पेगासस मामला: सुप्रीम कोर्ट ने अनाधृकित जासूसी के आरोपों की जांच के लिए की एक समिति नियुक्त

सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी बुधवार को पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए अनाधृकित जासूसी के आरोपों की जांच करने के लिए एक समिति नियुक्त की है।

Oct 27, 2021 - 19:55
December 10, 2021 - 12:11
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पेगासस मामला: सुप्रीम कोर्ट ने अनाधृकित जासूसी के आरोपों की जांच के लिए की एक समिति नियुक्त
Image Source: indiatvnews.com

सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों वाली एक पीठ, जिसमें मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस सूर्या कांत और जस्टिस हीमा कोहली  ने आज पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए अनाधिकृत जासूसी के आरोपों की जांच करने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों की एक समिति नियुक्त की है। यह समिति अदालत की निगरानी में काम करेगी। समिति में तीन तकनीकी विशेषज्ञ होंगे। सेवानिवृत्त जज जस्टिस आरवी रवींद्रन समिति के काम का निरीक्षण करेंगे। समिति हर आरोप पर अध्ययन करेगी और अदालत को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। 

12 याचिकाओं पर हो रही है सुनवाई:

पैगासस मामले पर आठ सप्ताह बाद फिर से सुनवाई होगी। बता दें कि यह सुनवाई 12 याचिकाओं पर हो रही है जिन्हें एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, पत्रकार एन राम, शशि कुमार और परंजॉय गुहा ठाकुर, तृणमूल कांग्रेस के नेता यशवंत सिंह और एडीआर संस्था के सह-संस्थापक जगदीप छोकर जैसे लोगों के द्वारा दायर कि गई थी।

राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर सरकार को हमेशा नही मिल सकती खुली छूट:

जांच समिति बनाने के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "राष्ट्रीय सुरक्षा की चिंताओं का हवाला देकर सरकार को हर बार खुली छूट नहीं दी जा सकती। न्यायिक समीक्षा के खिलाफ कोई भी बहुप्रयोजनीय प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता।" अदालत ने यह भी कहा, "सरकार को अपना पक्ष रखने का पर्याप्त समय मिला लेकिन उसने सिर्फ सीमित स्पष्टीकरण दिया।" इसलिए अब कोई विकल्प न बचने के कारण अदालत ने याचिकाकर्ताओं की अपील मान ली है। अपने आदेश में पीठ ने निजता के अधिकार के महत्व का भी जिक्र किया।

संवैधानिक प्रक्रिया के तहत होना चाहिए तकनीक का इस्तेमाल:

जजों की टीम ने कहा, "नागरिकों के मूल अधिकारों के हनन के आरोप लगे हैं। इसका एक डरावना असर हो सकता है। विदेशी एजेंसियों के शामिल होने के आरोप लगाए जा रहे हैं।" आगे पीठ ने यह भी कहा कि "एजेंसियां आतंकवाद से लड़ने के लिए जासूसी का इस्तेमाल करती हैं। इस दौरान निजता का उल्लंघन करने की भी जरूरत पड़ सकती है। तकनीक का इस्तेमाल संवैधानिक प्रक्रिया के तहत ही होना चाहिए।" आपको बता दें कि भारत में 10 एजेंसियों को कानूनी रूप से फोन टैप करने का अधिकार है, जिसके लिए एक प्रक्रिया तय की गई है और इसका पालन करना आवश्यक है। इनमें सीबीआई, एनआईए, आईबी, आरएडब्ल्यू, एनसीबी, ईडी, सीबीडीटी, डीआरआई, सिग्नल इंटेलिजेंस निदेशालय और दिल्ली पुलिस जैसी एजेंसियां शामिल हैं। 

जानिए क्या है मामला:
बता दें कि पेगासस जासूसी के लिए इजराइल की कंपनी एनएसओ द्वारा बनाया गया एक सॉफ्टवेयर है। नवंबर 2019 में यह सामने आया था कि इसकी मदद से व्हाट्सऐप के जरिए भारत में कम से कम 24 नागरिकों की जासूसी की गई है। उसके बाद इस साल जुलाई में एक वैश्विक मीडिया इन्वेस्टिगेशन में ये खुलासा किया गया कि पेगासस के जरिए भारत में 300 से ज्यादा मोबाइल नंबरों की जासूसी की गई है। इनमें मोदी सरकार में उस समय कार्यरत दो मंत्री, एक संवैधानिक अधिकारी, विपक्ष के तीन नेता, कई पत्रकारों और कई व्यापारियों के नाम शामिल थे। एनएसओ यह मानती है कि यह एक स्पाईवेयर है जिसका इस्तेमाल फोन हैक करने के लिए किया जाता है। पर साथ ही कंपनी ने यह भी बताया कि इस सॉफ्टवेयर को सिर्फ सरकारों और सरकारी एजेंसियों को बेचा जाता है। भारत सरकार पर इसके इस्तेमाल का आरोप लगा है परन्तु सरकार ने इन आरोपों को साफ तौर पर नकार दिया है।