तीरंदाजी के रण में राजस्थान का सपूत भारत को गौरवान्वित करवाएगा

आईए मिलते हैं, राजस्थान के एकलव्य, श्याम सुंदर से जिनमें महाभारत के अर्जुन और एकलव्य, दोनों के गुण कूट-कूट कर भरे हुए हैं। तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद होनहार धनुर्धर श्याम का अपने लक्ष्य की ओर सफर जारी है, दौड़कर न सही, तो निशाना लगाकर। अब वे 23 जुलाई को जापान के टोक्यो में होने वाले पैरालंपिक खेलों में भारत की ओर से स्वर्ण पदक पर निशाना लगाने का प्रयास करेंगे।

July 22, 2021 - 19:18
December 9, 2021 - 10:06
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तीरंदाजी के रण में राजस्थान का सपूत भारत को गौरवान्वित करवाएगा
श्याम सुंदर

तीरंदाजी के रण में राजस्थान का सपूत भारत को गौरवान्वित करवाएगा

आजीवन संघर्षशील व्यक्ति, पैर से विकलांग, जो दौड़ तो नहीं लगा पाता लेकिन निशाना अर्जुन की तरह चिड़िया की आंख में लगाता है। जिसका सटीक लक्ष्य और मेहनत हमेशा नए कीर्तिमान रचती है। आइए मिलते है, राजस्थान के एकलव्य, श्याम सुंदर से जिनमें महाभारत के अर्जुन और एकलव्य, दोनों के गुण कूट-कूट कर भरे हुए हैं।

तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद होनहार धनुर्धर श्याम का अपने लक्ष्य की ओर सफर जारी है, दौड़कर न सही, तो निशाना लगाकर। अब वे 23 जुलाई को जापान के टोक्यो में होने वाले पैरालंपिक खेलों में भारत की ओर से स्वर्ण पदक पर निशाना लगाने का प्रयास करेंगे।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपनी पुस्तक “यंग इंडिया” में कहा था “सफलता की बुलंदियों को कठिन परिस्थितियों में रहने वाला संघर्षशील व्यक्ति ही छू सकता है।” यह बात बीकानेर के श्याम पर पूरी तरह लागू होती है। लकड़ी के धनुष से शुरुआत करने वाले और अभावों में जीने वाले श्याम सुंदर के लिए तीरंदाजी में भारत का प्रतिनिधित्व करना एक बड़े सपने का पूरे होने जैसा है।

साहूकारों से ब्याज लेकर तीरंदाजी की उपकरण खरीदे!

श्याम के तीरंदाजी कोच अनिल जोशी बताते हैं कि कहानियां बहुत कुछ बयां कर देती हैं। श्याम बीकानेर के कोलायत तहसील के भोलासर गांव से हैं। 31 दिसंबर 1996 को जन्मे, श्याम का जीवन गरीबी रेखा के नीचे रहा। पिताजी बस स्टैंड पर सब्जी का ठेला लगाते हैं और मां दिन-रात घरेलू काम करती हैं। एक भाई है, वह भी बचपन से विकलांग है लेकिन श्याम सुंदर को तो चिड़िया की आंख पर निशाना लगाना था, उनके लिए पिताजी ने ब्याज पर पैसे लेकर सब्जी का ठेला लगाया और दिन–रात मेहनत कर सब्जी बेची जिससे श्याम के लिए उपकरणों की व्यवस्था की जा सके।

बचपन से एक पैर खराब

भारतीय टीम के सदस्य बने श्याम का एक पैर बचपन से ही खराब था। पैर ना केवल टेढ़ा था, बल्कि कमजोर भी था। इस कमी को उन्होंने कभी स्वयं पर हावी नहीं होने दिया और अब इस मुकाम पर पहुंच गए, जहां वे तीरंदाजी में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे।

उनका सफर कुछ यूं शुरू हुआ कि श्याम सुंदर ने बीकानेर की तीरंदाजी प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त कर जिले का प्रतिनिधित्व राज्य स्तर पर किया। वहां प्रथम स्थान पर रहकर तीरंदाजी के क्षेत्र में जिले का लोहा मनवाया।

उसके बाद क्या था, सुंदर के बुलंद हौंसले, उनकी दृढ़ता और कड़ी मेहनत ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई सफलताएं प्राप्त कराईं। दो बार के राष्ट्रीय स्वर्ण पदक विजेता श्याम सुंदर स्वामी एशियाई खेलों से पूर्व लगने वाले राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में चयनित 8 खिलाड़ियों में शामिल हुए। 2018 में जकार्ता में आयोजित एशियाई खेलों और दुबई में आयोजित फाजा इंटरनेशनल टूर्नामेंट सहित कई अंतर्राष्ट्रीय मुकाबलों में उन्होंने देश का नेतृत्व किया।

श्याम सुंदर के प्रशिक्षक गणेश व्यास और जिला तीरंदाजी संघ के अध्यक्ष विजय खत्री ने यह कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि श्याम टोक्यो (जापान) ओलंपिक्स में भारत के झंडे गाढ़कर आएंगे।

अब अगर इंतजार है, तो 24 अगस्त 2021 से शुरू होने वाले विश्व पैरा ओलंपिक का...