कलकत्ता हाई कोर्ट ने लगाई पटाखों पर रोक, आदेश का उल्लंघन करने पर होगी कानूनी कार्रवाई
कलकत्ता हाई कोर्ट ने कोरोना महामारी के बीच वायु प्रदूषण को रोकने के लिए शुक्रवार को दिवाली, छठ पूजा, क्रिसमस और अन्य त्योहारों के अवसर पर पटाखों की बिक्री और उनके इस्तेमाल पर रोक लगा दी है।
कलकत्ता हाई कोर्ट ने कोरोना महामारी के बीच वायु प्रदूषण को रोकने के लिए शुक्रवार को दिवाली, छठ पूजा, क्रिसमस और अन्य त्योहारों के अवसर पर पटाखों की बिक्री और उनके इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध राय की खंडपीठ ने पुलिस को निर्देश देते हुए कहा कि यदि कोई इस आदेश का उल्लंघन करता हुआ पाया जाता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए और पटाखे जब्त कर लिए जाने चाहिए। हाई कोर्ट की पीठ ने पटाखों पर पूरी तरह से रोक लगाने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश सुनाया है।
राज्य सरकार द्वारा सीमित समय के लिए ग्रीन पटाखे फोड़ने की दी गई थी अनुमति:
इससे पहले, राज्य सरकार की ओर से सीमित समय के लिए ग्रीन पटाखे फोड़ने की अनुमति दी गई थी। मंगलवार को बंगाल सरकार ने आदेश जारी कर छठ पूजा और काली पूजा के दौरान दो घंटे तक पटाखे फोड़ने की अनुमति दी गई थी। वहीं क्रिसमस और नए साल के मौके पर 35 मिनट के लिए छूट का आदेश दिया गया था। ममता सरकार के इस आदेश को चुनौती देते हुए ही हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी।
पटाखों पर पूर्ण रूप से बैन लगाने की उठी थी मांग:
हाल ही में कोलकाता के प्रमुख डॉक्टरों, पर्यावरण एक्सपर्ट, मेडिकल एसोसिएशंस ने सीएम ममता बनर्जी को एक चिट्ठी लिखकर मांग की थी कि पटाखों पर पूरी तरह से बैन लगाया जाए। 4 नवंबर को मनाए जाने वाले त्योहार दिवाली में सुप्रीम कोर्ट ने भी पटाखों के इस्तेमाल पर रोक लगाई है।
कोरोना के बढ़ते केसों को लेकर दी गई चेतावनी:
बता दें कि केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल में कोरोना के बढ़ते केसों को लेकर चेतावनी दी है। राज्य में डॉक्टरों की एक एसोसिएशन के महासचिव मानस गुमटा ने कहा, 'दुर्गा पूजा के दौरान कोरोना प्रोटोकॉल के उल्लंघन का बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। कोलकाता और पूरे प्रदेश में कोरोना के केसों में फिर से इजाफा देखने को मिल रहा है। अब हमें काली पूजा के मौके पर कुछ नियंत्रण रखना चाहिए और पटाखे आदि से बचना चाहिए। इससे फैलने वाले धुंआ और प्रदूषण कोरोना से पीड़ित मरीजों के लिए और ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाला होगा।'