Alluri Sitarama: पीएम मोदी स्वतंत्रता सेनानी अल्लुरी सीताराम राजू की जयंती में हुए शामिल
Alluri Sitarama: प्रधानमंत्री मोदी ने अल्लुरी सीताराम की 125वीं जयंती पर 30 फुट की कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया। इसके बाद उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी कृष्णमूर्ति के परिवार वालों से मुलाकात भी की। साथ ही उन्होंने इस मौके पर सभी स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया।
सोमवार को पीएम नरेंद्र मोदी अल्लुरी सीताराम राजू की 125वीं जयंती समारोह में आंध्र प्रदेश पहुंचे। इस दौरान उन्होंने पसाला कृष्णमूर्ति के परिवार वालों से भी मुलाकात की और अल्लुरी सीताराम की बेटी के पैर छुए।
अल्लुरी सीताराम की मूर्ति का किया अनावरण
प्रधानमंत्री मोदी ने अल्लुरी सीताराम की 125वीं जयंती पर 30 फुट की कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया। इसके बाद उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी कृष्णमूर्ति के परिवार वालों से मुलाकात भी की। साथ ही उन्होंने इस मौके पर सभी स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया।
मोदी ने पसाला कृष्णमूर्ति की बेटी के पैर छुए
परिवारजनों से मुलाकात के दौरान पीएम मोदी ने स्वतंत्रता सेनानी पसाला कृष्णमूर्ति की 90 साल की बेटी पसाला कृष्ण भारती से मुलाकात की और उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया। मोदी ने कहा “स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास कुछ वर्षों या कुछ दिनों का नहीं है, बल्कि यह देश के हर कोने से दिए गए बलिदान का इतिहास है”। उन्होंने अल्लुरी सीताराम राजू की मूर्ति का अनावरण करने के बाद कहा कि महान स्वतंत्रता सेनानी की 125वीं जयंती और रम्पा विद्रोह की शताब्दी वर्ष भर मनाई जाएगी।
कौन थे पसाला कृष्णमूर्ति
पसाला कृष्णा मूर्ति का जन्म 26 जनवरी, 1900 को वेस्ट गोदावरी जिले के तादेपल्लिगुडेम तालुका के वेस्ट विप्पार्रु गांव में हुआ था। मूर्ति 1921 में अपनी पत्नी के साथ तत्कालीन कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे। 1929 की बात है जब गांधीजी छगाल्लु के आनंद निकेतम आश्रम पहुंचे थे। वहीं पर कृष्णा मूर्ति दंपति ने खद्दर फंड के लिए सोना दान किया था। तब उनकी एक बेटी भी थी। वे नमक सत्याग्रह में भी शामिल हुए और 6 अक्टूबर, 1930 को उन्हें एक साल की सजा भी सुनाई गई और वे राजमुंदरी और वेल्लोर जेलों में बंद रहे। गांधी-इर्विन समझौते के बाद 13 मार्च, 1931 को उन्हें रिहा कर दिया गया।
फिर सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ और इस दौरान पसाला मूर्ति ने विदेशी कपड़ों की एक दुकान पर धरना दिया और 29 जून, 1932 को भीमवरम सब-कलेक्टर के दफ्तर में राष्ट्रीय झंडा फहरा दिया। जिसकी वजह से 27 जून, 1932 को उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया और एक साल की जेल और 400 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई। जुर्माना नहीं देने पर सजा को 12 हफ्ते बढ़ाने का प्रावधान था।
पसाला कृष्णा मूर्ति ने एक तरफ स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया तो दूसरी तरफ गांधीजी के बताए रास्ते पर चलकर समाज कल्याण की दूसरी गतिविधियों में भी शामिल रहे। इनमें खादी का प्रसार और हरिजनों का उत्थान शामिल है। यही नहीं मूर्ति और उनकी पत्नी अंजालक्ष्मी ने वेस्ट विप्पार्रु में एक अस्पताल का भी निर्माण करवाया, जिसका अनेकों को लाभ मिला। पसाला कृष्णा मूर्ति ने ना सिर्फ अपनी संपत्ति से लोगों की सहायता की, बल्कि उनके लिए भीख मांग कर भी पैसे जुटाए।
आजादी के बाद मूर्ति तादेपल्लिगुडेम तालुका स्वतंत्रता सेनानी संघ के अध्यक्ष रहे। वे देश के ऐसे गिने-चुने स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने इससे जुड़ा पेंशन लेने से भी मना कर दिया। यही नहीं, उन्होंने अपनी दो एकड़ जमीन वेस्ट विप्पार्रु में हरिजनों को घर बनाने के लिए दे दी थी। उनके सम्मान में तादेपल्लिगुडेम नगरपालिका ने उनके नाम पर एक स्कूल बनाया है। 20 सितंबर, 1978 को उनका निधन हो गया। गौरतलब है कि सोमवार को ही इससे पहले पीएम मोदी ने एक और स्वतंत्रता सेनानी अल्लूरी सीताराम राजू की 125वीं जयंती के अवसर पर भीमवरम में उनकी 30 फीट ऊंची कांस्य प्रतीमा का अनावरण किया। भीमावरम की सभा में पीएम मोदी ने कहा, 'आज अमृतकाल में इन सेनानियों के सपनों को पूरा करने की जिम्मेदारी हम सभी देशवासियों की है। हमारा नया भारत इनके सपनों का भारत होना चाहिए।'