क्यों लक्षद्वीप में मचा हुआ है कोहराम
अरब सागर में भारत का सबसे छोटा केंद्र शासित प्रदेश है। नाम है, लक्षद्वीप। पिछले कुछ दिनों से यही लक्षद्वीप अचानक चर्चा में आ गया है। कारण है, वहाँ पर लाये गए कुछ कानूनों के ड्राफ्ट। ड्राफ्ट यानी अभी कानून लागू नहीं हुए हैं लेकिन गृह मंत्रालय की मुहर लगते ही हो जाएंगे। इन ड्राफ्ट को लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल लेकर आये हैं।
अरब सागर में भारत का सबसे छोटा केंद्र शासित प्रदेश है। नाम है, लक्षद्वीप। पिछले कुछ दिनों से यही लक्षद्वीप अचानक चर्चा में आ गया है। कारण है, वहाँ पर लाये गए कुछ कानूनों के ड्राफ्ट। ड्राफ्ट यानी अभी कानून लागू नहीं हुए हैं लेकिन गृह मंत्रालय की मुहर लगते ही हो जाएंगे। इन ड्राफ्ट को लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल लेकर आये हैं।
क्या हैं इन ड्राफ्ट में-
कुल 5 नए कानूनों के ड्राफ्ट हैं। सबसे पहले है, एनिमल प्रिजर्वेशन रेगुलेशन एक्ट 2021। इसके अंतर्गत, गाय, बछड़े, बैल और भैंस की हत्या पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। कोई भी व्यक्ति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से बीफ या बीफ उत्पादों को लक्षद्वीप में कहीं भी बेच, खरीद, स्टोर या उसका ट्रांसपोर्ट नहीं कर सकता है। अगर कोई इसका उल्लंघन करता है तो उसे एक साल तक की जेल और 10,000 रुपए जुर्माना देना पड़ सकता है। गाय की हत्या पर 10 साल की जेल या उम्रकैद और 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। अगर कोई गोमांस प्रतिबंध का उल्लंघन करता है तो उसे कम से कम सात साल की जेल की सजा हो सकती है। साथ ही, बच्चों के मिड डे मील से भी मांसाहारी खाना पूरी तरह से हटा दिया गया है। कानून के इस ड्राफ्ट पर विवाद इसलिए है क्योंकि लक्षद्वीप की 96% आबादी मुस्लिम है। बड़ी संख्या में लोग इस व्यापार से भी जुड़े हैं। पूरी तरह रोक लगाने से व्यापार ठप्प हो जाएगा। साथ ही, लोगों के खाने की आदतें पूरी तरह बदल जायेंगी।
दूसरा, लक्षद्वीप में शराब पर से प्रतिबंध हटा दिया गया है। लक्षद्वीप में कुल 36 छोटे-छोटे द्वीप हैं। इनमें से 10 द्वीपों पर ही लोग रहते हैं। पहले, बंगाराम द्वीप पर ही शराब की बिक्री की जा सकती थी। हालांकि यहां कोई नहीं रहता था। पर, यहां से खरीदी जा सकती थी। इस नए कानून के लागू होने के बाद यहाँ उन द्वीपों पर भी शराब बिक सकेगी जहां लोग रहते हैं। इस पर स्थानीय लोग खफा हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि अब यहां अराजकता बढ़ जाएगी। वहीं, प्रशासन का कहना है कि शराब सिर्फ पर्यटकों के लिए ही बिकेगी। यानी, स्थानीय लोग इसका उपभोग नहीं कर पायेंगे।
तीसरा, सिर्फ 2 बच्चे ही, तभी पंचायत सदस्य बन सकेंगे। लक्षद्वीप में न तो मुख्यमंत्री होता है और न ही कोई राज्य विधानसभा। इसका ढाँचा 3 स्तरों में विभाजित है। हर 5 साल बाद एक व्यक्ति, सांसद चुना जाता है। वर्तमान सांसद एनसीपी के मोहम्मद फैज़ल हैं। एक प्रशासक भी होता है, जिसे राष्ट्रपति नियुक्त करते है। अभी वह प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल हैं। इसके अलावा, सबसे जरूरी तीसरी कड़ी है। वो है, ग्राम पंचायत की। अगर यह ड्राफ्ट कानून की शक्ल लेता है तो इसके लागू होने के बाद 2 बच्चे पैदा करने वाले लोग पंचायत चुनाव नहीं लड़ पायेंगे। हालांकि प्रशासन का कहना है कि जिनके पहले से ही 2 या अधिक बच्चे हैं, वे इस दायरे से बाहर रहेंगे। 2011 की जनसंख्या के हिसाब से लक्षद्वीप की आबादी 65,000 है। अभी के अनुमान के हिसाब से करीब 75-80 हज़ार के करीब होगी। आम लोगों का कहना है कि इतनी अधिक जनसंख्या नहीं है कि ये कानून लाया है। ये जबरदस्ती और बेफिजूली में लाया जा रहा है।
चौथा, लक्षद्वीप डेवलपमेंट अथॉरिटी रेगुलेशन एक्ट 2021। सबसे ज्यादा विवादित। इसके तहत लक्षद्वीप पर विकास की योजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण किया जा सकेगा। इसे उपयोग करने के तरीके भी बदले गए हैं। बड़ी परियोजनाओं के लिए ‘प्लानिंग क्षेत्र’ और ‘प्लानिंग एंड डेवलपमेंट अथॉरिटीज’ का गठन किया जाएगा। अधिग्रहण के खिलाफ किसी भी व्यक्ति को अदालत जाने का अधिकार नहीं होगा। नागरिकों का कहना है कि इसे तैयार करने में किसी की सलाह नहीं है। बड़ी परियोजनाएं और टूरिज्म प्रोजेक्ट्स यहां के पर्यावरण का नुकसान कर सकती हैं। साथ ही, स्थानीय लोगों को संदेह है कि भूमि अधिग्रहण की आड़ में बड़ी कंपनियों को जमीन दे दी जाएगी। ड्राफ्ट पर सांसद मोहम्मद फैसल कहते हैं, “इसका लक्ष्य लोगों की जमीन हड़पना है। प्रशासन को लोगों के हित की सुरक्षा किए बिना जमीन लेने की अपार शक्ति मिल जाएगी। सड़कों को नेशनल हाईवे स्टैंडर्ड के हिसाब से विकसित करने का प्रस्ताव है। लक्षद्वीप को इतनी चौड़ी हाईवे की क्या जरूरत है? प्रशासन यहां के लोगों के हितों के साथ समझौता कर रही है।"
पाँचवा, एंटी-गुंडा रेगुलेशन है। लक्षद्वीप प्रिवेंशन ऑफ एंटी-सोशल एक्टिविटीज रेगुलेशन ड्राफ्ट प्रशासन को अधिकार देता है कि वह गैर-सामाजिक गतिविधियों में पकड़े गए किसी भी व्यक्ति को एक साल तक हिरासत में रख सकता है। व्यक्ति को कोई कानूनी सहायता भी नहीं मिलेगी। स्थानीय लोग इस ड्राफ्ट का भी विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि पूरे देश में सबसे कम अपराध दर लक्षद्वीप की ही है। यहां इस कानून की कोई जरूरत ही नहीं है। लोग आशंकित हैं कि ड्राफ्ट प्रशासन का विरोध करने वाले लोगों को चुप कराने और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए लाया गया है। इस ड्राफ्ट पर यहाँ के डीएम कहते हैं कि वैसे तो द्वीप शांत है पर हाल के दिनों में ड्रग के इस्तेमाल और हथियार बरामद होने की रिपोर्ट दर्ज हुई हैं। यह रेगुलेशन युवाओं को गैर-कानूनी कार्यों में शामिल होने से रोकने के लिए लाया गया है। वैसे उत्तर प्रदेश समेत तमाम राज्यों में ये एक्ट पहले से ही लागू है।
इन सभी ड्राफ्टों को लेकर केरल के कुछ सांसदों ने राष्ट्रपति को चिट्ठी भी लिखी थी। इसमें कहा गया था कि पटेल की तरफ से जारी सभी आदेशों का मकसद लक्षद्वीप के लोगों के पारंपरिक जीवन और सांस्कृतिक विविधता को नष्ट करना है। ड्राफ्टों पर चल रहे विवाद के बीच प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल ने इन पर सफाई दी है। 'द प्रिंट' वेबसाइट से बात करते हुए उन्होंने कहा कि वह लक्षद्वीप का विकास, पड़ोसी मालदीव की तरह करना चाहते हैं। लक्षद्वीप मालदीव से ज्यादा दूर नहीं है लेकिन मालदीव एक ग्लोबल टूरिस्ट डेस्टिनेशन है। लक्षद्वीप ने आजादी के बाद 70 सालों में अब तक विकास नहीं देखा है। उन्होंने कहा, “ड्राफ्ट का विरोध लक्षद्वीप के लोग नहीं, बल्कि वे कुछ लोग कर रहे हैं, जिनका लाभ खत्म हो रहा है। इसके अलावा मुझे इसमें कुछ भी खराब नहीं लगता, जिसका विरोध होना चाहिए। लक्षद्वीप इतने सालों में विकास भी नहीं देख पाया है। हम इसे पर्यटन, नारियल, मछली का ग्लोबल हब बनाना चाहते हैं। हम यहां सतत विकास करना चाहते हैं।"
प्रफुल्ल पटेल 5 दिसंबर 2020 को लक्षद्वीप के प्रशासक बने थे। साथ ही, वे दादर- नागर हवेली और दमन- दीव के भी प्रशासक हैं। उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का करीबी माना जाता है। जब प्रधानमंत्री मोदी, गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब प्रफुल्ल पटेल राज्य के गृहमंत्री थे। उनकी नियुक्ति पर विवाद भी उठा था। वजह ये थी कि इससे पहले लक्षद्वीप के जितने भी प्रशासक बने, वे सब आईएएस- पीसीएस अधिकारी रहे हैं।