राज्य और उसके प्रशासन को अपने कैंपेन से बाहर रखें किसान : कैप्टन
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने किसानों से किया अनुग्रह, दिल्ली को बनाएं आंदोलन का गढ़।
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने पहली बार विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ हो रहे विरोध के प्रति चिंता व्यक्त की है , उनका कहना है को किसानों के आंदोलन से पंजाब की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। दरअसल, कैप्टन कुछ ही दिन पहले होशियारपुर जिले के एक गांव के समारोह में शिरकत करने पहुंचे थे। अपने बयान में उन्होंने आंदोलन में भाग ले रहे सभी किसानों से अनुग्रह किया कि वे पंजाब की जगह दिल्ली को अपने आंदोलन का गढ़ बनाएं और पंजाब व उसके प्रशासन को अपने कैंपेन से दूर रखें। वे आगे बोले "यदि आप केंद्र सरकार पर दबाव बनाना चाहते हैं तो अपना विरोध दिल्ली में शिफ्ट करें। अपने विरोध-प्रदर्शन से पंजाब को परेशान न करें। आज भी किसान राज्य में 113 स्थानों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और यह हमारे विकास को प्रभावित कर रहा है।"
किसानों कि समस्याओं के प्रति कैप्टन ने अपनी सरकार की अनेक नीतियों को गिनाया। उन्होंने बताया कि उनके प्रशासन ने हाल ही में किसानों से मिलने के बाद गन्ने की कीमतों को बढ़ाया है साथ ही कृषि कानूनों के खिलाफ हो रहे आंदोलन में मारे गए प्रत्येक किसान के परिजनों को नौकरी और पांच लाख रूपये देने का निर्णय भी लिया गया है।
मुख्यमंत्री ने अपने भाषण से केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि 1950 से लेकर वर्तमान तक संविधान में 127 बार संशोधन किया जा चुका है,तो फिर अब क्यों सिंधु और टिकरी बॉर्डर पर बैठे किसानों की सहायता के लिए कृषि कानूनों को निरस्त करने हेतु संशोधन नहीं किया जा रहा है? इसी के साथ वे अकाली दल पर भी तीखा हमला करते हुए बोले कि कृषि कानूनों को हरसिमरत कौर (केंद्रीय मंत्री) की सहमति से ही तैयार किया गया था और यहां तक कि पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल इन कानूनों के पक्ष में थे परंतु जब उनका दाव उल्टा पड़ गया तो उन्होंने अपनी धुन पूरी तरह से बदल दी।