुरू किया जा रहा है। जर्मनी के राजदूत ने कहा है कि यह एजेंसी महिलाओं को तकनीकी मदद भी देगी।

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