कॉवैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी में हुई देरी पर WHO ने सफाई दी।
भारत की वैक्सीन निर्माता कंपनी भारत बायोटेक द्वारा बनाई गई कोवैक्सीन को भारत में और विश्व के अन्य राष्ट्रों ने आपातकालीन उपयोग की अनुमति तो दे रखी है लेकिन डब्ल्यूएचओ द्वारा अनुमति प्रदत्त वैक्सीनों में अभी तक इसकी गिनती नहीं होती है।
भारत बायोटेक का कहना है कि उनके द्वारा इस वैक्सीन से जुड़ी तमाम जानकारियां और आंकड़े 19 अप्रैल को ही डब्ल्यूएचओ को सौंप दिए गए थे।
वैक्सीन की मंजूरी में हो रही देरी का जवाब देते हुए डब्ल्यूएचओ की चीफ वैज्ञानिक शौम्या स्वामीनाथन ने यह कहा है कि कॉवैक्सीन निर्माता कंपनी भारत बायोटेक से सीधे संपर्क में रहकर डब्ल्यूएचओ की कमेटी ने सारे दस्तावेजों और आंकड़ों का निरीक्षण कर लिया है और इसकी मंजूरी का फैसला 26 अक्टूबर को होने वाली बैठक में किया जाएगा।
शौम्या स्वामीनाथन जी का कहना है कि WHO से किसी वैक्सीन के इस्तेमाल की अनुमति मिलना उस कंपनी द्वारा दिखाए गए तालमेल पर निर्भर करता है। कंपनी जितनी जल्दी आंकड़े और जानकारियां दे देगी इस्तेमाल की अनुमति उतनी ही जल्दी मिल जाएगी। कोवैक्सीन के विषय में उन्होंने कहा कि भारत बायोटेक द्वारा 27 सितंबर तक WHO से जानकारियां साझा की गई हैं ।
साथ ही साथ उन्होंने डब्ल्यूएचओ की मंशा उजागर करते हुए कहा है कि डब्ल्यूएचओ स्वयं चाहता है कि अधिक से अधिक वैक्सिनों को आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति दी जाए जिससे की वैक्सीन उचित मात्रा में विश्व के कोने-कोने तक पहुंच सके। और जहां तक भारत की वैक्सीन मैत्री की बात है तो भारत की आबादी के टीकाकरण हेतु उसे कुछ समय के लिए स्थगित किया गया था। जिसे जल्द ही पुनः बहाल करने का ऐलान राष्ट्र के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडविया द्वारा किया गया है।