संयुक्त अरब अमीरात ने भारतीय गेहूं के निर्यात पर चार महीने की लगाई रोक, वैश्विक व्यापार प्रवाह में रुकावट को बताया कारण

UAE bans Indian wheat exports: यूएई के अर्थव्यवस्था मंत्रालय ने अपने फैसले के पीछे वैश्विक व्यापार प्रवाह में रुकावट को कारण बताया है और कहा है कि भारत ने घरेलू खपत के लिए संयुक्त अरब अमीरात को गेहूं के निर्यात को मंजूरी दी थी।

June 17, 2022 - 10:19
June 18, 2022 - 04:09
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संयुक्त अरब अमीरात ने भारतीय गेहूं के निर्यात पर चार महीने की लगाई रोक, वैश्विक व्यापार प्रवाह में रुकावट को बताया कारण
UAE bans Indian wheat exports

रूस यूक्रेन युद्ध के बीच दुनिया में भारतीय गेहूं की मांग बढ़ रही है। जिसके पीछे का मुख्य कारण यह है कि भारतीय गेहूं अंतरराष्ट्रीय कीमत से 40% सस्ते में उपलब्ध हो जाती है। इस बीच संयुक्त अरब अमीरात ने भारतीय गेहूं और गेहूं के आटे को नहीं मंगाने का निर्णय लिया है। न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, संयुक्त अरब अमीरात के अर्थव्यवस्था मंत्रालय ने भारत में उत्पन्न होने वाली गेहूं और गेहूं के आटे के निर्यात और पुनः निर्यात को चार महीने तक निलंबित करने का आदेश दिया है।

यह है कारण

यूएई के अर्थव्यवस्था मंत्रालय ने अपने फैसले के पीछे वैश्विक व्यापार प्रवाह में रुकावट को कारण बताया है और कहा है कि भारत ने घरेलू खपत के लिए संयुक्त अरब अमीरात को गेहूं के निर्यात को मंजूरी दी थी।

निर्यात की इच्छा रखने वाली कंपनियों को देना होगा आवेदन

मंत्रालय ने कहा है कि यह प्रतिबंध सभी गेहूं की किस्मों पर लागू होगा जैसे कि हार्ड, साधारण, नरम गेहूं और गेहूं का आटा। अब 13 मई से पहले यूएई में लाए गए भारतीय गेहूं का निर्यात या पुनः निर्यात करने की इच्छा रखने वाली कंपनियों को पहले इकोनॉमी मिनिस्ट्री को आवेदन देना होगा।

भारत में 14 मई को गेहूं के निर्यात पर लगाया था प्रतिबंध

14 मई को भारत ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। भारत ने प्रतिबंध लगाते हुए कहा था कि निर्यात पर अचानक अंकुश लगाने का एक कारण भारतीय गेहूं की जमाखोरी और तीसरे देश में इसका कारोबार करना है।

भारत और यूएई के बीच बड़ा समझौता

यूएई और भारत के बीच फरवरी में एक व्यापार और निवेश समझौता हुआ था, जिसमें एक दूसरे के सामानों पर सभी शुल्कों में कटौती और पांच वर्षों के भीतर अपने वार्षिक व्यापार को 100 अरब डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया था। यह समझौता व्यापक आर्थिक भागीदारी व्यापार समझौते के रूप में जाना जाता है जो 1 मई को प्रभाव में आया था।

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