पूरी जिन्दगी विवादों में रहने वाले महंत नरेंद्र गिरि की मौत भी बन गई एक विवाद, जानिए किन विवादों से आए सुर्खियों में
डेढ़ दशक से अधिक समय से हमेशा मतभेद में रहने वाले अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि अपनी मौत पर भी एक सवाल छोड़ कर अपने विवादों के साथ चले गए।
डेढ़ दशक के अधिक समय से हमेशा मतभेद में फंसे रहे अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि अपने अंतिम सांस तक विवादों में रहे। महंत नरेंद्र गिरि ने 2004 में बाघंबरी गद्दी संभाली थी,और तभी से वह विवादों में उलझते चले गए। अखाड़ा परिषद पूरे देश के लाखों संतों की सबसे पवित्र संस्था माना जाता है।
महंत नरेंद्र गिरि का गद्दी सँभालने के बाद से ही पुलिस हो या नेता या फिर कोई संत उनका मतभेद सभी के साथ शुरू से होता रहा है। हाल-फिलहाल की बात करें तो उनके सबसे प्रिये शिष्य आनंद गिरि से मतभेद की ख़बरें सारे न्यूज़ चैनल पर दिखाई गई। आज आपको बताएँगे महंत नरेंद्र गिरि के कुछ चर्चित मतभेद जिनसे वह चर्चा में आए।
2004 में जैसे ही महंत नरेंद्र गिरि बाघंबरी गद्दी के महंत बने वैसे ही जमीन जगह को लेकर उनका विवाद उस वक़्त के डीआइजी आरएन सिंह से शुरू हो गया, आरएन सिंह मंदिर के आगे बहुत दिनों तक धरनें पर बैठे थे। माहौल को देखते हुए उस वक़्त के सीएम मुलायम सिंह को डीआइजी आरएन सिंह को सस्पेंड करना पड़ा, तब जाकर मामला थोड़ा शांत हुआ था। इस मामले के बाद 8 अगस्त 2018 को धमकी देने के मामले में महंत नरेंद्र गिरि ने क्रियायोग आश्रम के योगी सत्यम के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट लिखवाई, और क्रियायोग आश्रम के योगी सत्यम को फ़र्ज़ी संत की लिस्ट में शामिल कर दिया। उनका एक विवाद ये भी था कि महंत नरेंद्र गिरि किन्नर अखाड़े को नहीं मानते थे। उनके अनुसार शंकराचार्य ने 13 अखाड़ों की शुरुवात की थी, इसलिए किसी भी अन्य अखाड़े को 14वें अखाड़े के तौर पर अपनाया नहीं जायेगा। यद्यपि साल 2019 में कुंभ मेला प्रशासन ने जमीन की सुविधा किन्नर अखाड़ों को दी थी। आपको बता दें कि 2015 में किन्नर अखाड़े की नींव पड़ी थी, और 2016 में पहली बार कुंभ में किन्नर अखाडा को पेश किया गया था। अगले विवाद की बात करें तो महंत स्वामी नरेंद्र गिरि के गनर रह चुके सिपाही अजय सिंह पर आय से अधिक संपत्ति का इलज़ाम लग चुका है, उसका रहन सहन और बीवी के नाम 61 लाख के फ्लैट को लेकर लखनऊ की एक एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर ने लेटर के जरिये जाँच की मांग की थी।
साल 2012 में समाजवादी पार्टी के नेता महेश नारायण सिंह से जमीन को लेकर विवाद सामने आया था, उसके बाद महंत नरेंद्र गिरि ने समाजवादी पार्टी के नेता महेश नारायण सिंह के साथ उनके 50 लोगों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कराई थी।
बार मालिक को बनाया महामंडलेश्वर:
महंत नरेंद्र गिरि उस वक़्त एक बार फिर से विवादों में फंस गए, जब उन्होंने दिल्ली एनसीआर के बीयर बार के मालिक सचिन दत्ता को महामंडलेश्वर बनाया था। ये घटना 31जुलाई 2015 को हुई थी, जब बाघंबरी गद्दी में उस वक़्त के कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव और टूरिस्ट मिनिस्टर ओमप्रकाश सिंह की उपस्थिति में ये सब हुआ था।
आशीष गिरि की आत्महत्या का आरोप :
17 नवंबर 2019 को महंत आशीष गिरि के अचानक से आत्महत्या करने से कई सवाल उठे, और सारे सवाल महंत नरेंद्र गिरि पर उठ रहे थे। महंत आशीष गिरि पिथौरागढ़ के निवासी थे, और दारागंज में पंचायती अखाडा श्री निरंजनी के आश्रम में रहते थे,और महंत आशीष गिरि श्री निरंजनी के सचिव भी थे। आशीष गिरि की अचानक से आत्महत्या के बाद कुछ लोगों ने महंत नरेंद्र गिरि पर आरोप भी लगाया था पर पुलिस की जाँच में कुछ खास मिला नहीं था।
अपने शिष्य आनंद गिरि को अखाड़े से निकालन हो या बार डांसरों पर मंदिर के पैसे खर्च करना, ऐसे तमाम आरोपों में पूरी ज़िन्दगी फंसे रहे महंत नरेंद्र गिरि, और अब उनकी अचानक से आत्महत्या पर भी एक विवाद शुरू हो गया है।