दुनिया भर की जेलों में बंद हैं 8,000 भारतीय तो वहीं देश में विदेशी कैदियों की संख्या 8.53% बढ़ी
भारत सरकार ने फिल्हाल में बताया है कि दुनिया भर की 82 देशों के जेलों में लगभग 8,000 भारतीय बंद हैं। जिसमें से 4,058 भारतीय गल्फ देशों की जेलों में बंद हैं। इन आंकड़ों में कुछ ऐसे लोग हैं जो अपना सजा पूरी कर रहे है और ऐसे भी है जिनका अभी ट्रायल चल रहा है। गल्फ देशों में भारतीय लोग अच्छे रोजगार पाने के लिए पिछले कई सालों से जाते रहते हैं। इस्लामिक राजशाही वाले सऊदी अरब में काफी सख्त नियमों का पालन किया जाता है। जिस कारण यहां के जेलों में कई देशों के कैदी मौजूद है तो वहीं भारतीय कैदियों की संख्या 1,570 है। सऊदी अरब के बाद संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में 1,292 भारतीय कैदी हैं। तो वहीं कुवैत की जेल में 460 कैदी, कतर में 439 कैदी, बहरीन में 178 कैदी, ईरान में 70 कैदी और ओमान में 49 भारतीय कैदी कैद है।
विदेश मंत्रालय ने संसद में बताया कि दुनिया के लगभग 82 देशों में भारतीय जेल में बंद हैं, जिसमें से 11 देश ऐसे हैं जहां पर भारतीयों कैदियों की संख्या 100 से अधिक है। वहीं भारत के पड़ोसी देशों की बात करें तो देश के केवल 7 पड़ोसी देशों में ही 1913 भारतीय बंद हैं। जिसमें से सबसे ज्यादा 886 भारतीय लोग नेपाल की कैद में हैं। जबकि पाकिस्तान में 524 कैदी , चीन में 157 कैदी, बांग्लादेश में 123 कैदी, भूटान में 91 कैदी, श्रीलंका में 67 कैदी और म्यांमार में 65 भारतीय लोग जेलों में बंद है।
विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार अफगानिस्तान में भारतीय कैदियों की संख्या शुन्य है। इन पड़ोसी देशों के अलावा मलेशिया में 409 कैदी, सिंगापुर में 71 कैदी, फिलीपींस में 41 कैदी, थाइलैंड में 23, इंडोनेशिया में 20 कैदी, ऑस्ट्रेलिया में 62 कैदी, कनाडा और साइप्रस में 23 कैदी, फ्रांस में 35 कैदी, ग्रीस में 22 कैदी, मालदीव्स में 24 कैदी और स्पेन में 49 भारतीय जेलों में बंद हैं।
टॉप 11 देश, जहां भारतीय लोग हैं कैद
आज तक की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के लगभग 82 देशों में भारतीय नागरिक जेल की सजा काट रहे हैं। जिसमें से 11 प्रमुख देश हैं, जहां भारतीय कैदियों की संख्या 100 से भी अधिक है।
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) - 1,292
सऊदी अरब - 1,570
नेपाल - 886
अमेरिका - 647
पाकिस्तान - 524
कुवैत - 460
कतर - 439
मलयेशिया - 409
ब्रिटेन - 378
इटली - 225
चीन - 157
कैदियों को वापस लाने के लिए भारत की पहल
भारत सरकार ने विदेशों में बंद भारतीय कैदियों को वापस लाने के लिए लगभग 30 देशों के साथ द्विपक्षीय संधियों के अलावा इंटर अमेरिकन कन्वेंशन पर भी हस्ताक्षर किए हैं। जिसके अंतर्गत दोनों देशों के कैदियों को कानूनी आवेदन दिया जाता है और दोनों देशों में बंद कैदियों की अदला-बदली की जाती है। साल 2003 में रिपैटरिएशन आफ प्रिजनर्स एक्ट लागू होने के बाद अपने देश वापसी के लिए विदेशों में बंद भारतीयों के 170 आवेदन भारत सरकार को मिले, जिसमें से 63 कैदियों को ही विदेशी जेलों से छुड़ाकर भारत वापस लाया जा सका था।
भारत सरकार ने बताया कि मार्च 2015 से मार्च 2018 के बीच में विदेशी जेलों में बंद भारतीयों को छुड़ाने के लिए उन्होंने कुल 272 करोड़ रूपए खर्च किए हैं। जिसमें से संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में लगभग 1,57,93,808 रुपए, बहरीन में 50,96,143 रुपए, ईरान में 17,83,751 रूपए, मिस्र में 10,31,698 रूपए और दक्षिण कोरिया में लगभग 6,89,950 रूपयों का खर्चा हुआ था।
भारतीय जेलों में भी बंद हैं हजारों विदेशी कैदी
भारतीय जेलों में सिर्फ हमारे देश के कैदी ही नहीं बल्कि विदेशी नागरिकता प्राप्त कैदी भी रहते हैं। NCRB की रिपोर्ट के अनुसार भारत में विदेशी कैदियों की संख्या 2018 में 5196 थी, जो 2019 में बढ़कर 5,608 हो गई। इस एक साल के दौरान विदेशी कैदियों में 8.53% की वृद्धि देखी गई। 2019 के अंत तक विदेशी नागरिक कैदियों की संख्या 5,608 थी। जिसमें 4,776 पुरुष और 832 महिलाएं शामिल थी। भारतीय जेलों में बंद कैदियों में सबसे अधिक बांग्लादेश के 1,420 के कैदी हैं। इसके बाद नेपाल के 228 कैदी, म्यांमार के 155 कैदी, नाइजीरिया के 125 कैदी, पाकिस्तान के 94 कैदी, नाइजीरिया के अलावा अन्य अफ्रीकी देशों के 21 कैदी, श्रीलंका के 19 कैदी, चीन के 6 कैदी, दक्षिणी अमेरिका देशों के 5 कैदी, CIS रसियन फेडरेशन के 2 कैदी, मध्य-पूर्वी देशों के 6 कैदी, उत्तरी अमेरिकी देशों के 2 कैदी, मालदीव का 1 कैदी और 37 कैदी ऐसे हैं जो अन्य देशों से हैं।