राजस्थान में कड़ाके की सर्दी के कारण कई जिलों में स्कूल बंद, जानिए कौनसे जिले हैं शामिल
राजस्थान के कई जिलों में नर्सरी से कक्षा 8 तक के छात्रों के लिए स्कूलों को अस्थायी रूप से बंद रखने का आदेश दिया गया है। चूरू में तापमान शून्य के करीब पहुंच गया है, जबकि माउंट आबू और गंगानगर जैसे क्षेत्रों में भी सर्दी का प्रकोप तेज़ है।
जयपुर: राजस्थान में इन दिनों शीतलहर का प्रकोप तेज़ी से बढ़ रहा है। ठंडी हवाओं और न्यूनतम तापमान में गिरावट ने जनजीवन को प्रभावित किया है। बच्चों की सुरक्षा के मद्देनज़र राज्य के लगभग सभी प्रमुख जिलों में स्कूलों को अस्थायी रूप से बंद रखने का निर्णय लिया गया है।
जिलों जैसे जयपुर, सीकर, झुंझुनू, चूरू, कोटा, उदयपुर, जोधपुर, अलवर, भीलवाड़ा और बीकानेर में प्रशासन ने स्कूलों को बंद रखने के आदेश जारी किए हैं। इस फैसले को अभिभावकों और शिक्षकों का भी समर्थन मिला है।
इन जिलों में लागू हुए आदेश
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जयपुर: जिला प्रशासन ने नर्सरी से लेकर कक्षा 8 तक के सभी स्कूलों को 10 जनवरी तक बंद रखने का आदेश दिया है। ठंडी हवाओं के चलते छोटे बच्चों को स्कूल जाने में कठिनाई हो रही है।
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सीकर और झुंझुनू: इन जिलों में शीतलहर के चलते 8वीं तक के स्कूलों को 12 जनवरी तक बंद कर दिया गया है।
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चूरू: यहां ठंड ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। तापमान शून्य के करीब पहुंच चुका है, और प्रशासन ने स्कूलों को अनिश्चितकाल तक बंद रखने का फैसला किया है।
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उदयपुर और कोटा: दक्षिणी राजस्थान के इन जिलों में भी न्यूनतम तापमान 4-5 डिग्री तक गिर गया है। प्रशासन ने बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए स्कूलों को 9 जनवरी तक बंद रखने का आदेश दिया है।
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जोधपुर और बीकानेर: पश्चिमी राजस्थान में शीतलहर के प्रकोप के चलते सरकारी और निजी दोनों स्कूल 11 जनवरी तक बंद रहेंगे।
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अलवर और भरतपुर: इन जिलों में कोहरा और पाले की समस्या बढ़ने के कारण स्कूलों की छुट्टियां बढ़ा दी गई हैं।
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भीलवाड़ा और अजमेर: यहां तापमान में गिरावट और कोहरे के कारण स्कूल बंद रखने का आदेश दिया गया है।
मौसम विभाग का अलर्ट
मौसम विभाग ने चेतावनी जारी की है कि राजस्थान में ठंड का प्रकोप अगले कुछ दिनों तक जारी रहेगा। शीतलहर और पाला पड़ने की संभावना को देखते हुए लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। चूरू, माउंट आबू और गंगानगर जैसे इलाकों में तापमान शून्य या उससे नीचे दर्ज किया जा रहा है।
अभिभावकों की प्रतिक्रिया
अभिभावकों ने प्रशासन के इस फैसले की सराहना की है। उनका कहना है कि बच्चों को ऐसे मौसम में स्कूल भेजना जोखिम भरा हो सकता है। एक स्थानीय अभिभावक ने कहा, "हम बच्चों की पढ़ाई के बजाय उनके स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हैं।"