क्या होता है VPN, जिसे भारत सरकार करने जा रही है बैन? जानिए क्या हैं बैन की असल वजह
देश में VPN सर्विस बंद होने की संभावना है। मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर की मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी से हुई बातचीत में संबंधित मंत्रालय से खतरनाक VPN की पहचान करके उन्हें ब्लॉक करने के निर्देश दिए हैं।
देश में VPN सर्विस बंद होने की संभावना है। मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर की मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी से हुई बातचीत में संबंधित मंत्रालय से खतरनाक VPN की पहचान करके उन्हें ब्लॉक करने के निर्देश दिए हैं। हालांकि VPN के बैन होने से लोगों को कई तरह की चुनौतियों का भी सामना करना पड़ेगा।
बता दें कि वीपीएन को बैन करने का प्रस्ताव संसदीय स्थायी समिति लाई है, जिसका मुख्य उद्देश्य साइबर सुरक्षा को कायम करना है। समिति का कहना है कि वीपीएन साइबर अपराधों को संरक्षण देता है, जो कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है।
वीपीएन क्या है?
वीपीएन वह तकनीक है जिससे कि कोई भी फ़ोन या लैपटॉप दूर स्थित सर्वर से जुड़ जाता है, इसमे सर्वर से उपभोक्ता तक सारी जानकारी सीधे पहुंच जाती है। इसमें उपभोक्ताओं का पता गोपनीय और परिवर्तनशील होता है।
क्या होंगे वीपीएन बैन के नुकसान:
वीपीएन बैन का प्रभाव मुख्य रूप से वर्क फ्रोम होम करने वाले लोगों पर पड़ेगा क्योंकि अब तक वे किसी भी जगह से कंपनी के सर्वर में काम कर सकते थे,परंतु अब ऐसा मुमकिन नहीं होगा। यह व्यापार से लेकर शेयर बाजार तक हर किसी की कार्यशैली को प्रभावित करेगा। इसका एक बुरा प्रभाव देश की पुनः उभरती अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है। वीपीएन बैन का एक और नुकसान यह होगा कि गोपनीयता खतरे में जाने की संभावना बढ़ जाएगी। उदाहरण के तौर पर अगर आप वीपीएन का इस्तेमाल करते हैं तो हैकर्स या किसी भी थर्ड पार्टी एजेंसी के लिए ये जानना लगभग असंभव होता है कि आप इंटरनेट पर क्या कर रहे हैं। ऐसे में आपके सोशल मीडिया की गोपनीयता से लेकर बैंक खाते तक अधिक सुरक्षित रहते हैं।
क्या हैं संभावित विकल्प:
वीपीएन पर बैन लगाने से पहले सरकार को एक वैकल्पिक रूपरेखा तैयार करनी चाहिए जिससे कि किसी भी व्यापार की कार्यशैली प्रभावित ना हो। और इस बैन का बुरा प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था पर ना पड़े।