भारत में निपाह वायरस ने दी दस्तक, जाने कैसे फैलता है निपाह वायरस
केरल के कोड़ीकोड जिले में हड़कंप तब मच गया जब पांच सितंबर की सुबह एक 12 साल के बच्चे की निपाह वायरस से मौत हो गयी। वायरस की पुष्टि राष्ट्रीय विषाणुविज्ञान संस्था, पुणे द्वारा की गई है। बच्चे को 1 सितंबर की सुबह तेज़ बुख़ार के कारण अस्पताल में भर्ती किया और 4 तारीख़ से हालात बिगड़ने के कारण जाँच के लिए सैंपल को पुणे को भेजा गया।
केरल के कोड़ीकोड जिले में हड़कंप तब मच गया जब पांच सितंबर की सुबह एक 12 साल के बच्चे की निपाह वायरस से मौत हो गयी। वायरस की पुष्टि राष्ट्रीय विषाणुविज्ञान संस्था, पुणे द्वारा की गई है। बच्चे को 1 सितंबर की सुबह तेज़ बुख़ार के कारण अस्पताल में भर्ती किया और 4 तारीख़ से हालात बिगड़ने के कारण जाँच के लिए सैंपल को पुणे को भेजा गया।
केरल की स्वास्थ मंत्री वीणा जॉर्ज ने मीडिया से बातचीत में बताया कि बीते दिनों में संक्रमित मरीज के पास गए कुल 17 लोगों की सूची बना ली गयी है और उन्हें स्वास्थकर्मियों के निगरानी में रखा गया है। अभी तक किसी में भी कोई लक्षण देखने को नहीं मिला हैं। केंद्र सरकार ने भी मामले को गंभीरता से लेते हुए रोग नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय केंद्र के दल को केरल भेज दिया है। स्थानीय प्रशासन ने संक्रमित इलाके के 3 किलोमीटर के दायरे को घेराबंदी कर दी है।
बता दें 2001 में भारत में निपाह वायरस ने पहली दस्तक दी थी, जिसके बाद 19 मई 2018 को केरल के कोड़ीकोड और मालापुरम में दुबारा निपाह वायरस की भारत में पुष्टि हुई है। 18 संक्रमित मरीजों में से 17 की जान चली गई।
निपाह विषाणु का नाम उसके उद्गम स्थल मलेशिया के निपाह गाँव पर रखा गया है, जहाँ 1998 में पहली बार चमगादड़ और सुअरों के माध्यम से यह वायरस मानव शरीर में प्रवेश हुआ था। निपाह के कारण मलेशिया में सैकड़ों लोगों की जानें चली गयी और फिर इसे रोकने के लिए लाखों सुअरों को मार दिया गया जिससे कि यह संक्रमण और न फैले।
निपाह संक्रमण के फैलने का खतरा:
यह वायरस पशुओं से मनुष्यों को संक्रमित करता है। यदि कोई मनुष्य संक्रमित पशु के खून या लार जैसी तरल पदार्थों के संपर्क में आये तो संक्रमण फैल सकता है। न केवल पशुओं से अपितु संक्रमित इंसानों के सम्पर्क में भी आने से संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
निपाह के लक्षण एवं मृत्यु दर :
निपाह वायरस का मुख्य प्रभाव श्वसन एवं तांत्रिक प्रणाली पर प्रभाव पड़ता है। इसके शुरुआती लक्षणों में बुख़ार, सिर दर्द, उल्टी, गले में ख़राश, चक्कर आना और सुस्ती जैसे लक्षण शामिल हैं। किन्तु कई बार इसका प्रभाव मरीज के मस्तिष्क पर भी नज़र आता जिसमें मस्तिष्क में एक प्रकार की सूजन सी आ जाती है। ये लक्षण मात्र 1 प्रतिशत लोगों में ही देखने को मिलता है। यूँ तो इस बीमारी से मरने वालों की संख्या 40-75 % तक है मगर यह आंकड़ा संक्रमण के दर पर भी निर्भर करता है और संक्रमण तेजी से होने के कारण मृत्यु दर में बढ़ोतरी देखी जा सकती है।
निपाह का इलाज:
अब तक इस वायरस से लड़ने के लिये न कोई टीका और न ही कोई दवा इजात की जा सकी है किंतु विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने अनुसंधान और विकास विभाग में इस कार्य को प्राथमिकता प्रदान किया है जिससे जल्द से जल्द इसका इलाज ढूंढा जा सके।