टोक्यो ओलंपिक 1964 में भारत को स्वर्ण पदक दिलवाने वाले भारतीय हॉकी टीम के कप्तान चरणजीत सिंह नही रहे
हॉकी इंडिया ने चरणजीत के निधन पर ट्वीट के माध्यम से शोक जताते हुए कहा कि भारत ने एक महान खिलाड़ी खो दिया। हॉकी इंडिया अध्यक्ष ज्ञानेंद्रो निगोंबम ने कहा ‘वह महान हाफबैक थे जिन्होंने खिलाड़ियों की पूरी एक पीढ़ी को प्रेरित किया।
पद्मश्री से सम्मानित, भारतीय हॉकी टीम के कप्तान चरणजीत सिंह अब नहीं रहे। चरणजीत सिंह का वीरवार सुबह पांच बजे निधन हो गया। वह 1964 में ग्रीष्मकालीन ओलंपिक हॉकी टीम के कप्तान रह चुके हैं। उनकी कप्तानी के अंतर्गत 1964 में उन्होंने देश के लिए स्वर्ण पदक जीता था। दिल का दौरा पड़ने से वीरवार को उन्होंने हिमाचल प्रदेश के ऊना में दुनियां को अलविदा कह दिया। चरणजीत सिंह लंबे समय से उम्र से जुड़ी बीमारियों से भी जूझ रहे थे। चरणजीत सिंह 93 वर्ष के थे। उनका अंतिम संस्कार ऊना के मोक्षधाम में किया गया। उनके दो बेटे और एक बेटी है। पांच साल पहले ही चरणजीत को स्ट्रोक हुआ था और तब से वह लकवा ग्रस्त थे।
उनके बेटे वीपी सिंह द्वारा बताया गया कि वह ‘'5 साल पहले स्ट्रोक के बाद से ही लकवाग्रस्त थे, वह छड़ी से चलते थे, लेकिन पिछले दो महीने से उनकी हालत और खराब हो गई। जिसके बाद गुरुवार की सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। अंतरराष्ट्रीय हॉकी के इतिहास में सुनहरे रंग बिखेरने के बाद उन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला में शारीरिक शिक्षा विभाग के निदेशक पद पर भी अपनी भूमिका निभाई। वह बड़े ही शांत, सरल, बहुमुखी प्रतिभा के धनी तथा बड़े ही सज्जन स्वभाव के व्यक्ति थे। वे हर रोज इंदिरा गांधी स्टेडियम में खिलाडिय़ों व कोच के साथ समय बिताना पसंद करते थे। खेलों से जुड़े किसी कार्यक्रम को तब तक पूरा नहीं माना जाता था, जब तक कि पद्मश्री चरणजीत सिंह उसमें सम्मिलित नहीं होते थे।
पद्मश्री चरणजीत सिंह का जन्म 22 अक्टूबर, 1928 में हुआ था। मूल रूप से वह जिला ऊना के मैड़ी (तत्कालीन पंजाब) गांव के निवासी थे। चरणजीत सिंह की पत्नी का निधन 12 वर्ष पहले ही हो चुका है। उनका बड़ा बेटा कनाडा में डॉक्टर है और छोटा बेटा उनके साथ रह रहा था। जबकि उनकी बेटी विवाह के बाद से दिल्ली में रह रही है।
हॉकी इंडिया ने चरणजीत के निधन पर ट्वीट के माध्यम से शोक जताते हुए कहा कि भारत ने एक महान खिलाड़ी खो दिया। हॉकी इंडिया अध्यक्ष ज्ञानेंद्रो निगोंबम ने कहा ‘वह महान हाफबैक थे जिन्होंने खिलाड़ियों की पूरी एक पीढ़ी को प्रेरित किया। वह शांत चित्त कप्तान थे और मैदान पर उन्हें उनके कौशल तथा मैदान के बाहर सज्जनता के लिए हमेशा याद रखा जाएगा।’
On behalf of Hockey India, we mourn the loss of a great figure of Indian Hockey, Shri Charanjit Singh.
May his soul Rest in Peace.