विश्व बालश्रम निषेध दिवस: जानिए 12 जून को मनाए जाने वाले इस दिवस की क्या है 2022 का थीम?
World Child Labor Prohibition Day 2022: यह दिन बच्चों को बढ़ने और सम्मानजनक जीवन जीने की बात करता है और दुनिया भर में बाल श्रम के खिलाफ जागरूकता फैलाकर लोगों का ध्यान इस गंभीर मुद्दे की ओर ले जाता है।
“बाल दासता मानवता के लिए अपराध है। यहां इंसानियत ही दांव पर है। अभी बहुत काम बाकी है लेकिन मैं अपने जीवन काल में बाल श्रम का अंत देखूंगा।“
कैलाश सत्यार्थी का यह कथन बिल्कुल सही है और हमें बच्चों के कोमल हाथों से करवाया गया काम याद आता है। दुनिया में अब भी बच्चों से खतरनाक कार्य करवाए जाते हैं। इसी को खत्म करने के लिए विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है। आइए और विस्तार से जानते हैं इस दिन के बारे में -
इस साल की थीम
विश्व बालश्रम निषेध दिवस 2022 की थीम है “बाल श्रम को समाप्त करने के लिए सार्वभौमिक सामाजिक संरक्षण।“ यह दिन बच्चों को बढ़ने और सम्मानजनक जीवन जीने की बात करता है और दुनिया भर में बाल श्रम के खिलाफ जागरूकता फैलाकर लोगों का ध्यान इस गंभीर मुद्दे की ओर ले जाता है।
वर्चुअल होगा इस साल का कार्यक्रम
कोविड-19 के कारण इस साल का उत्सव वर्चुअल तरीके से मनाया जाएगा जो ग्लोबल मार्च अगेंस्ट चाइल्ड लेबर और इंटरनेशनल पार्टनरशिप फॉर कोऑपरेशन ऑन चाइल्ड लेबर इन एग्रीकल्चर के साथ संयुक्त रूप से आयोजित किया जाता है।
International labour organization ने की शुरुआत
विश्व बालश्रम निषेध दिवस की शुरुआत अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने 2002 में की थी्। इसके पीछे का मुख्य उद्देश्य बाल श्रम की वैश्विक स्थिति पर ध्यान देना और बाल श्रम को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए जरूरी प्रयास करना है।
हर साल 12 जून को विश्व में बाल श्रमिकों की दुर्दशा को उजागर करने के लिए सरकार उन्हें वक्ताओं और श्रमिक संगठनों और नागरिक समाज के साथ-साथ दुनियाभर के लाखों लोगों को एक साथ लाने के लिए इस दिवस का आयोजन किया जाता है।
बालश्रम क्या है?
किसी बच्चे द्वारा किया गया वह काम जो उसके लिए खतरनाक या नुकसानदेह हों। ये वो कार्य हैं जो बच्चों को स्कूली शिक्षा से वंचित करते हैं या उन पर शिक्षा और काम का दोहरा बोझ डालते हैं, उन्हें बाल श्रमिक कहा जाता है। बाल श्रम का सबसे खराब रूप बच्चों से गुलामी, वेश्यावृत्ति आदि है।
संविधान में भी है बाल श्रम पर प्रावधान
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 23 खतरनाक उद्योगों में बच्चों के रोजगार पर प्रतिबंध लगाता है। अनुच्छेद 24 स्पष्ट करता है कि 14 वर्ष से कम उम्र के किसी भी बच्चे को ऐसे कार्यों या कारखानों इत्यादि में न रखा जाए जो खतरनाक हों।
अब तक कई कानूनों से हुआ है बाल श्रम रोकने का प्रयास
भारत ने 1986 में बाल श्रम (निषेध और नियमन) अधिनियम पारित किया था। इस अधिनियम के अनुसार बालश्रम तकनीकी सलाहकार समिति नियुक्त की गई थी और इस समिति की सिफारिश के बाद खतरनाक उद्योगों में बच्चों की नियुक्ति पर रोक लगी।
बाल श्रम (निषेध और रोकथाम) संशोधन अधिनियम 2016 , 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को सभी प्रकार के व्यावसायिक कार्यों में लगाने पर प्रतिबंध लगाता है और 14 से 18 वर्ष के किशोरों पर खतरनाक व्यवसायों के कार्यों में लगाने पर प्रतिबंध लगाता है।
बच्चों के लिए रोज़गार की आयु को ‘शिक्षा का अधिकार अधिनियम’(RTE) 2009 के तहत अनिवार्य शिक्षा की उम्र से जोड़ा गया है। यह बच्चों के लिए और लाभ पहुंचाने वाला कानून है। इन कानूनों से बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है ताकि उन्हें अपना बचपन मिल सके। भारत सरकार बाल श्रम रोकने में सफल भी हुई है पर फिर भी अभी बाल श्रमिकों की संख्या बहुत है।
भारत में कितने हैं बाल श्रमिक?
राष्ट्रीय जनगणना 2011 के अनुसार, 5 से 14 वर्ष की आयु वर्ग के 260 मिलियन बच्चों की आबादी का लगभग 10 मिलियन बाल श्रमिक हैं। वहीं 15 से 18 वर्ष की आयु के लगभग 23 मिलियन बच्चे बाल श्रमिक हैं।