मकर संक्रांति के इस पर्व पर क्यों खाई जाती है खिचड़ी? क्या है खिचड़ी और इस पर्व का महत्त्व

खिचड़ी में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, हेल्दी फैट सहित संतुलित मैक्रोन्यूट्रिएंट्स होते हैं, जो आपके शरीर के लिए आवश्यक होते हैं। खिचड़ी को पचाना भी आसान होता हैं। जिस वजह से यह बच्चों और बुजुर्गों के लिए बेहतर डिश है।

January 14, 2022 - 18:52
January 14, 2022 - 19:12
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मकर संक्रांति के इस पर्व पर क्यों खाई जाती है खिचड़ी? क्या है खिचड़ी  और इस पर्व का महत्त्व
khichdi : gettyimages

नए वर्ष के पहले हिन्दु उत्सव यानी मकर संक्राति के इस पर्व से त्योहारों के इस मौसम की भी शुरूआत हो चुकी है। भारतीय संस्कृति में हर त्योहार का अपना अलग महत्व है और यहाँ कोई भी त्योहार अपने विशेष व्यंजनों के बिना अधुरा है। यहाँ हर त्योहार के लिए एक खास रेसिपी होती है। आज के दिन यानि शुक्रवार, 14 जनवरी को मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के रूप मे देश भर में मनाया जाता है। इस पर्व को देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे : गुजरात मे उत्तरायण, कर्नाटक मे सुग्गी, असम में माघ बिहू, उत्तर प्रदेश मे खिचड़ी आदि।

इस पर्व पर खिचड़ी (khichdi) खाने की भी विशेष परंपरा होती है। लोग इस दिन अपने घरों में स्वादिष्ट खिचड़ी बनाते हैं । मकर संक्रांति का यह त्योहार नव वर्ष की शुरूआत के रूप में पूरे देश में बड़े हर्ष उल्लास से मनाया जाता है। मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने और दान करने का भी विशेष महत्व माना जाता है। ज्योतिषों के अनुसार खिचड़ी का संबंध अलग-अलग ग्रहों से होता है। खिचड़ी में पड़ने वाले चावल, काली दाल, हल्दी और सब्जियों के अलावा इसे पकाने तक की प्रक्रिया भी विशेष रूप से ग्रहों को प्रभावित करती है।

संक्रांति पर खिचड़ी का क्या विशेष महत्व है

ज्योतिषाचार्यो द्वारा धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति पर खिचड़ी का विशेष महत्व होता है, खिचड़ी में प्रयोग होने वाली सामग्रियों जैसे- चावल, काली दाल, हल्दी, मटर और हरी सब्जियों का भी विशेष संबंध है। खिचड़ी के चावल से चंद्रमा और शुक्र की शांति का महत्व है, काली दाल से शनि, राहू और केतु का संबंध है, हल्दी से बृहस्पति का संबंध है और हरी सब्जियों से बुध का संबंध है। वहीं जब खिचड़ी पकती है तो उसकी गर्माहट का संबंध मंगल से जबकि घी से सूर्य देव का सम्बंध है। इस प्रकार लगभग सभी ग्रहों का संबंध खिचड़ी से है, इसलिए मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने और दान प्रक्रिया का अपना अलग महत्व होता हैं|

उच्च पोषण युक्त खिचड़ी का प्रभाव;

किन्तु इसके अलावा भी खिचड़ी एक ऐसा भोजन है जिसे भारत के हर हिस्से में खाया जाता है, और इसे बनाना भी आसान है। यह टेस्टी होने के साथ-साथ पोषणयुक्त भी होती है। खिचड़ी को दाल,चावल और पोषक युक्त हरी सब्जियों के साथ बनाया जाता है। खिचड़ी वास्तव में एक उच्च पोषण वाला भोजन होता है, जो विभिन्न सब्जियों और दाल-चावल के मिश्रण से बनता है। खिचड़ी में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, हेल्दी फैट सहित संतुलित मैक्रोन्यूट्रिएंट्स होते हैं, जो आपके शरीर के लिए आवश्यक होते हैं। खिचड़ी को पचाना भी आसान होता हैं। जिस वजह से यह बच्चों और बुजुर्गों के लिए बेहतर डिश है। खिचड़ी बहुत तरीके से उपयोगी डिश है, यह न केवल पाचन के लिए अपितु, वात, पित्त, कफ जैसे दोषों के लिए भी आयुर्वेदिक लाभ प्रदान करती है। खिचड़ी शरीर को भीतर से डिटॉक्सीफाई करने में भी मददगार होती है।

मकर संक्रांति का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?

मकर संक्रांति प्रकृति की उपासना का त्योहार है, जिसे फसलों व सूर्य की आराधना व कृतज्ञता के रूप मे मनाया जाता है। संक्रांति के इस दिन लोग सूर्य देव के साथ अपने आराध्य देव को खिचड़ी का भोग लगाते हैं तथा अन्न के लिए धन्यवाद अर्पण करते हैं। जिससे सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और साथ ही सभी ग्रह भी शांत होते हैं। इस दिन सूर्य देव के मंत्रों का जाप करने से भी लाभ मिलता है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण की ओर बढ़ने लगता है। दिन बड़े होने लगता है और रातें छोटी होने लगती हैं। सूर्य की गति में ठहराव होने लगता है। आज से सूर्य के तेज और ऊष्मा मे भी वृद्धि शुरू होने लगती है। सूर्य, शनि व मकर राशि में प्रवेश करता है। इसलिए इस त्योहार को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है।

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