केरल का कुंबालंगी बना भारत का प्रथम सैनिटरी पैड्स मुक्त गांव
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कुंबलंगी को आदर्श गांव घोषित किया है।
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन की सहायता से लागू की गई इस परियोजना ‘अवलक्कयी’ तहत कुंबालंगी पंचायत में रहने वाली महिलाओं को मेंस्ट्रूअल कप बांटे गए हैं।
बता दें इस परियोजना के तहत लगभग 5000 से अधिक मेंस्ट्रूअल कप बांटे गए हैं। ऐसे में कुंबालंगी भारत का प्रथम सेनेटरी पैड्स मुक्त गांव बन गया है।
कुंबालंगी आदर्श गांव के रूप में घोषित हुआ –
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कुंबलंगी को आदर्श गांव घोषित किया। बता दें कि कुंबालंगी गांव भारत का प्रथम आदर्श पर्यटन गांव भी माना जाता है।
इस गांव को प्रधानमंत्री संसदीय क्षेत्र आदर्श ग्राम योजना के माध्यम से क्रियान्वित किया जा रहा है।
क्या होता है मेंस्ट्रूअल कप ?
मेंस्ट्रूअल कप मूलतः सिलिकॉन से बना एक कप होता है। महिलाएं इस कप का इस्तेमाल पीरियड के दौरान करती हैं। इसको इस्तेमाल करना काफी आसान है। यह कप आपका पीरियड ब्लड जमा करता रहता है। कप का इस्तेमाल करने के बाद इसे गर्म पानी में उबालकर दोबारा इस्तेमाल भी किया जा सकता है।
क्यों है सुरक्षित सैनिटरी पैड्स की तुलना में मेंस्ट्रूअल कप ज्यादा सुरक्षित ?
पीरियड्स के दौरान मेंस्ट्रूअल हाइजीन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दूसरी चीजों से काफी सेफ है मेंस्ट्रूअल कप।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मेंस्ट्रूअल कप की देखभाल ठीक से की जाए तो यह लगभग 2 से 3 साल तक चलाए जा सकता है।
क्या सैनिटरी पैड्स से पर्यावरण को नुकसान होता है ?
मेंस्ट्रूअल कप की तुलना सेनेटरी पैड से करें तो यह मेंस्ट्रूअल कप काफी इको फ्रेंडली है ।
डाउन टू अर्थ की रिपोर्ट के अनुसार भारत में मिलने वाले सैनिटरी पैड्स में लगभग 90% प्लास्टिक की मात्रा होती है। जो कि पर्यावरण के लिए काफी घातक है भारत में हर साल लगभग 12,000 करोड़ सैनिटरी पैड्स इस्तेमाल किए जाते हैं।