टाटा एयरलाइन के एयर इंडिया बनने की कहानी, क्यों एयर इंडिया को बेचा सरकार ने ?

R.m lala द्वारा टाटा पर लिखी गई किताब Beyond the last Blue mountain के अनुसार जहांगीर रतनजी दादाभाई और उनके दोस्त नेविल ने साथ मिलकर टाटा एयरलाइंस की शुरुआत की थी।

January 29, 2022 - 17:13
January 29, 2022 - 18:10
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टाटा एयरलाइन के एयर इंडिया बनने की कहानी, क्यों एयर इंडिया को  बेचा  सरकार ने ?
टाटा एयरलाइन के एयर इंडिया बनने की कहानी - फोटो: gettyimages

एयर इंडिया एक बार फिर अपने संस्थापक टाटा समूह की हो गई है। टाटा समूह ने सरकार से इसे 18,000 करोड़ में खरीदा है। बता दें कि एयर इंडिया का पुराना नाम टाटा एयरलाइन था, जिसको 1946 में  बदलकर एयर इंडिया कर दिया गया।

सरकार ने क्यों बेचा एयर इंडिया को ?

मोदी सरकार ने सदन में उठाए एक सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि वित्तीय वर्ष 2019-20 के प्रोविजनल आंकड़ों के अनुसार एयर इंडिया पर लगभग 38,366.39 करोड़ का कर्ज हो चुका है। साथ ही यह भी स्पष्ट किया था कि अगर एयर इंडिया बिक नहीं पाती तो इसे बंद करना ही एकमात्र उपाय है। बता दें कि एयर इंडिया अब टाटा समूह की हो गई है। टाटा समूह ने एयर इंडिया को सरकार से 18,000 करोड़ में खरीदा है।

जहांगीर रतनजी दादाभाई (JRD) और नेविल ने मिलकर की थी शुरुआत

R.m lala द्वारा टाटा पर लिखी गई किताब Beyond the last Blue mountain के अनुसार जहांगीर रतनजी दादाभाई और उनके दोस्त नेविल ने साथ मिलकर टाटा एयरलाइंस की शुरुआत की थी। बता दें कि JRD भारत के प्रथम पायलट थे। जेआरडी को 1929 में पायलट का लाइसेंस मिला था। नेविल  विंसेट एक बॉक्सर के साथ ही ब्रिटिश रॉयल एयर फोर्स में फाइटर एयर पायलट भी थे। जेआरडी और नेविल ने 2 लाख से टाटा एयरलाइंस को शुरू किया था।

टाटा एयरलाइंस की पहली उड़ान थी कराची से बाम्बे 

टाटा एयरलाइंस की पहली उड़ान कराची से बोम्बे के लिए थी। एयरलाइन ने पहली उड़ान 15 अक्टूबर 1932 को भरी थी। बता दें कि टाटा एयरलाइंस की पहली उड़ान में सवारियां नहीं बल्कि चिट्ठियां थी, और हर एक चिट्ठी के बदले केवल चार आने मिलते थे।

क्या हमेशा घाटे में रही है एयर इंडिया

1954 में विमामन कंपनियों का राष्ट्रीयकरण किया गया। 1954 से लेकर 2000 तक सरकारी कंपनी काफी मुनाफे में थी परंतु साल 2001 में एयर इंडिया कंपनी को 57 करोड़ का घाटा हुआ।
कई मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दावा किया जाता है कि एयर इंडिया के आर्थिक संकट का कारण 2005 में 111 विमानों की खरीदी का फैसला था। साल 2007 में एयर इंडिया का विलय किया गया। एयर इंडिया का विलय इंडियन एयरलाइंस में हुआ और विलय के समय संयुक्त घाटा 771 करोड रुपए का था।

जब सरकार ने हटाया जीआरडी को चेयरमैन के पद से

1 फरवरी 1978 को मोरारजी देसाई ने के नेतृत्व वाली सरकार ने अचानक एयर इंडिया की नींव रखने वाले जहांगीर रतनजी दादाभाई को चेयरमैन के पद से हटाने का आदेश दिया था।

मोरारजी देसाई के इस फैसले पर इंदिरा गांधी ने जेआरडी को खत लिखकर एयर इंडिया में उनकी भूमिका को याद किया और तारीफ की ।
बता दें कि इंदिरा गांधी के सत्ता में आने के बाद जहांगीर रतनजी दादाभाई को इंडियन एयरलाइंस और एयर इंडिया के बोर्ड में शामिल किया गया था।

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