World Elder Abuse Awareness Day: कोरोना ने किया बुजुर्गों का खस्ताहाल, जानिए क्या है हेल्पएज इंडिया रिपोर्ट?
World Elder Abuse Awareness Day:एक सभ्यता के तौर पर बुजुर्गों का सम्मान करना हमें बचपन से सिखाया जाता है। लेकिन आज दुनिया भर में बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार हो रहा है। हमें आए दिन खबर सुनने को मिलती है कि बेटे ने मां-बाप को ओल्ड एज होम में भेज दिया या सड़क पर छोड़ दिया आदि। आइए जानते हैं क्या है देश में बुजुर्गों की हालत।
दुनिया भर में हर साल 15 जून को विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस (World Elder Abuse Awareness Day) मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दिसंबर 2011 में संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव 66/127 को पारित करके आधिकारिक रूप से विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस को मनाने का फैसला किया।
क्या है इस दिन का उद्देश्य
संयुक्त राष्ट्र की मानें तो दुनियाभर में लगभग हर चार बुजुर्गों में से एक बुजुर्ग दुर्व्यवहार का शिकार है। बुजुर्गों के साथ शारीरिक, मानसिक, वित्तीय, आदि हिंसा होती है। अपनी बढ़ती उम्र में जहाँ वे अपने परिवार को अपना संरक्षक मानते हैं वहीं कुछ लोग बुजुर्गों के प्रति हिंसा करते हैं और अनेक प्रकार से उनका शोषण करते हैं।
इस दिन को मनाने का उद्देश्य यह है कि दुनिया भर में लोग बुजुर्गों के प्रति अच्छा व्यवहार करें। उनका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक, आर्थिक और बाकी जरूरतों का ध्यान रखें। यह दिन इस वैश्विक सामाजिक मुद्दे से दुनिया भर के लाखों लोगों का परिचय कराता है और समाज को आईना दिखाने का काम करता है।
विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस 2022 की थीम
प्रत्येक वर्ष विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस की एक थीम तय की जाती है। इस साल डिजीटलाईजेशन के महत्त्व को देखते हुए थीम ‘सभी उम्र के लिए डिजिटल इक्विटी' रखी गई है। पहली बार यह दिन 15 जून 2011 को मनाया गया था।
कोरोना से बड़ी आफ़त
कोरोना महामारी के दौरान बुजुर्गों की हालत और खस्ता हो गई है। एक एनजीओ हेल्पएज इंडिया ने बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस पर एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 58% बुजुर्गों के परिवार के सदस्य कोरोना की वजह से वर्क फ्रॉम होम कर रहे थे। दिन भर इतने पास रहते हुए भी बुजुर्ग चाहते थे कि उनके साथ कोई रहे, कोई उन्हें सिर्फ बात करने के लिए बुला ले। इस दौरान परिवार के करीब रहते हुए भी बुजुर्गों ने खुद को फंसा हुआ और निराश पाया है।
आर्थिक रूप से निर्भर होना है बड़ी समस्या
एक और बड़ी समस्या है जो बुजुर्ग झेलते हैं, वह है आर्थिक निर्भरता। रिपोर्ट के अनुसार 80 से 89 वर्ष की आयु वर्ग के करीब 40% बुजुर्ग अपने खर्च के लिए अपने परिवार के सदस्यों पर निर्भर थे। उनका कहना है कि उन्हें कोरोना के दौरान आवश्यक सहायता नहीं मिली क्योंकि उनकी देखभाल करने वालों की या तो नौकरी चली गई थी या फिर वेतन में कटौती हुई थी।
विशेषज्ञ का क्या है कहना
रिपोर्ट में बताया गया है कि कई बुजुर्गों के साथ उनके परिवार ने मौखिक दुर्व्यवहार किया था। वहीं 23% बुजुर्गों को थप्पड़ लगाया या पीटा गया था, जो कि बहुत ही शर्मनाक है। हेल्पेज इंडिया के मिशन हेड डॉ. इंतियाज अहमद का कहना है कि आज हम इस वास्तविकता में जी रहे हैं। कोरोना ने दुर्व्यवहार करने वालों की प्राथमिक भूमिका निभाई है जो हर तरफ से बुजुर्गों को बेहद बुरे तरीके से प्रभावित कर रहा है।