Aryan Khan Clean Chit: एनसीबी ने आर्यन खान को ड्रग्स मामले में दी क्लीन चिट
Aryan Khan Drug Case: गुरूवार को स्पेशल कोर्ट में एनसीबी ने चार्जशीट दायर की जिसमें से आर्यन खान के नाम को हटा दिया गया है। एजेंसी द्वारा जारी किए गए प्रेस नोट के अनुसार, "आर्यन (खान) और मोहक को छोड़कर सभी आरोपी नशीले पदार्थों के कब्जे में पाए गए थे।
पिछले साल के चर्चित मुंबई ड्रग केस मामले में बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को एनसीबी ने क्लीन चिट दे दी है। बता दें कि एक क्रूज पार्टी के दौरान ड्रग रखने के जुर्म में आर्यन को गिरफ्तार कर लिया गया था, जिसके बाद गुरूवार को स्पेशल कोर्ट में एनसीबी ने चार्जशीट दायर की जिससे आर्यन खान के नाम को हटा दिया गया है।
एनसीबी ने क्या कहा?
एजेंसी द्वारा जारी किए गए प्रेस नोट के अनुसार, "आर्यन (खान) और मोहक को छोड़कर सभी आरोपी नशीले पदार्थों के कब्जे में पाए गए थे। संदेह से परे सबूतों के आधार पर 14 आरोपियों के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई है और पर्याप्त सबूतों के अभाव में छह (आर्यन खान सहित) के खिलाफ शिकायत दर्ज नहीं की गई है।"
एनसीबी के महानिदेशक एस.एन. प्रधान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि " एसआईटी ने सबूतों को संदेह पर वरीयता दी, जिसके आधार पर 20 आरोपियों में से छह के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं थे। इसलिए 14 अन्य के खिलाफ निर्धारित समयावधि में चार्जशीट दाखिल की गई। यदि जांच दल को कोई और सबूत मिलता है तो सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर किया जाएगा।"
क्या था मामला?
पिछले साल 3 अक्टूबर को एनसीबी ने आर्यन खान सहित उनके कुछ मित्रों को कथित रूप से क्रूज पार्टी के दौरान ड्रग रखने के जुर्म में सेक्शन 8 के तहत गिरफ्तार कर लिया था। जिसके बाद सेशन कोर्ट ने उन्हें 14 दिन के न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। हालांकि बाद में आर्यन को बॉम्बे हाईकोर्ट से बेल मिल गई थी।
इस केस के दौरान कई ड्रामे और भ्रष्ट्राचार के मामले भी सामने आए और एनसीबी के तत्कालीन निदेशक समीर वानखेड़े पर कथित रूप से जान बूझकर आर्यन खान को फसाने के आरोप भी लगाए गए थे।
एसआईटी कर रही है मामले की जांच
एनसीबी ने इस मामले को लेकर एक एसआईटी बनाई थी, और 6 नवंबर 2021 को उसे केस ट्रांसफर कर दिया था। जिसके बाद 2 मार्च को एसआईटी प्रमुख संजय सिंह ने बताया था कि आर्यन खान के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले और साथ ही साथ, एसआईटी ने आरोप लगाए थे कि एनसीबी के तत्कालीन निदेशक समीर वानखेड़े के नेतृत्व में जो जांच हुई थीं, उसमें कई गड़बड़ियां थीं।