दिल्ली दंगा 2020: उमर खालिद को नहीं मिली जमानत, कोर्ट ने चौथी बार खारिज की जमानत याचिका

दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने आज, गुरुवार को जेएनयू के पूर्व छात्र कार्यकर्ता उमर खालिद को 2020 के दिल्ली दंगों से संबंधित बड़ी साजिश के मामले में जमानत याचिका खारिज कर दी है।

March 25, 2022 - 02:59
March 25, 2022 - 03:01
 0
दिल्ली दंगा 2020: उमर खालिद को नहीं मिली जमानत, कोर्ट ने चौथी बार खारिज की जमानत याचिका
उमर खालिद की ज़मानत रद्द - फ़ोटो: सोशल मीडिया

दिल्ली दंगों के ‘मास्टरमाइंड’ कहे जाने वाले उमर खालिद की चौथी जमानत याचिका खारिज कर दी गई है। सितंबर 2020 से उमर खालिद सलाखों के पीछे हैं।

दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने आज, गुरुवार को जेएनयू के पूर्व छात्र कार्यकर्ता उमर खालिद को 2020 के दिल्ली दंगों से संबंधित बड़ी साजिश के मामले में जमानत याचिका खारिज कर दी है। उमर खालिद को दंगे के ‘मास्टरमाइंड’ होने के आरोप में 14 सितंबर, 2020 को गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल वह दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है।

उमर खालिद पर आरोप

उमर खालिद पर फरवरी, 2020 में हुए दिल्ली दंगो के ‘मास्टरमाइंड’ होने का आरोप है। इस दंगे में तकरीबन 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक लोग बुरी तरह घायल हुए थे। दंगे का मास्टरमाइंड होने के कारण उमर खालिद पर आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया है।

कौन है उमर खालिद?

उमर खालिद जिनका पूरा नाम सैयद उमर खालिद है, का जन्म 11 अगस्त 1987 को दिल्ली के जामिया नगर में हुआ था। खालिद ने इतिहास की पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज से की थी तथा जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से इतिहास में मास्टर्स और एम.फिल किया है। वर्तमान में उमर खालिद एक भारतीय एक्टिविस्ट तथा जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व नेता हैं। उमर खालिद पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान ‘भड़काऊ भाषण’ देने के कारण दिल्ली पुलिस द्वारा यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया था। पुलिस द्वारा की गई जांच के आधार पर पुलिस ने खालिद के भाषण को दंगे भड़काने वाला भाषण तथा खालिद को दिल्ली दंगे का ‘मास्टरमाइंड’ बताया था और 14 सितंबर 2020 को उमर खालिद को गिरफ्तार कर लिया था।

दिल्ली में भयावह दंगा होने का मुख्य कारण

23 फरवरी, 2020 को दिल्ली में हुए दंगों के मुख्य कारणों की बात करें तो उस वक्त ऐसे कई कारण थे जिन्होंने दिल्ली में भड़क रहे दंगो की आग को हवा दी थी। चलिए जानते हैं किन कारणों से दिल्ली में इतने बड़े दंगे को अंजाम दिया गया-

• सीएए कानून का विरोध– नागरिकता विधेयक के पारित होने के विरोध में दिसंबर, 2019 में दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। अधिकांश हिस्सों में प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहे तो कई जगह पथराव और वाहनों को जलाने की घटनाएं भी सामने आई, जहां देश के अलग–अलग हिस्सों में लोग विरोध का मोर्चा हाथों में लिए हुए थे वहीं दिल्ली में दिसंबर से फरवरी तक के कड़ाके की ठंड में मुस्लिम महिलाओं ने इस विरोध के मोर्चे का नेतृत्व किया था। जिसके बाद देखते ही देखते दिल्ली भारत का केंद्र होने के साथ–साथ नागरिकता कानून के विरोध का भी केंद्र बन गया। हालांकि मुस्लिम महिलाओं द्वारा किया गया प्रदर्शन शांतिपूर्ण था, परंतु सरकार के के द्वारा सुनवाई न करने के चलते लोग आक्रोशित हो गए।

• जामिया के छात्रों पर हमला– दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के कई छात्र शाहीन बाग में हो रहे नागरिकता कानून के प्रदर्शन का हिस्सा थे। छात्रों ने सीएए कानून के विरोध में प्रदर्शन के साथ नारेबाजी भी की और यही कारण था कि प्रशासन इन छात्रों से बेरुख थीं। लगातार प्रदर्शन का हिस्सा बने रहने के कारण 15 दिसंबर को सैकड़ों पुलिस अधिकारीयों ने जबरदस्ती विश्वविद्यालय में प्रवेश किया और तकरीबन 100 छात्रों को हिरासत में ले लिया। हिरासत में लेने के साथ–साथ पुलिस ने विश्वविद्यालय में तोड़फोड़ की, छात्रों को जमीन पर घसीटा एवं उन पर बेरहमी से लाठी चार्ज भी किया गया। पुलिस के लाठीचार्ज के कारण तकरीबन 200 छात्र घायल हुए जिन्हें एम्स तथा होली फैमिली अस्पताल में भर्ती कराया गया। प्रशासन के इस दुर्व्यवहार से छात्र और उनके परिजन और भी अधिक आक्रोशित हो गए, और यहीं से दंगे की आग को हवा लग चुकी थी।

• दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020– 8 फरवरी 2020 को दिल्ली में चल रहे विधानसभा चुनाव के दौरान कई नेताओं ने खासकर भाजपा के नेताओं ने प्रदर्शनकारियों के विरोध में ऐसे नारे लगाए जिसने आग में घी का काम किया। कई नेताओं ने इन प्रदर्शनकारियों को राष्ट्र विरोधी की संज्ञा दे दी थी तो वहीं केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने अपनी रैली के दौरान प्रदर्शनकारियों की तरफ इशारा करते हुए कहा– ‘गोली मारो सालों को’। अनुराग ठाकुर की इस प्रतिक्रिया के बाद भाजपा सांसद परवेश वर्मा ने भी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए एक वीडियो में कहा था कि “शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी आपके घरों में घुसेंगे और आपकी बेटियों और बहनों के साथ बलात्कार करेंगे”। सभी नेताओं ने जहां अपनी–अपनी प्रतिक्रिया दी वहीं भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने कहा था कि “शाहीन बाग मिनी पाकिस्तान बन चुका है।“ नेताओं के इन तीखी प्रतिक्रियाओं ने दंगे की आग को शांत करने की बजाए और तेज करने का काम किया।

• 22 फरवरी की घटना– दिल्ली दंगे से एक दिन पहले अर्थात 22 फरवरी को तकरीबन 1000 लोगों ने पूर्वोत्तर दिल्ली के जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया था। धरना के कारण सीलमपुर–जाफराबाद–मौजपुर रोड के साथ–साथ मेट्रो स्टेशन का प्रवेश एवं निकास मार्ग पूर्ण रूप से अवरुद्ध हो चुका था। इस प्रदर्शन में शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों के साथ भीम आर्मी भी एकत्र हुई थी जिनका मकसद 23 फरवरी से भारत बंद करना था।

• ‘23 फरवरी’ दिल्ली सांप्रदायिक दंगें– दिल्ली में भयावह दंगे की शुरुआत 23 फरवरी को हुई थी। दंगे शुरू होने से कुछ घंटे पहले, भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने सड़कों को जाम करने वाले प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए पुलिस को “अल्टीमेटम” दे दिया था। अल्टीमेटम देने के साथ ही कपिल मिश्रा ने लोगों को सीएए के समर्थन में मौजपुर चौक पर विरोधियों के खिलाफ जवाब के रूप में इकट्ठा होने को भी कहा था। कपिल मिश्रा के इस अनुरोध के कुछ घंटे बाद करावल नगर, मौजपुर चौक, बाबरपुर और चांद बाग में सीएए के विरोधी एवं समर्थक दोनों भारी मात्रा में जमा हो गए और यहीं से दोनों गुटों में झड़प हो गई और कुछ ही घंटों में यह मामूली झड़प दंगे के रूप में बदल गई।

उमर खालिद के साथ और कितने लोग हैं गिरफ्तार?

दिल्ली दंगों की समाप्ति के बाद पुलिस ने इस दंगे से जुड़े सभी तारों को जोड़ा और इस मामले में लिप्त नजर आए लोगों को सलाखों के पीछे डाल दिया। दंगे के आरोपी के रूप में उमर खालिद के साथ–साथ और 18 लोगों को भी गिरफ्तार किया गया था। बता दें कि इन 18 लोगों में से अब तक मात्र 6 लोगों को ही जमानत मिली है। खालिद के साथ दंगे में शामिल कुछ मुख्य लोगों की सूची कुछ इस प्रकार है–

• जामिया विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रही छात्रा मीरन हैदर और सफूरा जरगर को दिल्ली पुलिस ने आतंकवादी विरोधी कानून के तहत गिरफ्तार किया था। सफूरा जरगर उस वक्त 5 महीने की प्रेग्नेंट थीं और इसी कारण सफूरा को 23 जून को रिहा कर दिया गया था।

• आसिफ इकबाल तनहा जो जामिया विश्वविद्यालय में पर्सियन के छात्र थे, उन्हें भी 21 मई को दिल्ली पुलिस ने यूएपीए के तहत गिरफ्तार कर लिया था।

• दिल्ली विश्वविद्यालय से एमबीए की छात्रा गुलफिशा फातिमा को दिल्ली पुलिस ने 18 अप्रैल को यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया था।

• जेएनयू की छात्रा नताशा नरवाल और देवांगना कलिता को भी यूएपीए के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया गया।

• जेएनयू के छात्र सरजील इमाम को भी यूएपीए के तहत दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था।

The LokDoot News Desk The lokdoot.com News Desk covers the latest news stories from India. The desk works to bring the latest Hindi news & Latest English News related to national politics, Environment, Society and Good News.