विराट ने छोडी टेस्ट की कप्तानी, कहीं आलोचना तो कहीं स्वागत से कोहली के फैसले का हुआ सम्मान

कोहली के नेतृत्व में भारत को 40 टेस्ट मैचों की जीत मिली है। कोहली के फैसले को लेकर पूर्व कप्तान कपिल देव ने कहा कि कोहली को अपना अहंकार छोड़ना चाहिए।

January 17, 2022 - 18:55
June 25, 2022 - 04:07
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विराट ने छोडी टेस्ट की कप्तानी, कहीं आलोचना तो कहीं स्वागत से कोहली के फैसले का हुआ सम्मान
विराट ने छोडी टेस्ट की कप्तानी: gettyimages

टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और युवा क्रिकेटर विराट कोहली ने अब टेस्ट के कप्तानी से भी इस्तीफा दे दिया हैं। उनके फैसले से क्रिकेट जगत में कोहराम सा मच गया है। क्रिकेट प्रेमियों को इस फैसले से धक्का सा लगा है। साल 2014-15 में पूर्व कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी ने जब ऑस्ट्रेलिया दौरे में क्रिकेट से सन्यास लिया उसी के बाद कोहली को टेस्ट की कप्तानी मिली।

कोहली के नेतृत्व में भारत को 40 टेस्ट मैचों की जीत मिली है। कोहली के फैसले को लेकर पूर्व कप्तान कपिल देव ने कहा कि कोहली को अपना अहंकार छोड़ना चाहिए। बहुत से खिलाड़ी जूनियर कप्तानी में मैच खेले हैं। सौरभ गांगुली (BCCI के अध्यक्ष)ने कहा कि यह कोहली का निजी फैसला है और बोर्ड उनके फैसले का सम्मान करता हैं। वहीं BCCI सचिव जय शाह ने कहा कि विराट कोहली भारत के सर्वश्रेष्ठ कप्तानों में से एक रहे हैं। एक लीडर के रूप में टीम के लिए उनका योगदान और उपलब्धि बेहद शानदार रहा।

भारत को 40 टेस्ट में जीत दिलाना, यह बताता है कि उन्होंने पूरी ईमानदारी और कड़ी मेहनत से टीम का नेतृत्व किया। उनकी कप्तानी में भारत ने घर(भारत) और बाहर(विदेश) दोनों जगह कई यादगार जीत दर्ज की। इसमें ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, वेस्टइंडीज, श्रीलंका और दक्षिण अफ्रीका में मिली जीत शामिल है। अंत में गांगुली ने विराट के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए कहा, मुझे विश्वास और आशा है कि वह भारतीय टीम के लिए मैदान पर ऐसे ही योगदान जारी रखेंगे।”

कुछ लोगों का यह मानना है कि यह लड़ाई विराट कोहली बनाम बीसीसीआई बन चुकी थी।

इस बारे में वरिष्ठ खेल पत्रकार चंद्रशेखर लूथरा ने कहां, "इस सिरीज़ के नतीजे से पहले ही कोहली को यह पता चल गया था कि बीसीसीआई उनको कप्तानी से बाहर का रास्ता दिखाती, उससे पहले कोहली ने समझदारी दिखाते हुए खुद ही इस्तीफ़ा दे दिया। आप इसे कोहली बनाम बीसीसीआई की लड़ाई कहना कोई जल्दीबाजी नहीं होगा। यह एक बार फिर से ज़ाहिर हो गया है कि, BCCI जैसे संस्थान के सामने किसी एक व्यक्ति की नहीं चलती।"

लेकिन शायद BCCI को विराट के इस्तीफे स्वीकार करने से पहले विराट कोहली के टेस्ट टीम के कप्तान के तौर पर योगदान को देखा जाना चाहिए। उनके इस्तीफ़े की घोषणा के ठीक बाद बीसीसीआई ने सोशल मीडिया पर उनके योगदान की तारीफ़ करते हुए उन्हें टेस्ट क्रिकेट का सबसे कामयाब कप्तान बताया।

कुछ समय पहले की घटना यदि आप सबको याद होगी तो इसी भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने एक महीने पहले दक्षिण अफ्रीका के ख़िलाफ़ वनडे सिरीज़ से पहले विराट कोहली को कप्तानी से हटाया था तो इस बारे में टीम की घोषणा की रिलीज़ में सिर्फ दो लाइन में रोहित शर्मा को कप्तानी दिए जाने का जिक्र था, कोहली के योगदान या उनका आभार जताए जाने का कोई जिक्र नहीं था। और उससे भी एक माह पहले तक तो विराट कोहली भारतीय क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट के कप्तान थे।

यानी समय के पहिया ने कोहली रूपी सूरज को उनके अस्त में पहुंचा दिया है, जहां से बतौर पेशेवर क्रिकेटर वे खुद को टीम में बनाए रख पाए तो यही उनके लिए बड़ी कामयाबी होगी।

 

कप्तान के तौर पर उभरे विराट

2008 में विराट अंडर 19 विश्व कप में विजेता दल के कप्तान थे। टेस्ट के कप्तान कोहली 2014 में और 2012 में ODI मैच में उपकप्तान नियुक्त हुए। और इंडियन प्रिमीयम लीग में रॉयल चैलेंजर बैंगलोर टीम के कप्तान हैं। विराट कोहली ने भारत के लिए कुल 68 टेस्ट मैचों की कप्तानी की, जिसमें उन्होंने 40 मैचों में जीत दिलाई, उनकी कप्तानी में भारत ने 17 टेस्ट गंवाए जबकि 11 मैच ड्रॉ हुए।

भारत की ओर से किसी भी कप्तान ने इतने टेस्ट मैचों में जीत हासिल नहीं की। वहीं वनडे मुक़ाबले में विराट कोहली ने जिन 95 मैचों में भारत की कप्तानी की उनमें 65 मैचों में टीम इंडिया ने जीत हासिल की।

वनडे में महेंद्र सिंह धोनी (110), मोहम्मद अजहरूद्दीन (90) और सौरव गांगुली (76) मैचों में जीत हासिल करने वाले कप्तान ज़रूर रहे लेकिन इनमें से किसी का भी विनिंग परसेंटेज 70 से ज़्यादा का नहीं रहा।

आंकड़े ही नहीं बल्कि विदेशी पिचों पर जो सफलता विराट कोहली की अगुवाई में टीम इंडिया ने हासिल की, वह उन्हें बेहतरीन कप्तान में शुमार करता रहेगा। और लगातार यह भी याद दिलाता रहेगा कि विराट कोहली को जिस तरह के व्यवहार से उन्हें अपनी कप्तानी छोड़ने पर विदाई मिली, वे उससे भी कहीं बेहतर सम्मान के हक़दार थे।

BBC से बातचीत में वरिष्ठ क्रिकेट पत्रकार सी. शेखर लूथरा बताते हैं, "देखिए जिस दिन विराट कोहली ने सार्वजनिक तौर पर बीसीसीआई से अलग लाइन नाप ली थी, टी-20 कप्तान से हटाए जाने के बाद उनका जो भी गुस्सा फूटा था, वह व्यक्त न कर पाने वाला था। लेकिन यह स्पष्ट था कि वे गुनागनित के मकड़जाल से फैल कर गए थे। देर सबेर उनको जाना ही था। टेस्ट सिरीज़ हारने के बाद उनको हटाया ही जाता। क्योंकि इस बीच यह ध्यान रखना होगा कि बीते दो साल से कोहली का अपना बल्ला भी उस तरह से नहीं चला, जिसके लिए वे जाने जाते रहे हैं।"

पिछले दो सालों में उनके बल्ले से शतक भले नहीं निकले हों लेकिन वे लगातार रन बनाते रहे हैं। उनको रनों के लिए मशक्कत करते नहीं देखा गया। आज भी सचिन तेंदुलकर के सौ शतकों के रिकॉर्ड को तोड़ने वाले वे सबसे प्रबल दावेदार लगते हैं। लेकिन इसके लिए उन्होंने टीम में अपनी जगह बचाकर रखनी होगी।

कोहली के खाते में अब तक कुल 70 शतक दर्ज़ है जिसमें 27 टेस्ट क्रिकेट और 43 वनडे क्रिकेट में बनाए है। लेकिन यह चुनौती अब आसान नहीं रहने वाली है।

सी. शेखर लूथरा कहते हैं, "बतौर बल्लेबाज़ उन्हें अब पहले से कहीं ज़्यादा बेहतर प्रदर्शन करना होगा। नए कप्तान के साथ उन्हें तालमेल भी बिठाना होगा। किसी भी सिरीज़ में उनके खराब प्रदर्शन उन्हें हमेशा के लिए बाहर का रास्ता दिखा सकती है।"

हालांकि क्रिकेट गलियारों में यह चर्चा भी चल रही है कि विराट कोहली ने अपनी ओर से बीसीसीआई से सफ़ाई पेशकश करने की कोशिश ज़रूर की है, लेकिन इस बार बीसीसीआई के अंदर उनका बचाव करने वाला कोई दमदार लीडर मौजूद नहीं था। इसमें अब कोई दोराय नहीं है कि विराट कोहली को अब एक नयी शुरुआत करनी होगी।

हालांकि बल्लेबाज़ी तकनीक के सहारे वे अभी भी दो तीन साल तक क्रिकेट खेल सकते हैं, कुछ दावों का मानना है कि शनिवार से ही बतौर ब्रैंड उनकी वैल्यू घटती जाएगी। वह वैल्यू कितनी कम होगी यह भी उनके बल्ले पर निर्भर करेगा।

Praween Yadav आपकी आवाज़ में दम होगा, तो लोग दूर तक सुनेंगे लेकिन अगर आपकी बात में दम होगा तो लोग देर तक सुनेंगे