संयुक्त किसान मोर्चा ने भी उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर कसी कमर
संयुक्त किसान मोर्चा का आह्वान किसान आंदोलन तो खत्म हो गया लेकिन मांगे पूरी न हुई तो 1 फरवरी से मिशन यू पी शुरु होगा।
बीते नवम्बर महीने में प्रधानमंत्री मोदी ने देश के नाम सम्बोधन में सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेते हुए कहा था कि आने वाले संसद सत्र में कृषि कानूनों को रद्द कर दिया जाएंगा। उस समय किसानों के साथ साथ आम-जनमानस में इस फैसले को जीत के पर्व के तौर पर मनाया था।
संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी कुछ मांगों और एमएसपी गांरटी पर बने कानून को लेकर धरना स्थल जो देश के 4 राज्यों की सीमा पर थे। वहां से वापस अपने घरों व गांवों की तरफ चले गए। लेकिन अब तक सरकार ने एक भी मांगे पूरी नहीं की है। जिससे किसान संगठन काफी नाराज है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रेस कॉन्फ्रेस के जरिए बताया कि अगर किसानों की मांग और न्यूनतम समर्थन मूल्य कानून जल्द नहीं बना तो 1 फरवरी से मिशन यूपी शुरु करने के अलावा सरकार ने दूसरा विकल्प हमारे सामने नहीं रखा हैं।
वहीं संयुक्त किसान मोर्चा के नेता युद्धवीर सिंह ने मीडिया के सामने कहा कि हमारी मांग थी कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बने कानून को लेकर हुए देशव्यापी विरोध प्रदर्शन में यूपी, हरियाणा और पंजाब के किसानों के खिलाफ दर्ज केसों को वापस लिया जाएं, लखीमपुर में हिंसा पीडित के परिवारों को मुआवजा मिले और दोषियों पर कार्यवाही हो। लेकिन इन मांगो को लेकर सरकार ने हम से अभी तक चर्चा नहीं की हैं। ना ही बात करने को तैयार हो रही है।
इस बीच किसान नेता राकेश टिकैत ने चुनाव में भाग ले रहे संगठन के लिए कहा कि ऐसे संगठनों से संयुक्त मौर्चा का कोई लेनादेना नहीं है और ना ही हम पुन: इन्हें शामिल करेंगे। बताते चले कि संयुक्त किसान मौर्चा से जुडें करीबी 40 किसान संगठन है और उसमें भी पंजाब के संगठन पंजाब चुनाव में भाग लेने जा रहे हैं।
संयुक्त किसान मौर्चा ने अपने यूपी मिशन के संदर्भ में कार्यक्रम तय कर लिया है। 21जनवरी को संयुक्त मौर्चा से एक किसान दल लखीमपुर हिंसा पीडितों के परिवारों से मुलाकात करेंगा। जहां पर 4 अक्टूबर को केंद्रीय राज्य गृह मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा किसानों पर तेज रफ्तार से गाडी चड़ा दी थी। बाद में जिसे SIT ने अपनी जांच में हत्या बताया था। इसके बाद किसान मोर्चा ने अजय मिश्रा के इस्तीफे की भी मांग कर रहा है पर मोदी सरकार ने इसे गंम्भीरता से नहीं लिया। जिससे किसान संगठन काफी गुस्से में दिखे।
वहीं दूसरी तरफ राकेश टिकैत ने 23 और 24 फरवरी को ट्रेड यूनियनों के हड़ताल का समर्थन करते हुए इसमें शामिल होगें। टिकैत ने आगे बताया कि अखिल भारतीय हड़ताल की मांगों में चार लेबर कोड में सुधार के साथ एमएसपी गांरटी कानून को शामिल किया गया है।
उन्होंने यह भी कहां कि यूपी में योगी सरकार चारों तरफ से घिर चुकी है। एक तरफ उनकी ही पार्टी के कई मंत्री और विधायक दल पार्टी बदल लिए है। और दूसरी तरफ किसानों ने मिशन यूपी का ऐलान कर दिया हैं। यूपी के युवा वर्ग भी रोजगार के सवाल पर सरकार से नाराज है और महिला व दलित-पिछड़ा वर्ग भी योगी राज में शोषण और अत्याचार के खिलाफ सरकार से नाखुश दिखा है। यूपी चुनाव व परिणाम ही किसानों के आवाज को बुलंद करेगा।