Surrogacy: सरोगेसी विधेयक 2019 को मिली मंज़ूरी, राष्ट्रीय तथा राज्य स्तरों पर बनाए जाएंगे सरोगेसी बोर्ड  

17 दिसंबर 2021, को 2019 से निलंबित सरोगेसी बिल को मिली मंज़ूरी, विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच ध्वनि मत से पास हुआ बिल।

December 19, 2021 - 17:27
December 19, 2021 - 20:18
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Surrogacy: सरोगेसी  विधेयक 2019 को मिली मंज़ूरी, राष्ट्रीय तथा राज्य स्तरों पर बनाए जाएंगे सरोगेसी बोर्ड  
प्रतीकात्मक फोटो : Shutterstock

शुक्रवार को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री भारती पवार ने लोकसभा में बिल को पेश किया जो काफ़ी लम्बे समय से निलंबित था। यह बिल पहले 5 अगस्त 2019 को लोकसभा में पास होने के बाद राज्यसभा में पेश किया गया था। परन्तु राज्यसभा द्वारा इस बिल को जाँच के लिए प्रवत कमेटी के पास भेजा गया था तथा कमेटी के कुछ सुझावों के बाद 8 दिसंबर 2021 को यह बिल पुनः राज्यसभा में पास हुआ है। जिसे अब लोकसभा में पास होने के बाद संसद से ग्रीन चिट मिल गई है।

क्या है सरोगेसी तकनीक 

सरोगेसी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें बच्चे के जन्म की प्रक्रिया को एक किराए की कोख में पूरा किया जाता है, अर्थात सरोगेसी में पुरुष के वीर्य तथा महिला के अंडे को कृत्रिम विधि से निषेचित किया जाता है। निषेचन की इस प्रक्रिया के बाद किसी अन्य महिला की कोख में भ्रूण को स्थापित कर दिया जाता है। जहाँ उस भ्रूण का विकास होता है तथा वह भ्रूण पूर्ण मानव में विकसित होता है। 9 माह के समय अंतराल में जब बच्चे का जन्म होता है तो सरोगेट माँ द्वारा बच्चे को उनके माँ–बाप को सौंप दिया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया के बाद सरोगेट माँ का उस बच्चे पर कोई कानूनी अधिकार नहीं रहता है। इस प्रकिया के माध्यम से जहां बिना यौन सम्बन्ध बनाए बच्चे को जन्म देना संभव हुआ है, वहीं इस सरोगेसी प्रकिया ने सिंगल पेरेंट के लिए भी बच्चा पैदा करने का रास्ता खोल दिया है।

किन लोगों को पड़ती है सरोगेसी कि ज़रूरत?

जब पुरुष या महिला में से कोई एक या दोनों किन्ही कारणों से बच्चा पैदा करने में असमर्थ होते हैं तो उनके द्वारा बच्चे का सुख पाने के लिए इस प्रक्रिया का सहारा लिया जाता है। इसके अलावा वे महिलाएं जो बच्चा पैदा होने के बाद शरीर में होने वाले बदलावों से बचना चाहती हैं वे भी मुख्य रूप से इस सरोगेसी प्रक्रिया का इस्तेमाल करती हैं।

बॉलीवुड में सरोगेसी का ट्रेंड

बॉलीवुड में सरोगेसी प्रक्रिया काफ़ी चर्चित रही है। काफ़ी जोड़े बॉलीवुड में ऐसे हैं जिन्होंने सरोगेसी प्रक्रिया द्वारा बच्चों को जन्म दिया है। इसमें से कुछ लोकप्रिय जोड़े इस प्रकार हैं:

शिल्पा शेट्टी तथा राज कुंद्रा, शाहरुख खान तथा गोरी खान, सोहिल खान तथा सीमा खान, आमिर खान तथा किरन राव साथ ही करन जौहर भी सिंगल पेरेंट के रूप में दो जुड़वाँ बच्चों के पिता बन चुके हैं।

पैसे के लोभ में बिचौलियों द्वारा सरोगेट मां का शोषण 

काफ़ी जगहों पर किराए की कोख मजबूरी होने की बजाए व्यवसाय बन गई है। अर्थात सरोगेसी की प्रक्रिया का इस्तेमाल पैसे कमाने के जरिए के रूप में होने लगा है,जहां पैसे की कमी से जूझ रही महिलाएं इस धंधे में घुसती जा रही हैं। काफी बार ऐसा देखने में भी आता है जहां सरोगेट माँ तथा बच्चे के माता-पिता के बीच डील करने वाला दलाल पैसों की हेराफेरी कर देता है। जिससे सरोगेट माँ को उचित पैसे नहीं मिल पाते तथा वह बहुत कम पैसों में माँ बनने का खतरा उठाती है। 

भारत में सरोगेसी को लेकर नियम 

228वीं लॉ कमीशन की रिपोर्ट ने सुझाव दिया कि भारत में केवल नियंत्रित सरोगेसी की ही अनुमति दी जानी चाहिए तथा सरोगेसी पर प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए। इसके बावजूद भारत बीते कुछ सालो में अंतराष्ट्रीय स्तर पर सरोगेसी का हब बनकर उभरा है। क्योंकि अभी तक कोई प्रभावी कानून मौजूद नहीं था जो सरोगेसी के वाणिज्यिकरण पर रोक लगा सके।

आखिर क्यों पड़ी कानून की ज़रूरत 

सरोगेसी का मुद्दा मानव स्वास्थ्य तथा समाज के नैतिक मूल्यों से जुडा मुद्दा है, भारत में विद्यमान आर्थिक पिछड़ेपन के कारण यहाँ अन्य देशों की तुलना में बहुत सस्ते दामों पर सरोगेट माँ मिल जाती है। यही कारण है कि विदेशों से भी लोग सरोगेसी के लिए बड़ी तादाद में भारत की और रुख कर रहे हैं। कई बार ऐसा भी देखने को मिला है कि बच्चा पैदा हो जाने के बाद की कठिनाइयों में महिला खुद को अकेले खड़ा पाती है। जहां उसे सहारा देने वाला कोई नहीं होता है। यह भी एक प्रमुख कारण है, जो कानून की आवश्यक्ता को बढ़ा रहा है।

सरोगेसी (विनियमन )बिल के उद्देश्य 

इस बिल का उद्देश्य केवल नैतिक सरोगेसी को अपनाना तथा सिर्फ भारतीय दम्पतियों को जिनकी उम्र 23-50 (महिलाएं) व 26-55 (पुरुष) है को सरोगेसी कि अनुमति देना है। इससे सरोगेसी के अनैतिक कृत्यो पर रोक लगेगी तथा इसके वाणिज्यकरण में भी कमी आएगी। साथ ही नियमों का सख़्ती से पालन हो सके इसके लिए राज्य व राष्ट्रीय स्तर और बोर्ड का गठन किया जाएगा।

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