द्वितीय विश्वयुद्ध की बरसी, जानिए इतिहास,कारण और घटनाएं
मानव अपने जीवन में प्रगति के पथ पर चलते हुए निरंतर संघर्ष करता रहता है और उन्नति को प्राप्त कर के समाज को विकसित करता है किंतु जब वही संघर्ष महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए होने लगे तो संघर्ष युद्ध की शक्ल ले लेता है, और शायद यही कारण रहा कि मानव ने इतिहास में कई युद्ध किए हैं।
मानव अपने जीवन में प्रगति के पथ पर चलते हुए निरंतर संघर्ष करता रहता है और उन्नति को प्राप्त कर के समाज को विकसित करता है किंतु जब वही संघर्ष महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए होने लगे तो संघर्ष युद्ध की शक्ल ले लेता है, और शायद यही कारण रहा कि मानव ने इतिहास में कई युद्ध किए हैं।
इन्हीं युद्धों में सबसे अधिक विनाशकारी युद्ध हुआ जिसमें पूरे विश्व ने खुद को झोंक दिया जिसे हम द्वितीय विश्व युद्ध के नाम से जानते हैं। मगर यह पहली बार नहीं था कि पूरा विश्व परस्पर युद्ध कर रहा हो क्योंकि इससे करीब 20 वर्ष पूर्व ही प्रथम विश्वयुद्ध का समापन हुआ था। किन्तु द्वितीय विश्व युद्ध इतना विनाशक था,कि इसे सम्पूर्ण युद्ध के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसमें न केवल सैनिक अपितु उनसे दोगुने आम नागरिको की भी मौत हुई थी। इस युद्ध में तत्कालीन आबादी का 3 % हिस्सा अर्थात करीब 8 करोड़ इंसानों की जानें गयी थी।
कब और क्यों शुरू हुआ द्वितीय विश्वयुद्ध :
कोई भी संघर्ष एक दिन में जन्म नहीं लेता है, उसके पीछे जुड़ी कई कड़ियाँ और उसके कारण रहते हैं जो किसी एक दिन फूटते है। ठीक ऐसा ही द्वितीय विश्वयुद्ध में भी हुआ। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद हुए 'वर्साय की संधि' में फ्रांस और ब्रीटेन ने जर्मनी को कई अन्यायिक बातों को मानने के लिए मजबूर किया और जर्मनी को कमजोर करने का अधिकतम प्रयास किया गया। सिर्फ़ इतना ही नहीं अगले 20 वर्ष तक किसी न किसी माध्यम से जर्मनी को प्रताड़ित करते रहे जिसके कारण जर्मनी के लोगों में रोष बढ़ गया और उन्ही के एक नेता एडोल्फ हिटलर ने अपने पितृभूमि के खोए गौरव को वापस प्राप्त करने का प्रण लिया। वहीं दुनिया के दूसरी छोर पर जापान में सैन्य बलों को अत्यधिक सशक्त करके एशिया में फ्रांस और ब्रिटेन की साम्राज्यवाद को पछाड़ कर जापानी साम्राज्य के स्थापना की तैयारी में था। जापान अपने आस-पास में चीन एवं कोरिया जैसे देशों पर कब्जा करता जा रहा था। प्रथम विश्व युद्ध के बाद जब दुबारा ऐसे युद्धों को रोकने के लिए लीग ऑफ नेशन की स्थापना की गयी थी तब ये उम्मीद थी कि दुबारा ऐसे युद्धों की संभावना नहीं बनेगी किन्तु यह संगठन भी पूर्ण रूप से विफल रहा। जर्मनी और इटली जैसे देशों में तानाशाही और जापान में राजतंत्र द्वारा विस्तारवाद आने वाले विश्व को एक युद्ध की ओर निरंतर धकेल रहा था।
हिटलर ने 1933 में जर्मनी की बागडोर को संभालते ही कुछ देशों पर हमला करके उन्हें जर्मनी के साथ मिलाना शुरू कर दिया जिसमें ऑस्ट्रिया, हंगरी जैसे कुछ देश शामिल थे। इसी क्रम में 1 सितंबर, 1939 को प्रातः 4:45 बजे हिटलर ने पोलैंड पर हमला बोल दिया और सोवियत संघ के मदद से पोलैंड को दोनों दिशाओं से घेर कर उस पर कब्जा कर लिया और सोवियत संघ के साथ आपस में बांट लिया। इस युद्ध में फ्रांस और ब्रिटेन ने पोलैंड का साथ ज़रूर दिया किन्तु जर्मनी के सेना के सामने टिकने में असमर्थ रही। यहाँ से जर्मन सेना ने कुछ ही घंटों में नॉर्वे और फिर चंद दिनों में ही डेनमार्क पर भी अपना वर्चस्व स्थापित कर दिया। अब हिटलर की महत्वकांक्षा और बढ़ती जा रही थी इसीलिये उसने पूरे यूरोप पर अपना शासन स्थापित करने के लिए विस्तार करने लगा। उसने बेल्जियम, नीदरलैंड को कब्जे में लेने के बाद 10 जून 1940 को फ्रांस पर हमला किया जहाँ उसका साथ इटली ने दिया और 4 दिनों के अंदर ही 14 जून को फ्रांस पर भी फतह हासिल कर ली। अब हिटलर का अगला लक्ष्य था ब्रिटेन लेकिन चूंकि ब्रिटेन एक टापू है इसलिए उस पर हमला करना आसान नहीं था इसीलिए ब्रिटेन और जर्मनी के बीच हुई विश्व की पहली हवाई लड़ाई 'द ब्लिट्ज़',। मगर इस युद्ध में जर्मनी को सफ़लता प्राप्त नहीं हुई।
देश जिन्होंने युद्ध में भाग लिया :
27 सिंतबर, 1940 को बर्लिन में एक समझौते के तहत जर्मनी, इटली और जापान ने एक साथ हो कर युद्ध करने के इरादे से 'एक्सिस' दल का निर्माण किया जिसमें बाद में हंगरी, बुल्गारिया और रोमानिया ने भी अपनी हिस्सेदारी दर्ज कराई। वहीं दूसरी ओर अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, सोवियत संघ और चीन मुख्य रूप से एक साथ 'एलाइस' नाम से लड़ रहे थे। जापान उत्तरी प्रशांत महासागर में अमेरिका और इंगलेंड के ठिकानों पर हमला कर के उन्हें हथियाता जा रहा था इसीलिए जर्मनी ने जापान के दुश्मन अमेरिका और इंग्लैंड को अपना दुश्मन मानते हुए जापान से हाथ मिलाया था और जर्मनी ने अमेरिका के खिलाफ़ भी युद्ध घोषित कर दिया था।
युद्ध का मुख्य दौर:
जीत का डंका बजाते हुए और इस डर से सोवियत संघ जर्मनी पर हमला न कर दे, जर्मनी ने ही जून 1941 में ऑपरेशन बरबारोसा के तहत सोवियत संघ पर हमला कर दिया और अंदर तक खदेड़ दिया, किन्तु जैसे ही मौसम ने अपना कहर बरसाया और ठंड बढ़नी शुरू हुई हिटलर की सेना कमजोर होने लगी और आगे नहीं बढ़ पाई। इधर उत्तरीय प्रशांत महासागर में जापान ने 7 दिसंबर,1941 को अमेरिका के पर्ल हारबर बंदरगाह पर हमला कर दिया जिसमें करीब 2400 सैनिक मारे गए और 1000 से अधिक सैनिक घायल हो गए। इसी हमले से प्रभावित हो कर अमेरिका ने औपचारिक रूप से युद्ध में अपनी मौजूदगी को दर्ज कराया। यह युद्ध का शिखर यानी कि मुख्य दौर था।
अभी तक जो एक्सिस शक्ति अपना वर्चस्व बढ़ाती जा रही थी अब उसका पतन प्रारम्भ हो चुका था। 1942 के शुरुआती दौर में ही सोवियत संघ ने जर्मन सेना को रूस से खदेड़ना शुरू कर दिया था। वहीं एलाइस सेना ने 1943 में इटली पर हमला कर दिया और इटली के तानाशाह मुसोलिनी को भी कैद कर लिया। 1944 में जापान ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व वाली भारतीय राष्ट्रीय सेना के मदद से इम्फाल के रास्ते भारत में ब्रिटेन पर हमला किया किन्तु वहाँ भी विफलता की हाथ लगी। उसी समय दूसरी ओर फ्रांस में जहाँ जर्मनी का कब्जा था, नोरमैण्डी में समुद्री रास्ते से ब्रिटेन, अमेरिका और फ्रांस ने एक साथ हमला किया और फ्रांस को आज़ाद करा दिया। जब एलाइस शक्ति ने पूरे यूरोप को जीत लिया तब 29 अप्रैल, 1945 को जर्मन सेना ने समर्पण कर दिया और 30 अप्रैल को अपने बंकर में द्वितीय विश्व युद्ध के जनक एडोल्फ हिलटर ने भी खुद को गोली मार कर जान दे दी। मगर जापान अभी भी प्रशांत महासागर में अपना वर्चस्व स्थापित करने में लगा था किन्तु 6 अगस्त को हिरोशिमा और 9 अगस्त को नागासाकी में अमेरिका द्वारा गिराए गए परमाणु बम ने जापान को पूर्ण रूप शिथिल कर दिया। हिरोशिमा और नागासाकी जापान के औद्योगिक शहर थे जहाँ बम गिरते ही पूरा शहर मोम की तरह पिघल गया और जापान ने आत्मसमपर्ण करते हुए युद्ध पर पूर्ण विराम लगा दिया।