2 अक्टूबर: आज भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती पर जानिए उनके जीवन के कुछ रोचक तथ्य जिनसे आप हैं बेखबर

"जय जवान जय किसान" का नारा देने वाले भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी का आज जन्मदिवस है। शास्त्री जी एक ऐसे प्रधानमंत्री हुए जिनके लिए देश से बड़ा कोई महजब नहीं था, और देशभक्ति से बड़ी कोई पूजा नहीं थी। अपनी सादगी और सहजता से पाकिस्तान के दाँत खट्टे करने वाले वो पहले प्रधानमंत्री हुए। उनके पूरे जीवन में जितनी पारदर्शिता थी मृत्यु में उतनी ही संदिग्धता। 

Oct 2, 2021 - 18:29
December 10, 2021 - 10:07
 0
2 अक्टूबर: आज भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती पर जानिए उनके जीवन के कुछ रोचक तथ्य जिनसे आप हैं बेखबर
Image Source -naidunia

शास्त्री जी ने अपना पूरा जीवन सरलता और सहजता से यापन किया, आज पूरा देश उनकी सादगी का मुरीद है। शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को हुआ था। अपने बचपन से लेकर प्रधानमंत्री बनने के बाद तक उनके तौर तरीके पहले की ही तरह बरकरार रहे। 

भारत रत्न से सम्मानित शास्त्री जी अपने देश प्रेम के लिए जाने जाते हैं। जानकार बताते है कि शास्त्री जी अपनी आमदनी का एक बड़ा हिस्सा गरीबों के कल्याण के लिए दान दिया करते थे। 

जब भारत से पंगा लेना पड़ा था पाकिस्तान को मंहगा:
 
आजादी को कुछ ही समय बीता था जब चीन ने 1962 में भारत पर हमला बोल दिया, और चीन विजयी रहा। ऐसे में गीदड़भभकी की मानसिकता से लैस पाकिस्तान ने इस मौके का फायदा उठाने की सोची, पर पाकिस्तान को ये बेवकूफी बहुत भारी पड़ गई।


उस समय पाकिस्तानी सत्ता की डोर अयूब खान के हाथ में थी। और भारत में शास्त्री जी प्रधानमंत्री थे।
1965 में अयूब खान ने जिब्राल्टर मिशन छेड़कर भारतीय सेना के कम्यूनिकेशन सेक्टर ध्वस्त करने की मंशा से कश्मीर में हथियार लैस सैनिक भेज दिए। और कश्मीरी मुस्लिमों के बीच यह अफवाह फैला दी कि अब कश्मीर का एक बड़ा भाग पाकिस्तान के कब्जे में है।


शास्त्री जी के आदेश पर भारतीय सेना पंजाब के रास्ते से घुसकर अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर पहुँची और पाकिस्तानी सेना को दोनों तरफ से घेर लिया था। पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान ने दूसरी भूल ग्रैड़ स्लैम को लेकर की। जिसके तहत वह कश्मीर के मैदानों पर कब्जा, और भारतीय सेना की सप्लाई लाइनों को तबाह कर देना चाहता था। परंतु शास्त्री जी के मास्टस्ट्रोक की वजह से पाकिस्तान फिर अपने मंसूबों में नाकाम हुआ। 


शास्त्री जी अपनी अल्पायु से ही स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े थे। देश में अकाल की मुश्किल परिस्थितयों में उन्होने लोगो से एक वक्त भूखा रहने की अपील की थी और लोगों ने इस अपील का सम्मानपूर्वक निर्वाह भी किया। शास्त्री जी जैसे सरल राजनेता आने वाली पीढ़ियों के लिए आदर्श हैं। उनका रेलमंत्री पद से इस्तीफा देना और रेल दुर्घटना की जिम्मेवारी लेना इस बात का परिचायक है कि जीवन में कर्तव्यों को ईमानदारी से निभाने के मायने क्या होते हैं।

यह भी पढ़े :जानिए कौन हैं शिवाजी गणेशन, जिन्होंने 7 साल की उम्र में छोड़ दिया था अपना घर

The LokDoot News Desk The lokdoot.com News Desk covers the latest news stories from India. The desk works to bring the latest Hindi news & Latest English News related to national politics, Environment, Society and Good News.