Chamoli: Security Forces से घास के लिए क्यों लड़ी पहाड़ी महिलायें, priyanka gandhi ने भी बताया बुरा
पुलिस के जवानों ने महिलाओं से चारा पत्ती और घास काटने के हथियार जब्त कर लिए। और उन्हें जबरन थाने ले गए जहां से उन्हें 6 घंटे के बाद छोड़ा गया साथ ही प्रतिबंधित क्षेत्र में हस्तक्षेप के लिए 250 रुपए का चालान भी कर दिया।
16 जुलाई को उत्तराखंड के चमोली में तीन महिलाएं और 1 पुरुष हेलंग नाम की पहाड़ी से चारा बांधकर घर ले जा रहे थे लेकिन बीच रास्ते में तैनात सुरक्षाबलों के अधिकारियों ने महिलाओं को रोका। और पूछताछ करने के बाद उन्हें स्थानीय थाने चलने को कहा। महिलाओं के विरोध करने पर पुलिस और महिलाओं के बीच विवाद बढ़ता चला गया।
पुलिस के जवानों ने महिलाओं से चारा पत्ती और घास काटने के हथियार जब्त कर लिए। और उन्हें जबरन थाने ले गए जहां से उन्हें 6 घंटे के बाद छोड़ा गया साथ ही प्रतिबंधित क्षेत्र में हस्तक्षेप के लिए 250 रुपए का चालान भी कर दिया।
देखते ही देखते इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा जिसके बाद से विपक्षी पार्टी ने पुलिस समेत सरकार की जमकर आलोचना की। जानकारी के मुताबिक ये महिलाएं THDC यानी टिहरी जल विद्युत परियोजना के डंपिंग जोन से चारा लेकर आ रहीं थी जहां इनकी झड़प ITBP और पुलिस के जवानों से हो गई।
जवाब में पुलिस ने डंपिंग जोन को प्रतिबंधित बताते हुए वहां से चारा पत्ती न लाने को कहा लेकिन महिलाओं ने कहा कि वो वर्षों से इन्हीं पहाड़ियों से घास लाकर अपने पशुओं का भरण पोषण कर रहीं है इसलिए ये उनका हक है और वो इसके लिए लड़ेंगी।
इसके बाद से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने तत्काल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन सौप मामले की जांच की मांग की। वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने अपने ट्वीट में कहा "पहाड़ों की घास पर पहाड़ के लोगों को हक न मिलना सरासर शर्मनाक है जिन महिलाओं ने पहाड़ों की रक्षा की
उनको संवारा आज उन्ही को घास काटने से रोका जा रह है।"
मामला संज्ञान में आने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गढ़वाल आयुक्त सुशील कुमार को जांच के निर्देश दिए। वहीं महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने भी डीएम चमोली को निर्देश दिए कि वो पीड़ितों से व्यक्तिगत रूप से मिलकर उनका पक्ष जाने।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि इस पूरी घटना के बाद एक बार फिर उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी और स्थानीय लोग हेलंग की सड़कों पर आ गए हैं जहां वो पिछले कई दिनों से प्रशासन की दमनकारी नीतियों के खिलाफ धरने प्रदर्शन कर रहें है। अब देखना होगा कि देवभूमि के लोग आखिर कब तक जल जंगल और जमीन के हक की लड़ाई लड़ते रहेंगे।