Good News: सरकारी बैंकों के आए अच्छे दिन, 48,874 करोड़ रुपए का हुआ मुनाफा

सरकार ने मंगलवार को संसद में कहा है कि अप्रैल 2021 से दिसंबर 2021 की अवधि में बैंकों ने अच्छा मुनाफा बनाया है और कोई भी सरकारी बैंक अब घाटे में नहीं है। सरकार के इस कथन के बाद यह कहना उचित होगा कि अब बैंकों के भी अच्छे दिन आ चुके हैं। आइए जानते हैं पूरी खबर

March 15, 2022 - 06:37
March 18, 2022 - 06:40
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Good News: सरकारी बैंकों के आए अच्छे दिन, 48,874 करोड़ रुपए का हुआ मुनाफा
भारतीय करेंसी- फोटो: सोशल मीडिया

सरकारी बैंकों (Public Sector Bank) की हालत पहले के मुकाबले अब बेहतर होने लगी है। जिसे लेकर सरकार ने मंगलवार को संसद में कहा है कि बीती तीन तिमाही में किसी भी सरकारी बैंक को नुकसान नहीं हुआ है। वहीं सभी सरकारी बैंकों का इस समय के दौरान कुल 48,874 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ है। इसके अलावा 2020-21 में सरकारी बैंकों को कुल मिलाकर 31,820 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था। वहीं सरकार द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, साल 2010 के मुकाबले साल 2021 में सरकारी बैंकों की शाखाओं की संख्या 40 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ी है।

सरकारी बैंकों के मुनाफे में हुई बढ़ोतरी

मंगलवार को राज्य सभा में वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने लिखित में जवाब देते हुए कहां कि मौजूदा वित्त वर्ष में कोई भी सरकारी बैंक घाटे में नहीं है। इसके साथ ही वर्तमान वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में बैंकों को कुल 48,874 करोड़ रूपये का मुनाफा हुआ है। मुनाफे के आंकड़े को बताते हुए भागवत कराड ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2015–16 से 2019–20 के बीच सभी सरकारी बैंकों को भारी घाटे का सामना करना पड़ रहा था। हालांकि पिछले वित्त वर्ष 2020–21 में सभी सरकारी बैंकों ने कुल 31,280 करोड़ रूपये का मुनाफा बनाया था लेकिन नुकसान के आंकड़े इससे कहीं अधिक थे।

कब आए थे बैंकों के सबसे बुरे दिन?

एक ओर जहां वर्तमान वित्तीय वर्ष में बैंकों ने खूब मुनाफा बनाया है वहीं अगर बैंकों के सबसे बुरे दौर की बात करें तो, वित्तीय वर्ष 2017–18 में बैंकों को कुल 85,370 करोड़ रूपए का घाटा सहन करना पड़ा था। इससे पहले भी बैंकों को वर्ष 2018–19 में 66,636 करोड़, 2019–20 में 25,941 करोड़, 2015–16 में 17,993 करोड़ तथा 2016–17 में 11,389 करोड़ रुपए का लगातार नुकसान सहना पड़ा था। जिसके बाद से इस वर्ष बैंकों के अच्छे दिन लौटे हैं।

सरकारी बैंक के ब्रांच में बढ़ोतरी

वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने मुनाफे की जानकारी देने के साथ–साथ संसद में यह भी कहा कि वर्ष 2010 से वर्ष 2021 तक सरकारी बैंकों की ब्रांच की संख्या में भी अत्यधिक बढ़ोतरी हुई है। जहां वर्ष 2010 में सरकारी बैंक ब्रांचों की संख्या 58,650 थी, वहीं वर्तमान समय में ये संख्या बढ़कर 84,649 हो गई है। इन आंकड़ों के अनुसार शहरों के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में ब्रांचो की संख्या तेजी से बढ़ी है। एक और जहां शहरों में बैंक शाखाओं की संख्या 13,596 से बढ़कर 16,369 हो चुकी है, वहीं ग्रामीण इलाकों में शाखाओं की संख्या 14,959 से बढ़कर 23,347 हो गई है।

डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देते सरकारी बैंक

बीते कुछ वर्षों में सभी सरकारी बैंक अपने ग्राहक को आसानी से डिजिटल बैंकिंग से जोड़ने की राह में अग्रसर हैं। डिजिटल लेन–देन एवं भुगतान के लिए सरकार ने यूपीआई (UPI) का निर्माण किया। जिससे ग्राहक अपने स्मार्टफोन द्वारा कोई भी भुगतान आसानी से घर बैठे कर सकता है। वहीं फीचर फोन उपयोग करने वाले ग्राहकों के लिए सरकार ने हाल ही में यूपीआई 123पे लॉन्च किया है।

क्या है भारत में सरकारी बैंको का आंकड़ा ?

भारत के सरकारी बैंकों की सूची पर गौर करने से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि वर्तमान की सूची में कितने सारे सरकारी बैंक लुप्त हो चुके हैं। कई सरकारी बैंकों को सरकार द्वारा दूसरे सरकारी बैंकों के साथ जोड़ दिया गया है और यही कारण है कि भारत में अब मात्र 12 सरकारी बैंक उपलब्ध हैं। चलिए एक नजर डालते हैं इन सरकारी बैंकों की सूची पर–

• भारतीय स्टेट बैंक

• पंजाब नेशनल बैंक

• बैंक ऑफ बड़ौदा

• कनाडा बैंक

• यूनियन बैंक ऑफ इंडिया

• बैंक ऑफ इंडिया

• इंडियन बैंक

• सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया

• इंडियन ओवरसीज बैंक

• यूको बैंक

• बैंक ऑफ महाराष्ट्र

• पंजाब ऐंड सिंध बैंक

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